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17.1.18
16.1.18
केवल पूर्ण बनाया गया ही एक सार्थक जीवन जी सकता है
वास्तव में, जो कार्य अब किया जा रहा है वह लोगों से शैतान का त्याग करवाने, उनके पुराने पूर्वजों का त्याग करवाने के लिए किया जा रहा है। वचन के द्वारा सभी न्यायों का उद्देश्य मानवता के भ्रष्ट स्वभाव को उजागर करना है और लोगों को जीवन का सार समझने में समर्थ बनाना है। ये बार-बार के न्याय मनुष्य के हदयों को छेद देते हैं।
10.1.18
जो नये काम को स्वीकारते हैं वो धन्य हैं
धन्य हैं वो सभी जो, हैं सक्षम आज्ञा पालन में
उस पवित्र आत्मा के, वास्तविक कथनों की।
फर्क नहीं पड़ता वो कैसे थे, कैसे पवित्र आत्मा,
कैसे पवित्र आत्मा, उनमें काम किया करती थी,
जिन्हों ने पा लिए नव अवसर, सबसे अधिक धन्य हैं वो।
नव अवसर पालन में, जो नाकाम हो जाएं वो तो लुप्त हो जायेंगे।
प्र भु उन्हें ही चाहतें हैं, नयी रोशनी को जो माने,
और उनके नए काम को जो, स्वीकारें और जानें।
7.1.18
जो आज परमेश्वर के कार्य को जानते हैं केवल वे ही परमेश्वर की सेवा कर सकते हैं
परमेश्वर की गवाही देने के लिए और बड़े लाल अजगर को शर्मिन्दा करने के लिए तुम्हारे पास एक सिद्धांत, एक शर्त होनी चाहिए: अपने दिल में तुम्हें परमेश्वर से प्रेम करना चाहिए और परमेश्वर के वचनों में प्रवेश करना चाहिए। यदि तू परमेश्वर के वचनों में प्रवेश नहीं करेगा तो तेरे पास शैतान को शर्मिन्दा करने का कोई तरीका नहीं होगा। अपने जीवन के विकास द्वारा, तुम बड़े लाल अजगर को त्यागते हो और उसका अत्यधिक तिरस्कार करते हो, और केवल तभी बड़ा लाल अजगर पूरी तरह से शर्मिन्दा होगा। जितना अधिक तुम परमेश्वर के वचनों को अभ्यास में लाने के इच्छुक होगे, उतना ही अधिक परमेश्वर के प्रति तुम्हारे प्रेम का सबूत होगा और उस बड़े लाल अजगर के लिए घृणा होगी; जितना अधिक तुम परमेश्वर के वचनों का पालन करोगे, उतना ही अधिक सत्य के प्रति तुम्हारी अभिलाषा का सबूत होगा।
2.1.18
ईश्वर का संरक्षण सदा मानवजाति के लिए है
देखते हैं ईश्वर अपनी सृष्टि, हैं देखते, दिन-प्रतिदिन, निहारते।
विनय से छिप कर वे, मानव-जीवन परखते, इंसाँ के हर काम देखते।
कौन हैं जो सच में प्रभु को समर्पित हुए?
किसी ने किया कभी सच्चाई की साधना?
किसने माना प्रभु को ह्रदय से, वादे निभाए और,
कर्तव्य पूरे किये?
किसने बसाया प्रभु को कभी अपने ह्रदय में?
किसने प्रभु को अपने प्राणों सा प्यारा माना?
किसने देखा उनके दिव्य पूर्ण रूप को,
और ईश्वर को छूना चाहा?
31.12.17
Hindi Gospel Song | परमेश्वर का स्वभाव है उत्कृष्ट और भव्य | Understand the Feelings of God
परमेश्वर नाराज़ है कि, अधर्मी चीज़ें इंसान को दुख दे रही हैं,
अंधकार और बुराई का अस्तित्व है,
जैसे वे चीज़ें जो सच्चाई को नकारती हैं,
कि अच्छाई के प्रतिकूल हैं,
कि अच्छाई के प्रतिकूल हैं।
उसका रोष, बुराइयों के अंत का प्रतीक,
परमेश्वर का रोष, उसकी पवित्रता का प्रतीक है, उसकी पवित्रता का प्रतीक है।
28.12.17
परमेश्वर स्वयं के लिए इंसान की सच्ची आस्था और प्रेम पाने की करता है आशा
परमेश्वर करता है आशा, जब तुम समझो,
उसके सच्चे रूप को,
तुम हो जाओगे उनके और करीब;
सच्चे दिल से समझोगे उनके प्रेम को,
इंसानियत के लिए उनकी चिंता की करोगे सच्ची तारीफ़;
अपने दिल को सौंप दोगे उनके हाथ में,
न रहेगा शंका न होगा कोई संदेह उनके बारे में,
इंसान के लिए वो सब कुछ करते हैं, लेकिन चुपके से,
उनकी सच्चाई, निष्ठा और प्यार मिलता है इंसान को चुपके से।
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अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ
संदर्भ के लिए बाइबिल के पद: "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...
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सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य का प्रबंध करना मेरा कार्य है, और जब मैंने संसार को बनाया मेरे द्वारा उसे जीत लिया जाना, उस से भी अधिक प...
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परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: व्यवस्था के युग के दौरान, यहोवा ने मूसा के लिए अनेक आज्ञाएँ निर्धारित की कि वह उन्हें उन इस्राएलियों ...