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31.3.19

2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?(3)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     व्यवस्था के युग के दौरान, यहोवा ने मूसा के लिए अनेक आज्ञाएँ निर्धारित की कि वह उन्हें उन इस्राएलियों के लिए आगे बढ़ा दे जिन्होंने मिस्र से बाहर उसका अनुसरण किया था। ये आज्ञाएँ यहोवा द्वारा इस्राएलियों को दी गई थीं, और उनका मिस्र के लोगों से कोई संबंध नहीं था; वे इस्राएलियों को नियन्त्रण में रखने के अभिप्राय से थीं।

1.12.18

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?(12)

 (परमेश्वर के वचन का चुना गया अवतरण)

      देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं

     वर्तमान में किए गए कार्य ने अनुग्रह के युग के कार्य को आगे बढ़ाया है; अर्थात्, समस्त छह हजार सालों की प्रबन्धन योजना में कार्य आगे बढ़ाया है। यद्यपि अनुग्रह का युग समाप्त हो गया है, किन्तु परमेश्वर के कार्य ने आगे प्रगति की है। मैं क्यों बार-बार कहता हूँ कि कार्य का यह चरण अनुग्रह के युग और व्यवस्था के युग पर आधारित है? इसका अर्थ है कि आज के दिन का कार्य अनुग्रह के युग में किए गए कार्य की निरंतरता और व्यवस्था के युग में किए कार्य का उत्थान है।

24.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(6)

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
व्यवस्था के युग के दौरान, मानव जाति के मार्गदर्शन का कार्य यहोवा के नाम के अधीन किया गया था, और कार्य का पहला चरण पृथ्वी पर किया गया था। इस चरण का कार्य मंदिर और वेदी का निर्माण करना, और इस्राएल के लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए व्यवस्था का उपयोग करना और उनके बीच कार्य करना था।

23.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(5)

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यहोवा का कार्य मनुष्य का सीधे नेतृत्व करना और व्यवस्थाओं की स्थापना करके मनुष्य की चरवाही करना था ताकि मनुष्य एक सामान्य जीवन जी सके और पृथ्वी पर सामान्य रूप से यहोवा की आराधना कर सके।

22.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(4)
(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अतः, तुम लोगों ने व्यवस्था के युग की इन रीति विधियों एवं सिद्धान्तों को पढ़ा है, हाँ? क्या ये रीति विधियां एक व्यापक दायरे को घेरती हैं? पहला, वे दस आज्ञाओं को घेरती हैं, जिसके बाद रीति विधियां हैं कि वेदी कैसे बनाएं, एवं इत्यादि। इनके बाद सब्त का पालन करने एवं तीन पर्वां को मनाने की रीति विधियां आती हैं, जिसके बाद बलिदान चढ़ाने की रीति विधियां हैं।

21.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(3)

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अतः, तुम लोगों ने व्यवस्था के युग की इन रीति विधियों एवं सिद्धान्तों को पढ़ा है, हाँ? क्या ये रीति विधियां एक व्यापक दायरे को घेरती हैं? पहला, वे दस आज्ञाओं को घेरती हैं, जिसके बाद रीति विधियां हैं कि वेदी कैसे बनाएं, एवं इत्यादि। इनके बाद सब्त का पालन करने एवं तीन पर्वां को मनाने की रीति विधियां आती हैं, जिसके बाद बलिदान चढ़ाने की रीति विधियां हैं।

20.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(2)
(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आरंभ में, पुराने विधान के व्यवस्था के युग के दौरान मनुष्य का मार्गदर्शन करना एक बच्चे के जीवन का मार्गदर्शन करने जैसा था। आरंभिक मानवजाति यहोवा की नवजात थी, जो इस्राएली थी। उनकी समझ में नहीं आया कि कैसे परमेश्वर का सम्मान करें या पृथ्वी पर रहें। जिसका अर्थ है, कि यहोवा ने मानवजाति को बनाया, अर्थात् उसने आदम और हव्वा को बनाया, किन्तु उसने उन्हें समझने के लिए आंतरिक शक्तियाँ नहीं दी कि कैसे यहोवा का सम्मान करें या पृथ्वी पर यहोवा की व्यवस्था का अनुसरण करें।

19.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(1)

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
वह कार्य जो यहोवा ने इस्राएलियों पर किया, उसने मानवजाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किया जो कि वह पवित्र स्थान भी था जहाँ वह उपस्थित रहता था। उसने अपने कार्य को इस्राएल के लोगों तक ही सीमित रखा। आरम्भ में, उसने इस्राएल के बाहर कार्य नहीं किया; उसके बजाए, उसने ऐसे लोगों को चुना जिन्हें उसने अपने कार्यक्षेत्र को सीमित रखने के लिए उचित पाया।

14.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

परमेश्वर के वचनों के उद्धरणों, व्यवस्था का युग, अनुग्रह का युग, राज्य का युग,


1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।(6)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

मनुष्य का प्रबंधन करना मेरा कार्य है, और मेरे द्वारा उसे जीत लिया जाना और भी अधिक कुछ चीज़ है जो तब नियत की गई थी जब मैंने संसार की रचना की थी। हो सकता है कि लोग नहीं जानते हों कि अंत के दिनों में मैं उन्हें पूरी तरह से जीत लूँगा और हो सकता है कि वे इस बारे में भी अनजान हों कि मानवजाति में से विद्रोही लोगों को जीत लेना ही शैतान को मेरे द्वारा हराने का प्रमाण है।

10.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।(1)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मेरी सम्पूर्ण प्रबन्धन योजना, ऐसी योजना जो छः हज़ार सालों तक फैली हुई है, तीन चरणों या तीन युगों को शामिल करती हैः आरंभ में व्यवस्था का युग; अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत के दिनों में राज्य का युग।

16.6.18

Hindi Christian Movie "शहर परास्त किया जाएगा" क्लिप 2 - पाखंडी फरीसियों को श्राप क्यों लगा है?


Hindi Gospel Movie "शहर परास्त किया जाएगा" क्लिप 2 - पाखंडी फरीसियों को श्राप क्यों लगा है?

      बाइबल में यह दर्ज है कि प्रभु यीशु ने फरीसियों को सात आपदाओं का श्राप दिया। आजकल, धार्मिक संसार के पादरी और एल्डर्स जिस मार्ग पर चल रहे हैं, वो फरीसियों का ही है और वे उसी तरह परमेश्वर की घृणा और अस्वीकृति से पीड़ित होंगे। तो फिर क्यों प्रभु यीशु ने फरीसियों को निन्दित और श्रापित किया?

12.6.18

Hindi Christian Documentary "वह जिसका हर चीज़ पर प्रभुत्व है" | Testimony of the Power of God





Hindi Christian Documentary "वह जिसका हर चीज़ पर प्रभुत्व है" | Testimony of the Power of God



पूरे विशाल ब्रह्मांड में सभी आकाशीय पिण्ड सटीक रीति से, अपनी-अपनी कक्षाओं में भ्रमण करते हैं। आकाश के तले, पहाड़ों, नदियों और झीलों की अपनी-अपनी सीमाएं होती हैं, और सभी प्राणी जीवन के नियमों के अनुसार चार मौसमों में रहते हुए प्रजनन करते हैं ..इन सबको अत्यंत विशिष्टता से आकार दिया गया है-क्या कोई शक्तिमान है जो इन सब पर शासन और इनकी व्यवस्था कर रहा है? इस जगत में रोते हुए आने से लेकर, हमने जीवन में अलग-अलग भूमिकाएं निभाई हैं। जन्म से बुढ़ापा, फिर रोग, फिर मृत्यु, हम ग़म और ख़ुशी के बीच जीते रहते हैं ... दरअसन दरअसल कहाँ से आता है और हम वास्तव में कहाँ चले जाते हैं? हमारी नियति को कौन नियंत्रित कर रहा है? प्राचीन समय से लेकर आधुनिक समय तक, महान राष्ट्रों का उदय हुआ, अनेक वंश आए और गए, अनेक देशों और मनुष्यों का उत्थान हुआ और फिर वे काल के गाल में समा गए ... प्रकृति के नियमों की तरह, मानवता के विकास में भी अनंत रहस्य निहित हैं। क्या आप इनके उत्तर जानना चाहेंगे? वह जिसका हर चीज़ पर प्रभुत्व है नामक डॉक्यूमेंटरी आपको इसके मूल तक पहुँचने का रास्ता दिखाएगी, हर रहस्य पर से पर्दा हटाएगी!

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...