23.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(5)

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यहोवा का कार्य मनुष्य का सीधे नेतृत्व करना और व्यवस्थाओं की स्थापना करके मनुष्य की चरवाही करना था ताकि मनुष्य एक सामान्य जीवन जी सके और पृथ्वी पर सामान्य रूप से यहोवा की आराधना कर सके।

22.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(4)
(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अतः, तुम लोगों ने व्यवस्था के युग की इन रीति विधियों एवं सिद्धान्तों को पढ़ा है, हाँ? क्या ये रीति विधियां एक व्यापक दायरे को घेरती हैं? पहला, वे दस आज्ञाओं को घेरती हैं, जिसके बाद रीति विधियां हैं कि वेदी कैसे बनाएं, एवं इत्यादि। इनके बाद सब्त का पालन करने एवं तीन पर्वां को मनाने की रीति विधियां आती हैं, जिसके बाद बलिदान चढ़ाने की रीति विधियां हैं।

21.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(3)

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अतः, तुम लोगों ने व्यवस्था के युग की इन रीति विधियों एवं सिद्धान्तों को पढ़ा है, हाँ? क्या ये रीति विधियां एक व्यापक दायरे को घेरती हैं? पहला, वे दस आज्ञाओं को घेरती हैं, जिसके बाद रीति विधियां हैं कि वेदी कैसे बनाएं, एवं इत्यादि। इनके बाद सब्त का पालन करने एवं तीन पर्वां को मनाने की रीति विधियां आती हैं, जिसके बाद बलिदान चढ़ाने की रीति विधियां हैं।

20.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(2)
(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आरंभ में, पुराने विधान के व्यवस्था के युग के दौरान मनुष्य का मार्गदर्शन करना एक बच्चे के जीवन का मार्गदर्शन करने जैसा था। आरंभिक मानवजाति यहोवा की नवजात थी, जो इस्राएली थी। उनकी समझ में नहीं आया कि कैसे परमेश्वर का सम्मान करें या पृथ्वी पर रहें। जिसका अर्थ है, कि यहोवा ने मानवजाति को बनाया, अर्थात् उसने आदम और हव्वा को बनाया, किन्तु उसने उन्हें समझने के लिए आंतरिक शक्तियाँ नहीं दी कि कैसे यहोवा का सम्मान करें या पृथ्वी पर यहोवा की व्यवस्था का अनुसरण करें।

19.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(1)

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
वह कार्य जो यहोवा ने इस्राएलियों पर किया, उसने मानवजाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किया जो कि वह पवित्र स्थान भी था जहाँ वह उपस्थित रहता था। उसने अपने कार्य को इस्राएल के लोगों तक ही सीमित रखा। आरम्भ में, उसने इस्राएल के बाहर कार्य नहीं किया; उसके बजाए, उसने ऐसे लोगों को चुना जिन्हें उसने अपने कार्यक्षेत्र को सीमित रखने के लिए उचित पाया।

18.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए



1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।(9)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
सभी लोगों को पृथ्वी पर मेरे कार्य के उद्देश्य को समझने की आवश्यकता है, अर्थात्, मेरे कार्य का अंतिम उद्देश्य और इससे पहले कि इसे पूरा किया जा सके कौन सा स्तर मुझे इस कार्य में अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए। यदि, आज के दिन तक मेरे साथ चलते रहे लोग यह नहीं समझते हैं कि मेरा समस्त कार्य किस बारे में है, तो क्या वे मेरे साथ व्यर्थ में नहीं चल रहे हैं?

17.9.18

II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।(8)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

आज के दिन तक अपना 6000 वर्षों का कार्य करते हुए, परमेश्वर ने अपने बहुत से क्रिया-कलापों को पहले ही प्रकट कर दिया है, मुख्य रूप से शैतान को पराजित करने और समस्त मानवजाति का उद्धार करने का कार्य। वह स्वर्ग की हर चीज़, पृथ्वी के ऊपर की हर चीज़ और समुद्र के अंदर की हर चीज़ और साथ ही पृथ्वी पर परमेश्वर के सृजन की हर अंतिम वस्तु को परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता को देखने और परमेश्वर के सभी क्रिया-कलापों को देखने की अनुमति देने के लिए इस अवसर का उपयोग करता है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...