30.11.18

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?(11)

 (परमेश्वर के वचन का चुना गया अवतरण)

      देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं

यदि अंत के दिनों में इस चरण के पूरक के बिना केवल यीशु का कार्य किया गया होता, तो मनुष्य ने हमेशा के लिए यह अवधारणा बना ली होती कि केवल यीशु ही परमेश्वर का पुत्र है, अर्थात्, परमेश्वर का सिर्फ एक ही पुत्र है, और यह कि उसके बाद कोई भी जो किसी दूसरे नाम से आता है वह परमेश्वर का एकमात्र पुत्र नहीं होगा, परमेश्वर स्वयं तो बिल्कुल भी नहीं होगा।

29.11.18

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?(10)

     (परमेश्वर के वचन का चुना गया अवतरण)

      देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं

परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य के प्रत्येक चरण का एक वास्तविक महत्व है। जब यीशु का आगमन हुआ, वह पुरुष था, और इस बार वह स्त्री है। इससे, तुम देख सकते हो कि परमेश्वर ने अपने कार्य के लिए पुरुष और स्त्री दोनों का सृजन किया और वह लिंग के बारे में कोई भी भेदभाव नहीं करता है।

28.11.18

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?(9)

      परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     चाहे इस चरण में देहधारी परमेश्वर कठिनाईयों को सह रहा हो या अपनी सेवकाई को कर रहा हो, वह इसे केवल देहधारण के अर्थ को पूरा करने के लिए करता है, क्योंकि यह परमेश्वर का अंतिम देहधारण है। परमेश्वर केवल दो बार देहधारण कर सकता है।

27.11.18

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?(8)

 परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      परमेश्वर न केवल पवित्रात्मा, वह आत्मा, सात गुना तीव्र पवित्रात्मा, सर्व-व्यापी पवित्रात्मा है, बल्कि एक व्यक्ति, एक साधारण व्यक्ति, अपवादात्मक रूप से एक सामान्य व्यक्ति भी है। वह न सिर्फ़ नर, बल्कि नारी भी है। वे इस बात में एक समान हैं कि वे दोनों ही मानवों से जन्मे हैं, और इस बात पर असमान हैं कि एक का पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भधारण किया गया है और दूसरा, मानव से जन्मा है, परन्तु प्रत्यक्ष रूप से पवित्रात्मा से ही उत्पन्न है।

26.11.18

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?(7)

  परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: 

      परमेश्वर पृथ्वी पर मुख्य रूप से "वचन देहधारी हुआ" के सत्य को पूर्ण करने आया है, कहने का अर्थ है कि वह आया है ताकि उसके वचन देह से निर्गत हो जाएँ (पुराने नियम में मूसा के समय के जैसे नहीं, जब परमेश्वर सीधे स्वर्ग से बातचीत करता था)। इसके बाद, उसका प्रत्येक वचन सहस्राब्दि राज्य के युग में पूर्ण होगा, वे मनुष्यों की आँखों के सामने दिखाई देने वाले तथ्य बन जाएँगे, और लोग स्वयं की आखों से बिना किसी भेद के उन्हें देखेंगे।

25.11.18

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?(6)

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?(6)

      परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      अनुग्रह के युग में, परमेश्वर ने वचन का कार्य नहीं किया, किन्तु समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए केवल सलीब पर चढ़ने का वर्णन किया।अनुग्रह के युग में, परमेश्वर ने वचन का कार्य नहीं किया, किन्तु समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए केवल सलीब पर चढ़ने का वर्णन किया।

24.11.18

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?(5)

परमेश्वर के वचनों के उद्धरणों, वचन परमेश्वर के साथ था, उद्धार, निर्णय,

7. यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?(5)

      परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     यीशु ने कार्य का एक चरण किया, जिसने केवल "वचन परमेश्वर के साथ था" के सार को पूरा किया: परमेश्वर का सत्य परमेश्वर के साथ था, और परमेश्वर का आत्मा देह के साथ था और उससे अभिन्न था, अर्थात्, देहधारी परमेश्वर का देह परमेश्वर के आत्मा के साथ था, जो कि एक अधिक बड़ा प्रमाण है कि देहधारी यीशु परमेश्वर का प्रथम देहधारण था।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...