22.10.18

3. देह-धारी परमेश्वर के कार्य और आत्मा के कार्य के बीच क्या अंतर है?(10

     परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      फिर भी, एक सच्चाई है जिसे तुम नहीं जानते हो: जब मनुष्य मसीह को देखता है तब उसका भ्रष्ट स्वभाव, विद्रोह और प्रतिरोध का खुलासा हो जाता है, और जिस विद्रोह और प्रतिरोध का खुलासा ऐसे अवसर पर होता है वह किसी अन्य समय की अपेक्षा कहीं ज़्यादा पूर्ण और निश्चित होता है। मसीह मनुष्य का पुत्र है और सामान्य मानवता रखता है जिस कारण मनुष्य न तो उसका सम्मान करता और न ही आदर करता है। परमेश्वर देह में रहता है इस कारण से मनुष्य का विद्रोह पूरी तरह और स्पष्ट रूप से प्रकाश में लाया जाता है। अतः मैं कहता हूँ कि मसीह के आगमन ने मानवजाति के सारे विद्रोह को खोज निकाला है और मानवजाति के स्वभाव को बहुत ही स्पष्ट रूप से दृश्य बना दिया है। इसे कहते हैं "लालच देकर एक बाघ को पहाड़ के नीचे ले आना" और "लालच देकर एक भेड़िए को गुफा से बाहर ले आना।"

"वचन देह में प्रकट होता है" से "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं" से
जब देहधारी परमेश्वर आधिकारिक रूप से अपना कार्य करता है तो मनुष्य की धारणाओं का भेद खुल जाता है, क्योंकि देहधारी परमेश्वर की साधारणता एवं वास्तविकता मनुष्य की कल्पना में अस्पष्ट एवं अलौकिक परमेश्वर के विपरीत है। मनुष्य की मूल धारणाओं को केवल देहधारी परमेश्वर से उनके अन्तर के माध्यम से ही प्रगट किया जा सकता है। देहधारी परमेश्वर से तुलना किए बगैर, मनुष्य की धारणाओं को प्रगट नहीं किया जा सकता था; दूसरे शब्दों में, वास्तविकता के अन्तर के बगैर अस्पष्ट चीज़ों को प्रगट नहीं किया जा सकता था। इस कार्य को करने के लिए कोई भी शब्दों का प्रयोग करने में सक्षम नहीं है, और कोई भी शब्दों का उपयोग करके इस कार्य को स्पष्टता से व्यक्त करने में सक्षम नहीं है। केवल स्वयं परमेश्वर ही अपना खुद का कार्य कर सकता है, और कोई अन्य उसके स्थान पर इस कार्य को नहीं कर सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मनुष्य की भाषा कितनी समृद्ध है, वह परमेश्वर की वास्तविकता एवं साधारणता को स्पष्टता से व्यक्त करने में असमर्थ है। मनुष्य केवल और अधिक व्यावहारिकता से परमेश्वर को जान सकता है, और केवल उसे और अधिक साफ साफ देख सकता है, यदि परमेश्वर व्यक्तिगत तौर पर मनुष्य के मध्य कार्य करे और पूरी तरह से अपने स्वरूप एवं अपने अस्तित्व को प्रगट करे। यह प्रभाव किसी भी शारीरिक मनुष्य के द्वारा हासिल नहीं किया जा सकता है। निश्चित रूप से, परमेश्वर का आत्मा भी इस प्रभाव को हासिल करने में असमर्थ है। परमेश्वर भ्रष्ट मनुष्य को शैतान के प्रभाव से बचा सकता है, परन्तु इस कार्य को सीधे तौर पर परमेश्वर के आत्मा के द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता है, इसके बजाए, इसे केवल उस देह के द्वारा किया जा सकता है जिसे परमेश्वर के आत्मा ने पहना है, और परमेश्वर के देहधारी शरीर के द्वारा किया जा सकता है।

"वचन देह में प्रकट होता है" से "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं" से

Source From:सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य,अंतिम दिनों के मसीह के लिए गवाहियाँ  

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