इस दिन तक,
आप यह न महसूस करेंगे कि रचनाकार
अब एक पहेली नहीं है,
कि वह रचनाकार आपसे कभी भी छिपा हुआ नहीं रहा,
कि वह रचनाकार
उसने अपना चेहरा कभी भी आपसे छिपाया नहीं,
कि वह आपसे कभी भी दूर नहीं रहा,
कि वह ऐसा नहीं रहा कि आप उसे अपने विचारों में निरंतर खोजते रहें
परन्तु आप अपनी भावनाओं के माध्यम से उस तक नहीं पहुंच सकते,
कि वह वास्तव और सही में आपके दायें और बाएं आपकी सुरक्षा के लिए खड़ा है,
आपको जीवन दे रहा है, और आपकी नियति को नियंत्रित कर रहा है,
आपकी नियति को नियंत्रित कर रहा है।
वह कहीं दूर क्षितिज में नहीं है, और न ही उसने अपने आप को ऊंचाई पर बादलों में कहीं छिपा लिया है।
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28.10.17
Hindi Christian Song "एक निर्मित प्राणी के दिल की आवाज़" | A Song of Praise From Christians' Hearts
मैंने चाहा रोना, कोई जगह नहीं थी सही।
मैंने चाहा गाना, मिला नहीं कोई गीत।
मैंने चाहा एक निर्मित प्राणी के प्रेम का करना इज़हार।
ऊपर-नीचे ढूंढा, पर कोई वचन न बता पाए,
न बता पाए मुझे होता जो महसूस।
व्यावहारिक और सच्चे परमेश्वर, मेरे भीतर के प्रेम।
स्तुति में आपकी मैं उठाऊँ अपने हाथ, हूँ ख़ुश कि आप आए इस दुनिया में।
27.10.17
काम परमेश्वर का सदा बढता ही रहता है
काम परमेश्वर का सदा बढ़ता रहता है,
मगर उसका इरादा सदा एक सा रहता है,
बस बदलते हैं काम करने के साधन सदा,
बदलते हैं उसके चाहने वाले सदा,
काम परमेश्वर के जो होंगे ज़्यादा,
लोग भी परमेश्वर को जानेंगे पूरी तरह,
उसके काम के संग-संग इंसान का स्वभाव बदलता है।
26.10.17
प्रकट हुए परमेश्वर जग के पूरब में महिमा लेकर
काम कर रहे हैं परमेश्वर अखिल विश्व में।
पूरब में जो शोर गरजता, शिथिल न होता है,
हिला रहा है सभी पंथ, सम्प्रदायों को।
25.10.17
जो सचमुच में आज्ञाकारी हैं वे निश्चय ही परमेश्वर के द्वारा ग्रहण किए जाएँगे
पवित्र आत्मा का काम दिन ब दिन बदलता जाता है, हर एक कदम के साथ ऊँचा उठता जाता है; आने वाले कल का प्रकाशन आज से भी कहीं ज़्यादा ऊँचा हो जाता है, कदम दर कदम और ऊपर चढ़ता जाता है। जिस कार्य के द्वारा परमेश्वर मनुष्य मनुष्य को सिद्ध करता है वह ऐसा ही है। यदि मनुष्य उस गति से चल न पाए, तो उसे किसी भी समय छोड़ा जा सकता है।
24.10.17
परमेश्वर सम्पूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियन्ता है
मानवजाति का सदस्य और सच्चे ईसाई होने के नाते, अपने मन और शरीर को परमेश्वर के आदेश को पूरा करने के लिए समर्पित करना हम सभी की ज़िम्मेदारी और दायित्व है, क्योंकि हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व परमेश्वर से आया है, और यह परमेश्वर की संप्रभुता के कारण अस्तित्व में है।
23.10.17
छुटकारे के युग में कार्य से सम्बन्धित सत्य
मेरी सम्पूर्ण प्रबन्धन योजना, जो छः हज़ार सालों तक फैली हुई है, तीन चरणों या तीन युगों को शामिल करती हैः पहला, व्यवस्था का युग; दूसरा, अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत में राज्य का युग।
20.10.17
उद्धारकर्त्ता पहले से ही एक “सफेद बादल” पर सवार होकर वापस आ चुका है
18.10.17
देहधारियों में से कोई भी कोप के दिन से नहीं बच सकता है
आज, मैं तुम लोगों के स्वयं के जीवित रहने के वास्ते तुम लोगों को इस प्रकार से धिक्कारता हूँ, ताकि मेरा कार्य सुचारू रूप से प्रगति करे, और सम्पूर्ण जगत में मेरा आरंभिक कार्य, मेरे वचनों, अधिकार, प्रताप और मेरे न्याय को सभी देशों और राष्ट्रों के लोगों के लिए प्रकट करते हुए, और भी अधिक उचित ढंग से और पूरी तरह से किया जा सके।
15.10.17
एक वास्तविक मनुष्य का क्या अर्थ है
मनुष्य का प्रबंध करना मेरा कार्य है, और जब मैंने संसार को बनाया मेरे द्वारा उसे जीत लिया जाना, उस से भी अधिक पूर्व निर्धारित था।लोग नहीं जानते हैं कि अंतिम दिनों में मैं उन्हें पूरी तरह से जीत लूँगा, और वे इसके बारे में भी अनजान हैं कि मानव जाति के अवज्ञाकारीसदस्यों को जीत लेना ही शैतान को मेरे द्वारा हराने का प्रमाण है। परन्तु मैंने अपने शत्रु को पहले से ही बता दिया था जब उसने मेरे साथ संघर्ष किया कि मैं उन सभी का जीतने वाला बनूँगा जो शैतान के द्वारा ले लिए गए थे और बहुत पहले उसकी संतान बन गए थे, और उसके वफादार सेवक उसके घर की निगरानी करने लगे थे।
13.10.17
आज परमेश्वर के कार्य को जानना
इन दिनों में परमेश्वर के कार्यों को जानना, अधिकांशतः, अंत के दिनों के देहधारी परमेश्वर को जानना है, यह जानना है कि उसकी मुख्य सेवकाई क्या है और पृथ्वी पर वह क्या करने के लिए आया है।
10.10.17
वे सब जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं वे ही परमेश्वर का विरोध करते हैं
परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य, मनुष्यों में कैसा प्रभाव प्राप्त किया जाना है, और मनुष्य के प्रति परमेश्वर की इच्छा क्या है, को समझना यही सब बातें हर उस व्यक्ति को उपार्जित करनी चाहिए जो परमेश्वर का अनुसरण करता है। अभी सभी मनुष्यों में जिस चीज का अभाव है, वह है परमेश्वर के कार्य का ज्ञान। मनुष्य न बूझता है और न ही समझता है कि वास्तव में कौन सी चीज मनुष्य में परमेश्वर के कर्म, परमेश्वर के समस्त कार्य को, और सृष्टि की रचना के बाद से परमेश्वर की इच्छा को निर्मित करती है। यह अपर्याप्तता न केवल समस्त धार्मिक जगत में देखी जाती है, बल्कि इसके अलावा परमेश्वर के सभी विश्वासियों में भी देखी जाती है।
9.10.17
परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है
परमेश्वर भिन्न-भिन्न युगों के अनुसार अपने वचन कहता है और अपना कार्य करता है, तथा भिन्न-भिन्न युगों में, वह भिन्न-भिन्न वचन कहता है।
3.10.17
विश्वासियों को क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए
वो क्या है जो मनुष्य ने प्राप्त किया है जब उसने सर्वप्रथम परमेश्वर में विश्वास किया?
1.10.17
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अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ
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