1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।(2)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
कार्य के तीन चरणों का उद्देश्य समस्त मानवजाति का उद्धार है—जिसका अर्थ है शैतान के अधिकार क्षेत्र से मनुष्य का पूर्ण उद्धार। यद्यपि कार्य के इन तीन चरणों में से प्रत्येक का एक भिन्न उद्देश्य और महत्व है, किन्तु प्रत्येक मानवजाति को बचाने के कार्य का हिस्सा है, और उद्धार का एक भिन्न कार्य है जो मानवजाति की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता है।
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जब परमेश्वर के प्रबंधन का सम्पूर्ण कार्य समाप्ति के निकट होगा, तो परमेश्वर प्रत्येक वस्तुओं को उनके प्रकार के आधार पर श्रेणीबद्ध करेगा। मनुष्य रचयिता के हाथों से रचा गया था, और अंत में उसे मनुष्य को पूरी तरह से अपने प्रभुत्व के अधीन अवश्य लौटा देना चाहिए; कार्य के तीन चरणों का यही निष्कर्ष है। …
… जब कार्य के तीन चरण समाप्ति पर पहुँचेंगे, तो ऐसे लोगों का समूह बनेगा जो परमेश्वर के प्रति गवाही देते हैं, ऐसे लोगों का एक समूह जो परमेश्वर को जानते हैं। ये सभी लोग परमेश्वर को जानेंगे और सत्य को व्यवहार में लाने में समर्थ होंगे। वे मानवता और समझ को धारण करेंगे और परमेश्वर के उद्धार के कार्य के तीनों चरणों को जानेंगे। यही कार्य अंत में निष्पादित होगा, और यही लोग 6000 साल के प्रबंधन के कार्य का सघन रूप हैं, और शैतान की अंतिम पराजय की सबसे शक्तिशाली गवाही हैं।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है" से
Source From:सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य,अंतिम दिनों के मसीह के लिए गवाहियाँ से
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