यदि परमेश्वर का आत्मा मनुष्यों से सीधे तौर पर बात करता, तो वे सब उस वचन के प्रति समर्पित हो जाते, प्रकाशन के वचनों के बिना नीचे गिर जाते, बिलकुल वैसे ही जैसे पौलुस ज्योति के मध्य भूमि पर गिर गया था जब उसने दमिश्क की यात्रा की थी। यदि परमेश्वर लगातार इसी तरीके से काम करता, तो मनुष्य वचन के द्वारा न्याय के माध्यम से अपने स्वयं के भ्रष्ट स्वभाव को जानने और उद्धार प्राप्त करने में कभी समर्थ नहीं होता।
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26.10.18
25.10.18
3. देह-धारी परमेश्वर के कार्य और आत्मा के कार्य के बीच क्या अंतर है?(7)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यह परमेश्वर के देहधारण का लाभ थाः वह मानव जाति के ज्ञान का लाभ उठा सकता था और लोगों से बात करने, और अपनी इच्छा को प्रकट करने के लिए मानवीय भाषा का उपयोग कर सकता था। उसने मनुष्यों के लिए अपनी गहरी, और ईश्वरीय भाषा की व्याख्या की एवं अनुवाद किया जिसे मानवीय भाषा, और मानवीय तरीके से समझने में लोगों को संघर्ष करना पड़ता था।
24.10.18
3. देह-धारी परमेश्वर के कार्य और आत्मा के कार्य के बीच क्या अंतर है?(11)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
देह में किए गए उसके कार्य के विषय में सबसे अच्छी बात यह है कि वह सटीक वचनों एवं उपदेशों को, और मानवजाति के लिए अपनी सटीक इच्छा को उन लोगों के लिए छोड़ सकता है जो उसका अनुसरण करते हैं, ताकि बाद में उसके अनुयायी देह में किए गए उसके समस्त कार्य और समूची मानवजाति के लिए उसकी इच्छा को अत्यधिक सटीकता एवं अत्यंत ठोस रूप में उन लोगों तक पहुंचा सकते हैं जो इस मार्ग को स्वीकार करते हैं। केवल मनुष्य के बीच देह में प्रगट परमेश्वर का कार्य ही सचमुच में परमेश्वर के अस्तित्व और मनुष्य के साथ रहने के तथ्य को पूरा करता है।
22.10.18
3. देह-धारी परमेश्वर के कार्य और आत्मा के कार्य के बीच क्या अंतर है?(10
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
फिर भी, एक सच्चाई है जिसे तुम नहीं जानते हो: जब मनुष्य मसीह को देखता है तब उसका भ्रष्ट स्वभाव, विद्रोह और प्रतिरोध का खुलासा हो जाता है, और जिस विद्रोह और प्रतिरोध का खुलासा ऐसे अवसर पर होता है वह किसी अन्य समय की अपेक्षा कहीं ज़्यादा पूर्ण और निश्चित होता है।
20.10.18
3. देह-धारी परमेश्वर के कार्य और आत्मा के कार्य के बीच क्या अंतर है?(9)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
क्योंकि वह मनुष्य है जिसका न्याय किया जाता है, मनुष्य जो हाड़-मांस का है और उसे भ्रष्ट किया जा चुका है, और यह शैतान का आत्मा नहीं है जिसका सीधे तौर पर न्याय किया जाता है, न्याय के कार्य को आत्मिक संसार में सम्पन्न नहीं किया जाता है, परन्तु मनुष्यों के बीच किया जाता है।
19.10.18
3. देह-धारी परमेश्वर के कार्य और आत्मा के कार्य के बीच क्या अंतर है?(6)
3. देह-धारी परमेश्वर के कार्य और आत्मा के कार्य के बीच क्या अंतर है?(6)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
जब परमेश्वर ने देहधारण नहीं किया था, तब जो कुछ वह कहता था लोग उसे काफी हद तक नहीं समझते थे क्योंकि वह पूर्ण दिव्यता से आया था। वह दृष्टिकोण और सन्दर्भ जिन के बारे में वह कहता था वह मानव जाति के लिए अदृश्य और अगम्य था; वह आध्यात्मिक आयाम से प्रकट होता था जिसे लोग समझ नहीं सकते थे। ऐसे लोग जिन्होंने देह में जीवन बिताया था, वे आध्यात्मिक आयाम से होकर गुज़र नहीं सकते थे।
18.10.18
3. देह-धारी परमेश्वर के कार्य और आत्मा के कार्य के बीच क्या अंतर है?(5)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
क्योंकि हर कोई जो सत्य की खोज करता है और परमेश्वर के प्रकट होने की लालसा करता है, आत्मा का कार्य केवल हृदय स्पर्श या प्रकाशन, और अद्भुतता का एहसास प्रदान कर सकता है जो अवर्णनीय एवं अकल्पनीय है, और ऐसा एहसास प्रदान करता है कि यह महान, सर्वोपरि, एवं प्रशंसनीय है, फिर भी सभी के लिए अप्राप्य एवं असाध्य भी है।
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