13.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।(5)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
इसके बावजूद कि जो कुछ परमेश्वर करता है या वे माध्यम जिनके द्वारा वह इसे करता है, उस कीमत, या उसके उद्देश्य के बावजूद, उसके कार्यों का उद्देश्य बदलता नहीं है।

12.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।(4)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

परमेश्वर का प्रबंधन इस प्रकार से है: मानवजाति को शैतान की अधीनता में देना-एक ऐसी मानवजाति जो नहीं जानती कि परमेश्वर क्या है, रचयिता क्या है, परमेश्वर की आराधना किस प्रकार की जानी है, और परमेश्वर के अधीन होना क्यों आवश्यक है-और शैतान की भ्रष्टता को उन्मुक्त लगाम देना। और फिर कदम दर कदम, परमेश्वर शैतान के हाथों से मनुष्य को बचाता है, जब तक कि मनुष्य पूरी तरह से परमेश्वर की आराधना न करे और शैतान को अस्वीकार न कर दे।

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।(3)


परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

आज हम सब से पहले परमेश्वर के विचारों, युक्तियों, और मनुष्यों की सृष्टि के समय से लेकर अब तक के प्रत्येक कार्य को संक्षिप्त करने जा रहे हैं, और उसने संसार की रचना से लेकर अनुग्रह के युग के आधिकारिक प्रारम्भ तक क्या कार्य किया था उस पर एक नज़र डालने जा रहे हैं।

11.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।(2)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

कार्य के तीन चरणों का उद्देश्य समस्त मानवजाति का उद्धार है—जिसका अर्थ है शैतान के अधिकार क्षेत्र से मनुष्य का पूर्ण उद्धार। यद्यपि कार्य के इन तीन चरणों में से प्रत्येक का एक भिन्न उद्देश्य और महत्व है, किन्तु प्रत्येक मानवजाति को बचाने के कार्य का हिस्सा है, और उद्धार का एक भिन्न कार्य है जो मानवजाति की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता है।

10.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।(1)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मेरी सम्पूर्ण प्रबन्धन योजना, ऐसी योजना जो छः हज़ार सालों तक फैली हुई है, तीन चरणों या तीन युगों को शामिल करती हैः आरंभ में व्यवस्था का युग; अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत के दिनों में राज्य का युग।

9.9.18

I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए


   2. देहधारण क्या है? देहधारण का तत्व क्या है?(13)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

वह कौनसा पहलु है जो आत्मा के प्रकटीकरण में शामिल है? कभी-कभी व्यावहारिक परमेश्वर अपनी मानवीयता में कार्य करता है और कभी-कभी अपनी ईश्वरीयता में, लेकिन कुल मिलाकर, दोनों मामलों में कमान आत्मा के पास होता है। ... व्यावहारिक परमेश्वर जिनके बारे में आज हम बातें करते हैं वे अपनी मानवीयता और अपनी ईश्वरीयता दोनों ही में कार्य करते हैं।

8.9.18

I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए

             2. देहधारण क्या है? देहधारण का तत्व क्या है?(12)



परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

वह युग या स्थान जो भी हो जिसमें परमेश्वर ने देहधारण किया है, देह में उसके कार्य के सिद्धान्त अपरिवर्तनीय बने रहते हैं। वह देह नहीं बन सकता है फिर भी कार्य करने के लिए देह की सीमाओं से परे जाता है; इसके अतिरिक्त, वह देह नहीं बन सकता है फिर भी देह की साधारण मानवता के भीतर काम नहीं करता है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...