2.4.19

2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?(5)

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा, 'हे यूसुफ! दाऊद की संतान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा'" (मत्ती 1:20-21)।

1.4.19

2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?(4)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     इस्राएल के सभी लोगों ने यहोवा को अपना प्रभु कहा। उस समय, उन्होंने उसे अपने परिवार का मुखिया माना, और पूरा इस्राएल एक बड़ा परिवार बन गया जिसमें हर कोई अपने प्रभु यहोवा की उपासना करता था। यहोवा का आत्मा प्रायः उन पर प्रकट होता था, और वह उनसे बोलता था अपनी वाणी कहता था, और उनके जीवन का मार्गदर्शन करने के लिए बादल और ध्वनि के एक स्तंभ का उपयोग करता था।

31.3.19

2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?(3)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     व्यवस्था के युग के दौरान, यहोवा ने मूसा के लिए अनेक आज्ञाएँ निर्धारित की कि वह उन्हें उन इस्राएलियों के लिए आगे बढ़ा दे जिन्होंने मिस्र से बाहर उसका अनुसरण किया था। ये आज्ञाएँ यहोवा द्वारा इस्राएलियों को दी गई थीं, और उनका मिस्र के लोगों से कोई संबंध नहीं था; वे इस्राएलियों को नियन्त्रण में रखने के अभिप्राय से थीं।

30.3.19

2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?(2)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     व्यवस्था के युग के दौरान, मानव जाति के मार्गदर्शन का कार्य यहोवा के नाम के अधीन किया गया था, और कार्य का पहला चरण पृथ्वी पर किया गया था। इस चरण का कार्य मंदिर और वेदी का निर्माण करना, और इस्राएल के लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए व्यवस्था का उपयोग करना और उनके बीच कार्य करना था।

29.3.19

2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?(1)

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"फिर परमेश्‍वर ने मूसा से यह भी कहा, 'तू इस्राएलियों से यह कहना, "तुम्हारे पितरों का परमेश्‍वर, अर्थात् अब्राहम का परमेश्‍वर, इसहाक का परमेश्‍वर, और याक़ूब का परमेश्‍वर, यहोवा, उसी ने मुझ को तुम्हारे पास भेजा है।" देख, सदा तक मेरा नाम यही रहेगा, और पीढ़ी पीढ़ी में मेरा स्मरण इसी से हुआ करेगा'" (निर्गमन 3:15)।

28.3.19

1. विभिन्न युगों में परमेश्वर को अलग-अलग नामों से क्यों बुलाया जाता है? परमेश्वर के नामों के महत्व क्या हैं?(6)


  परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

    और इसलिए, हर बार जब परमेश्वर आता है, तो उसे एक नाम से बुलाया जाता है, वह एक युग का प्रतिनिधित्व करता है, और वह एक नया मार्ग खोलता है; और प्रत्येक नए मार्ग पर, वह एक नया नाम अपनाता है, जो दर्शाता है कि परमेश्वर हमेशा नया है और कभी पुराना नहीं पड़ता है, और यह कि उसका कार्य हमेशा आगे बढ़ रहा है।

27.3.19

1. विभिन्न युगों में परमेश्वर को अलग-अलग नामों से क्यों बुलाया जाता है? परमेश्वर के नामों के महत्व क्या हैं?(5)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     प्रत्येक युग में, परमेश्वर नया कार्य करता है और उसे एक नए नाम से बुलाया जाता है; वह भिन्न-भिन्न युगों में एक ही कार्य कैसे कर सकता है?वह पुराने सेकैसे चिपका रह सकता है? यीशु का नाम छुटकारे के कार्यहेतु लिया गया था, तो क्या जब वह अंत के दिनों में लौटेगा तो तब भी उसे उसी नाम से बुलाया जाएगा? क्या वह अभी भी छुटकारे का कार्य करेगा?

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...