30.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(12)

(2) अनुग्रह के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
उस समय यीशु के कथन एवं कार्य सिद्धान्त को थामे हुए नहीं थे, और उसने अपने कार्य को पुराने नियम की व्यवस्था के कार्य के अनुसार सम्पन्न नहीं किया था। यह उस कार्य के अनुसार था जिसे अनुग्रह के युग में किया जाना चाहिए। उसने उस कार्य के अनुसार, अपने स्वयं की योजनाओं के अनुसार, और अपने सेवकाई के अनुसार परिश्रम किया था जिसे वह आगे लाया था; उसने पुराने नियम की व्यवस्था के अनुसार कार्य नहीं किया था।

29.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(11)

(2) अनुग्रह के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
अनुग्रह के युग के कार्य में, यीशु परमेश्वर था जिसने मनुष्य को बचाया। उसका स्वरूप अनुग्रह, प्रेम, करुणा, सहनशीलता, धैर्य, विनम्रता, देखभाल और सहिष्णुता, और उसने जो इतना अधिक कार्य किया वह मनुष्य का छुटकारा था।

28.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(10)


(2) अनुग्रह के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
जब यीशु आया, तो उसने भी परमेश्वर के कार्य का एक भाग पूरा किया, और कुछ वचनों को कहा—किन्तु वह कौन सा प्रमुख कार्य था जो उसने सम्पन्न किया? उसने मुख्यरूप से जो संपन्न किया, वह था सलीब पर चढ़ने का कार्य।

27.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(9)


(2) अनुग्रह के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
अनुग्रह के युग में, यीशु संपूर्ण पतित मानवजाति (सिर्फ इस्राएलियों को नहीं) को छुटकारा दिलाने के लिए आया। उसने मनुष्य के प्रति दया और करुणा दिखायी। मनुष्य ने अनुग्रह के युग में जिस यीशु को देखा वह करुणा से भरा हुआ और हमेशा ही प्रेममय था, क्योंकि वह मनुष्य को पाप से मुक्त कराने के लिए आया था।

26.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(8)

(2) अनुग्रह के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
यद्यपि यीशु, अपने देहधारण में पूरी तरह से भावना रहित था, फिर भी वह हमेशा अपने चेलों को दिलासा देता था, उनका भरण-पोषण करता था, उनकी सहायता करता था और उन्हें जीवित रखता था। उसने कितना भी अधिक कार्य किया या उसने कितना भी अधिक दर्द सहा, फिर भी उसने कभी भी लोगों से बहुत ज़्यादा माँग नहीं की, बल्कि उनके पापों के प्रति हमेशा धैर्यवान था और सहनशील था, इतना कि अनुग्रह के युग में लोग उसे स्नेह के साथ "प्यारा उद्धारकर्ता यीशु" कहते थे।

25.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(7)

(2) अनुग्रह के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा कि जगत पर दण्ड की आज्ञा दे, परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए" (युहन्ना 3:17)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यीशु अनुग्रह के युग के समस्त कार्य का प्रतिनिधित्व करता है; वह देह में देहधारी हुआ और उसे सलीब पर चढ़ाया गया, और उसने भी अनुग्रह के युग का उद्घाटन किया। छुटकारे के कार्य को पूरा करने, व्यवस्था के युग का अंत करने और अनुग्रह के युग का आरम्भ करने के लिए उसे सलीब पर चढ़ाया गया था, और इसलिए उसे "सर्वोच्च सेनापति," "पाप बलि," और "छुटकारा दिलाने वाला" कहा गया।

24.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(6)

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
व्यवस्था के युग के दौरान, मानव जाति के मार्गदर्शन का कार्य यहोवा के नाम के अधीन किया गया था, और कार्य का पहला चरण पृथ्वी पर किया गया था। इस चरण का कार्य मंदिर और वेदी का निर्माण करना, और इस्राएल के लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए व्यवस्था का उपयोग करना और उनके बीच कार्य करना था।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...