21.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(3)

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अतः, तुम लोगों ने व्यवस्था के युग की इन रीति विधियों एवं सिद्धान्तों को पढ़ा है, हाँ? क्या ये रीति विधियां एक व्यापक दायरे को घेरती हैं? पहला, वे दस आज्ञाओं को घेरती हैं, जिसके बाद रीति विधियां हैं कि वेदी कैसे बनाएं, एवं इत्यादि। इनके बाद सब्त का पालन करने एवं तीन पर्वां को मनाने की रीति विधियां आती हैं, जिसके बाद बलिदान चढ़ाने की रीति विधियां हैं।क्या तुम लोगों ने देखा था कि वहाँ कितने प्रकार के बलिदान हैं? यहाँ पर होमबलि, अन्नबलि, मेलबलि, पापबलि, एवं इत्यादि हैं, जो याजकों के लिए बलिदान की रीति विधियों के बाद आते हैं, जिसमें याजकों के द्वारा होमबलि एवं अन्नबलि, और अन्य प्रकार के बलिदान शामिल होते हैं। आठवीं रीति विधि याजकों के द्वारा बलिदानों को खाने के लिए है, और उसके बाद ऐसी रीति विधियां हैं कि लोगों के जीवन के दौरान किन चीज़ों का पालन किया जाना चाहिए। लोगों के जीवन के कई पहलुओं के लिए आवश्यक शर्तें हैं, जैसे वे रीति विधियां कि वे क्या खा सकते हैं या क्या नहीं खा सकते हैं, बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं के शुद्धिकारण के लिए, और उनके लिए रीति विधियां जो कोढ़ से शुद्ध हो चुके हैं। इन रीति विधियों में, परमेश्वर ने अब तक बीमारी के बारे में ही बात की है, और इनमें भेड़-बकरियों और पालतू पशुओं, एवं इत्यादि को काटने के लिए भी रीति विधियां हैं। परमेश्वर के द्वारा भेड़-बकरियों और पालतू पशुओं की सृष्टि की गई थी, और जैसा परमेश्वर तुझसे कहता है तुझे वैसे ही उन्हें काटना चाहिए; बिना किसी सन्देह के परमेश्वर के वचनों में तर्क है, जैसा परमेश्वर के द्वारा आदेश दिया गया है निःसन्देह ऐसा करना सही है, और निश्चय ही यह लोगों के लिए लाभदायक है! ऐसे कई पर्व और नियम भी हैं कि उनका पालन किया जाए, जैसे सब्त का दिन, फसह, और अन्य—परमेश्वर ने इन सब के बारे में बताया था। आओ हम आखिर के कुछ पर्वों एवं नियमों पर नज़र डालें: अन्य रीति विधियां—दीपक जलाना, जुबली का वर्ष, भूमि का छुटकारा, मन्नत मानना, दशमांश चढ़ाना, और इत्यादि। क्या ये एक व्यापक दायरे को घेरते हैं? सबसे पहली बात जिसके विषय में बातचीत की गई वह है लोगों के बलिदान का मामला, उसके बाद चोरी एवं मुआवजे, और सब्त के दिन के पालन की रीति विधियां हैं; जीवन के विवरणों का हर एक ब्यौरा शामिल है। कहने का तात्पर्य है, जब परमेश्वर ने अपनी प्रबन्धकीय योजना के आधिकारिक कार्य की शुरुआत की थी, तब उसने अनेक रीति विधियों को ठहराया था जिनका पालन मनुष्य के द्वारा किया जाना था। ये रीति विधियां मनुष्य को अनुमति देने के लिए थे ताकि पृथ्वी पर मनुष्य के साधारण जीवन की अगुवाई करें, मनुष्य का साधारण जीवन जो परमेश्वर एवं उसके मार्गदर्शन से अलग नहीं हो सकता है। परमेश्वर ने सबसे पहले मनुष्य को बताया था कि वेदियों को किस प्रकार बनाना है, और वेदियों को किस प्रकार स्थापित करना है। उसके बाद, उसने मनुष्य को बताया कि कैसे बलिदान चढ़ाना था, और उसने यह ठहराया था कि मनुष्य को किस प्रकार से जीवन जीना था—उसे जीवन में किस पर ध्यान देना था, उसे किसमें बने रहना था, उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। परमेश्वर ने मनुष्य के लिए जो कुछ ठहराया था वह सभी के द्वारा स्वीकार किए जाने के योग्य था, और इन रिवाजों, रीति विधियों, और सिद्धान्तों के साथ उसने लोगों के व्यवहार को उन्नत किया, उनकी ज़िन्दगियों का मार्गदर्शन किया, परमेश्वर के नियमों और उनके शुरूआती कदमों की अगुवाई की, परमेश्वर की वेदी के सामने आने के लिए उनका मार्गदर्शन किया, और सभी चीज़ों के मध्य ऐसा जीवन पाने के लिए मार्गदर्शन किया जिसे परमेश्वर ने मनुष्य के लिए बनाया था जो व्यवस्थित क्रम, नियमितता, और संयम को धारण किए हुए था। परमेश्वर ने मनुष्य की सीमाओं को तय करने के लिए सबसे पहले इन साधारण रीति विधियों एवं सिद्धान्तों का उपयोग किया था, ताकि पृथ्वी पर मनुष्य के पास परमेश्वर की आराधना करने का एक साधारण जीवन हो, और उसके पास मनुष्य का साधारण जीवन हो; उसकी छः हज़ार वर्षों की प्रबंधकीय योजना की शुरुआत की विशिष्ट विषयवस्तु ऐसी ही है। ये रीति विधियां एवं नियम बहुत ही व्यापक विषयवस्तु को घेरते हैं, वे व्यवस्था के युग के दौरान मानवजाति के लिए परमेश्वर के मार्गदर्शन के विशेष ब्योरे हैं, उन लोगों के द्वारा इन्हें स्वीकार और इनका आदर किया जाना था जो व्यवस्था के युग के पहले आए, ये रीति विधियां व्यवस्था के युग के दौरान परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य का अभिलेख हैं, और वे समूची मानवजाति के लिए परमेश्वर की अगुवाई एवं मार्गदर्शन का वास्तविक प्रमाण हैं।

"वचन देह में प्रकट होता है से आगे जारी" से "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II" से
Source From:सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य,अंतिम दिनों के मसीह के लिए गवाहियाँ  

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