अंतिम दिनों के मसीह के कथन- संकलन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
अंतिम दिनों के मसीह के कथन- संकलन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

6.2.18

छठवाँ कथन



आत्मा से सम्बन्धित मामलों में, तूझे कोमलतापूर्वक संवेदनशील होना चाहिए; मेरे वचनों के प्रति, तुझे सावधानीपूर्वक चौकस रहना पड़ेगा। तुझे मेरा आत्मा और शारीरिक स्वरूप, मेरे वचनों और शारीरिक स्वरूप को एक अखंड रूप में देखने की स्थिति में रहने का लक्ष्य बनाना चाहिए, ताकि सम्पूर्ण मानवता मुझे मेरी उपस्थिति में संतुष्ट करने के योग्य हो।

1.2.18

चौथा कथन



मेरे सभी लोगों को जो मेरे सम्मुख सेवा करते हैं अतीत के बारे में सोचना चाहिए कि: क्या मेरे प्रति तुम लोगों का प्रेम अशुद्धताओं से दागदार था? क्या मेरे प्रति तुम लोगों का प्रेम शुद्ध और सम्पूर्ण हृदय से था? क्या मेरे बारे में तुम लोगों का ज्ञान सच्चा था? मैंने तुम लोगों के हृदयों में मैंने कितना स्थान धारण किया? क्या मैंने उनकी सम्पूर्णता को भर दिया? मेरे वचनों ने तुम लोगों के भीतर कितना निष्पादित किया? मुझे मूर्ख न समझो!

19.1.18

आपको जानना चाहिये कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई



6000 वर्षों में किया गया सम्पूर्ण कार्य समय के साथ-साथ धीरे-धीरे बदलता रहा है। इस कार्य में बदलाव समस्त संसार की परिस्थितियों के अनुसार आये हैं। परमेश्वर के प्रबंधन के कार्य में समस्त मानवजाति के विकास के चलन के अनुसार धीरे-धीरे कुछ परिवर्तन आये हैं, ये सृष्टि के आरंभ में पहले से सोचे या योजना के अनुसार नहीं किये गये हैं।

17.1.18

देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं



परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य के प्रत्येक चरण का एक वास्तविक महत्व है। जब यीशु का आगमन हुआ, वह पुरुष था, और इस बार वह स्त्री है। इससे, तुम देख सकते हो कि परमेश्वर ने अपने कार्य के लिए पुरुष और स्त्री दोनों का सृजन किया और वह लिंग के बारे में कोई भी भेदभाव नहीं करता है।

16.1.18

केवल पूर्ण बनाया गया ही एक सार्थक जीवन जी सकता है



वास्तव में, जो कार्य अब किया जा रहा है वह लोगों से शैतान का त्याग करवाने, उनके पुराने पूर्वजों का त्याग करवाने के लिए किया जा रहा है। वचन के द्वारा सभी न्यायों का उद्देश्य मानवता के भ्रष्ट स्वभाव को उजागर करना है और लोगों को जीवन का सार समझने में समर्थ बनाना है। ये बार-बार के न्याय मनुष्य के हदयों को छेद देते हैं।

7.1.18

जो आज परमेश्वर के कार्य को जानते हैं केवल वे ही परमेश्वर की सेवा कर सकते हैं

परमेश्वर की गवाही देने के लिए और बड़े लाल अजगर को शर्मिन्दा करने के लिए तुम्हारे पास एक सिद्धांत, एक शर्त होनी चाहिए: अपने दिल में तुम्हें परमेश्वर से प्रेम करना चाहिए और परमेश्वर के वचनों में प्रवेश करना चाहिए। यदि तू परमेश्वर के वचनों में प्रवेश नहीं करेगा तो तेरे पास शैतान को शर्मिन्दा करने का कोई तरीका नहीं होगा। अपने जीवन के विकास द्वारा, तुम बड़े लाल अजगर को त्यागते हो और उसका अत्यधिक तिरस्कार करते हो, और केवल तभी बड़ा लाल अजगर पूरी तरह से शर्मिन्दा होगा। जितना अधिक तुम परमेश्वर के वचनों को अभ्यास में लाने के इच्छुक होगे, उतना ही अधिक परमेश्वर के प्रति तुम्हारे प्रेम का सबूत होगा और उस बड़े लाल अजगर के लिए घृणा होगी; जितना अधिक तुम परमेश्वर के वचनों का पालन करोगे, उतना ही अधिक सत्य के प्रति तुम्हारी अभिलाषा का सबूत होगा।

26.12.17

परमेश्वर में अपने विश्वास में तुम्हें परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए



तुम परमेश्वर में विश्वास क्यों करते हो? अधिकांश लोग इस प्रश्न से हैरान हैं। उनके पास व्यावहारिक परमेश्वर और स्वर्ग के परमेश्वर के बारे में हमेशा से बिलकुल दो भिन्न दृष्टिकोण रहे हैं, जो दिखाता है कि वे आज्ञापालन के लिए नहीं, बल्कि कुछ निश्चित लाभों को प्राप्त करने, या विपत्तियों के कष्ट से बच निकलने के लिए परमेश्वर पर विश्वास करते हैं।

19.12.17

वास्तविकता को कैसे जानें


परमेश्वर वास्तविकता का परमेश्वर है: उसका समस्त कार्य वास्तविक है, सभी वचन जिन्हें वह कहता है वास्तविक हैं, और सभी सच्चाईयाँ जिन्हें वह व्यक्त करता है वास्तविक हैं। हर चीज़ जो उसके वचन नहीं हैं वे खोखले, अस्तित्वहीन, और अनुचित हैं।

18.12.17

सत्रहवाँ कथन



मेरी आवाज़ सभी चारों दिशाओं एवं सम्पूर्ण पृथ्वी को सुनाई देते हुए, गर्जना के समान बाहर निकलती है, और गर्जना और चमकती हुई बिजली के बीच, मानवजाति मार गिराई जाती है।

16.12.17

नौवाँ कथन


चूँकि तुम मेरे घराने के एक सदस्य हो, और चूँकि तुम मेरे राज्य में निष्ठावान हो, इसलिए तुम जो कुछ भी करते हो उसे उन मानकों को पूरा करना चाहिए जिसकी मैं अपेक्षा करता हूँ। मैं यह नहीं कहता हूँ कि तुम घुमक्कड़ बादल से ज्यादा और कुछ नहीं बनो, बल्कि तुम चमचमाती हुई बर्फ के समान बनो, और उसके सार को और उस से भी बढ़कर उसके मूल्य को धारण करो।

11.11.17

परमेश्वर की इच्छा की समरसता में सेवा कैसे करें


आज, हम प्राथमिक रूप से संवाद करेंगे कि लोगों को परमेश्वर पर अपने विश्वास में परमेश्वर की सेवा कैसे करनी चाहिए, किन शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए और उन लोगों के द्वारा क्या समझा जाना चाहिए जो परमेश्वर की सेवा करते हैं, और तुम लोगों की सेवा में कौन-कौन से विचलन हैं। तुम लोगों को यह सब कुछ समझना चाहिए।

4.11.17

पन्द्रहवाँ कथन


मनुष्य एक आत्मज्ञान रहित प्राणी है। फिर भी, स्वयं को जानने में असमर्थ वह इसके बावजूद अपनी हथेली के समान अन्य हर किसी को जानता है, मानो कि कुछ भी कहने या करने से पूर्व अन्य सभी उसके "निरीक्षण" से गुजरते हों या उसका अनुमोदन प्राप्त करते हों, इस प्रकार से मानो कि, उसने अन्य सभी की उनकी मनोवैज्ञानिक अवस्था तक पूर्ण रूप से माप ले ली हो।

3.11.17

परमेश्वर में अपने विश्वास में तुम्हें परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए


तुम परमेश्वर में विश्वास क्यों करते हो? अधिकांश लोग इस प्रश्न से हैरान हैं। उनके पास व्यावहारिक परमेश्वर और स्वर्ग के परमेश्वर के बारे में हमेशा से बिलकुल दो भिन्न दृष्टिकोण रहे हैं, जो दिखाता है कि वे आज्ञापालन के लिए नहीं, बल्कि कुछ निश्चित लाभों को प्राप्त करने, या विपत्तियों के कष्ट से बच निकलने के लिए परमेश्वर पर विश्वास करते हैं।

25.10.17

जो सचमुच में आज्ञाकारी हैं वे निश्चय ही परमेश्वर के द्वारा ग्रहण किए जाएँगे


पवित्र आत्मा का काम दिन ब दिन बदलता जाता है, हर एक कदम के साथ ऊँचा उठता जाता है; आने वाले कल का प्रकाशन आज से भी कहीं ज़्यादा ऊँचा हो जाता है, कदम दर कदम और ऊपर चढ़ता जाता है। जिस कार्य के द्वारा परमेश्वर मनुष्य मनुष्य को सिद्ध करता है वह ऐसा ही है। यदि मनुष्य उस गति से चल न पाए, तो उसे किसी भी समय छोड़ा जा सकता है।

24.10.17

परमेश्वर सम्पूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियन्ता है


मानवजाति का सदस्य और सच्चे ईसाई होने के नाते, अपने मन और शरीर को परमेश्वर के आदेश को पूरा करने के लिए समर्पित करना हम सभी की ज़िम्मेदारी और दायित्व है, क्योंकि हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व परमेश्वर से आया है, और यह परमेश्वर की संप्रभुता के कारण अस्तित्व में है।

23.10.17

छुटकारे के युग में कार्य से सम्बन्धित सत्य


मेरी सम्पूर्ण प्रबन्धन योजना, जो छः हज़ार सालों तक फैली हुई है, तीन चरणों या तीन युगों को शामिल करती हैः पहला, व्यवस्था का युग; दूसरा, अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत में राज्य का युग।

20.10.17

उद्धारकर्त्ता पहले से ही एक “सफेद बादल” पर सवार होकर वापस आ चुका है

कई हज़ारों सालों से, मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता के आगमन को देखने में सक्षम होने की लालसा की है। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता यीशु को एक सफेद बादल पर देखने की इच्छा की है जब वह व्यक्तिगत रूप से उन लोगों के बीच में अवरोहण करता है जिन्होंने हज़ारों सालों से उसकी अभिलाषा की है और उसके लिए लालायित रहे हैं।

18.10.17

देहधारियों में से कोई भी कोप के दिन से नहीं बच सकता है


आज, मैं तुम लोगों के स्वयं के जीवित रहने के वास्ते तुम लोगों को इस प्रकार से धिक्कारता हूँ, ताकि मेरा कार्य सुचारू रूप से प्रगति करे, और सम्पूर्ण जगत में मेरा आरंभिक कार्य, मेरे वचनों, अधिकार, प्रताप और मेरे न्याय को सभी देशों और राष्ट्रों के लोगों के लिए प्रकट करते हुए, और भी अधिक उचित ढंग से और पूरी तरह से किया जा सके।

13.10.17

आज परमेश्वर के कार्य को जानना


इन दिनों में परमेश्वर के कार्यों को जानना, अधिकांशतः, अंत के दिनों के देहधारी परमेश्वर को जानना है, यह जानना है कि उसकी मुख्य सेवकाई क्या है और पृथ्वी पर वह क्या करने के लिए आया है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...