30.9.17

परिचय


“संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के कथन” मसीह द्वारा व्यक्त किए गए वे कथन हैं, जिसमें वह स्वयं परमेश्वर की पहचान का उपयोग करता है। वे 20 फरवरी, 1992 से 1 जून 1992 तक की अवधि को आवृत करते हैं, और इसमें कुल सैंतालीस कथनों का समावेश है।

26.9.17

क्या परमेश्वर का कार्य इतना सरल है, जितना मनुष्य कल्पना करता है?


परमेश्वर पर विश्वास करने वाले व्यक्ति के रूप में, आपको यह समझना चाहिए कि,आज, इन अंतिम दिनों में परमेश्वर का कार्य और आप में परमेश्वर की योजना के सारे कार्यको पाने में, आपने परमेश्वर की ओर से उत्कर्ष और उद्धार को वास्तव में पा लिया है।

9.8.17

मेरा प्रभु कौन है



लियू झिझोंग चीन में एक स्थानीय कलीसिया के एल्डर हैं। वह 30 वर्षों से भी अधिक समय से एक विश्वासी रहे हैं, और उन्होंने निरंतर विश्वास किया है कि “बाइबल परमेश्वर से प्रेरित है,” “बाइबल परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करती है, परमेश्वर में विश्वास करना बाइबल में विश्वास करना है, बाइबलमें विश्वास करना परमेश्वर में विश्वास करना है।” उनके हृदय में बाइबल सर्वोपरि है। बाइबिल में अपनी गहरी श्रद्धा और अटूट विश्वास के कारण, उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंतिम दिनों के कार्य को देखने या समझने की मांग नहीं की है। एक दिन, जब उन्होंने विश्वासियों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को ऑनलाइन पढ़ने से रोक दिया, तो उनका सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कलीसिया के उपदेशकों के साथ आमना-सामना हो गया । सत्य के बारे में गंभीर बहस के बाद, क्या वह अंततः बाइबल और परमेश्वर के बीच के रिश्ते को स्पष्ट रूप से देखने में सक्षम थे? क्या वह बाइबल से हटकर यह समझने में सक्षम थे कि यीशु ही सत्य, मार्ग और जीवन है? क्या वह परमेश्वर के सामने स्वर्गारोहण किए जाएंगे? 
 चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

3.8.17

स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II


परमेश्वर का धर्मी स्वभाव

आप परमेश्वर के अधिकार के बारे में पिछली सभा में सुन चुके हैं, अब मैं आश्वस्त हूं कि आप उस मुद्दे पर शब्दों की व्यूह रचना के साथ पूर्ण रूप से सुसज्जित हो गए हैं। आप कितना अधिक स्वीकार, आभास और समझ सकते हैं यह इस पर निर्भर करता है कि आप उसके लिए कितना प्रयास करेंगे। यह मेरी आशा है कि आप इस मुद्दे तक बड़े उत्साह से पहुंच सकें; आपको किसी भी कीमत पर इसके साथ अधूरे मन से व्यवहार नहीं करना चाहिए। अब, क्या परमेश्वर के अधिकार को जानना परमेश्वर की सम्पूर्णता को जानने के समान है? कोई कह सकता है कि परमेश्वर के अधिकार को जानना स्वयं अद्वितीय परमेश्वर को जानने की शुरुआत है, और कोई यह भी कह सकता है कि परमेश्वर के अधिकार को जानने का अर्थ है कि किसी ने स्वयं अद्वितीय परमेश्वर की हस्ती को जानने हेतु पहले से ही द्वार के भीतर कदम रख दिया है। यह समझ परमेश्वर को जानने का एक भाग है। दूसरा भाग क्या है? यह वह विषय है जिसके बारे मैं आज विचार विमर्श करना चाहूंगा - परमेश्वर का धर्मी स्वभाव।

29.7.17

एक वास्तविक मनुष्य का क्या अर्थ है

सर्वशक्तिमान परमेश्वर

मनुष्य का प्रबंध करना मेरा कार्य है, और जब मैंने संसार को बनाया मेरे द्वारा उसे जीत लिया जाना, उस से भी अधिक पूर्व निर्धारित था | लोग नहीं जानते हैं कि अंतिम दिनों में मैं उन्हें पूरी तरह से जीत लूँगा, और वे इसके बारे में भी अनजान हैं कि मानव जाति के अवज्ञाकारीसदस्यों को जीत लेना ही शैतान को मेरे द्वारा हराने का प्रमाण है| परन्तु मैंने अपने शत्रु को पहले से ही बता दिया था जब उसने मेरे साथ संघर्ष किया कि मैं उन सभी का जीतने वाला बनूँगा जो शैतान के द्वारा ले लिए गए थे और बहुत पहले उसकी संतान बन गए थे, और उसके वफादार सेवक उसके घर की निगरानी करने लगे थे|

19.7.17

विश्वासियों को क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए


वो क्या है जो मनुष्य ने प्राप्त किया है जब उसने सर्वप्रथम परमेश्वर में विश्वास कियाआपने परमेश्वर के बारे में क्या जाना हैपरमेश्वर में अपने विश्वास के कारण आप कितने बदले हैंअब आप सभी जानते हैं कि परमेश्वर में विश्वास आत्मा की मुक्ति और देह के कल्याण के लिए ही नही हैऔर न ही यह आपके जीवन को परमेश्वर के प्रेम से सम्पन्न बनाने के लिएइत्यादि है। जैसा यह हैयदि आप परमेश्वर को सिर्फ़ देह के कल्याण के लिए या क्षणिक आनंद के लिए प्रेम करते हैंतो भले हीअंत मेंपरमेश्वर के लिए आपका प्रेम इसके शिखर पर पहुँचता है और आप कुछ भी नहीं माँगतेयह “प्रेम” जिसे आप खोजते हैं अभी भी अशुद्ध प्रेम होता हैऔर परमेश्वर को भाने वाला नहीं होता। वे लोग जो परमेश्वर के लिए प्रेम का उपयोग अपने बोझिल जीवन को सम्पन्न बनाने और अपने हृदय के एक शून्य को भरने के लिए करते हैंये वे हैं जो अपने जीवन को आसानी से जीना चाहते हैंना कि वे जो सचमुच में परमेश्वर को प्रेम करना चाहते हैं। इस प्रकार का प्रेम व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध होता है,भावनात्मक आनंद की खोज होता हैऔर परमेश्वर को इस प्रकार के प्रेम की आवश्यकता नहीं है।


14.7.17

परिचय

"संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के कथन" मसीह द्वारा व्यक्त किए गए वे कथन हैं, जिसमें वे स्वयं परमेश्वर की पहचान का प्रयोग करते हैं। वे 20 फरवरी, 1992 से 1 जून 1992 तक की अवधि को आवृत करते हैं, और इसमें कुल सैंतालीस कथनों का समावेश है। "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के कथन" में परमेश्वर आत्मा के परिप्रेक्ष्य से अपने वचनों को व्यक्त करते हैं। जिस ढंग से वे बोलते हैं वह निर्मित मानवजाति द्वारा अप्राप्य है। इसके अतिरिक्त, उनके वचनों की शब्दावली और शैली सुंदर और मर्मस्पर्शी है, और मानव साहित्य का कोई भी रूप उनका स्थान नहीं ले सकता है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...