21.4.19

1. अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु द्वारा व्यक्त वचनों और राज्य के युग में सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त वचनों में क्या अंतर है?(3)

  परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      आओ सब से पहले "पहाड़ी उपदेश" के प्रत्येक भाग को देखें। यह सब किस से सम्बन्धित हैं? ऐसा निश्चितता के साथ कहा जा सकता है कि ये सभी व्यवस्था के युग की रीति विधियों से अधिक उन्नत, अधिक ठोस, और लोगों के जीवन के अत्यंत निकट हैं। आधुनिक शब्दावलियों में कहा जाए, तो यह लोगों के व्यावहारिक अभ्यास से ज़्यादा सम्बद्ध है।

20.4.19

1. अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु द्वारा व्यक्त वचनों और राज्य के युग में सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त वचनों में क्या अंतर है?(2)

  
परमेश्वर के वचनों के उद्धरणों, बाइबिल अध्ययन, परमेश्वर का उद्धार,

    उस समय, यीशु ने अनुग्रह के युग में अपने अनुयायियों को उपदेशों की एक श्रृंखला कही, जैसे कि कैसे अभ्यास करें, कैसे एक साथ इकट्ठा हों, प्रार्थना में कैसे माँगें, दूसरों के साथ कैसे व्यवहार करें इत्यादि। जो कार्य उसने किया वह अनुग्रह के युग का था, और उन्होंने केवल यह प्रतिपादित किया कि शिष्य और वे जिन्होंने परमेश्वर का अनुसरण किया कैसे अभ्यास करें।

18.4.19

4. परमेश्वर के नाम के महत्व को नहीं जानने और परमेश्वर के नये नाम को स्वीकार न करने की मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है?(4)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

    फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया, क्या तुम लोग उसका कारण जानना चाहते हो? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे ज्यादा और क्या, उन्होंने केवल इस बात पर विश्वास किया कि मसीहा आएगा, मगर जीवन के इस सत्य की खोज नहीं की। और इसलिए, वे आज भी मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं, क्यों उन्हें जीवन के मार्ग के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं है, और नहीं जानते कि सत्य का मार्ग क्या है? तुम लोग कैसे कहते हो कि ऐसे मूर्ख, हठधर्मी और अज्ञानी लोग परमेश्वर के आशीष प्राप्त करेंगे? वे मसीहा को कैसे देख सकते हैं?

17.4.19

4. परमेश्वर के नाम के महत्व को नहीं जानने और परमेश्वर के नये नाम को स्वीकार न करने की मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है?(3)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

    यदि तुम लोग परमेश्वर को मापने और निरूपित करने के लिए धारणाओं का उपयोग करते हो, मानो कि परमेश्वर मिट्टी की कोई अपरिवर्ती मूर्ति हो, और तुम लोग परमेश्वर को बाइबल के भीतर सीमांकित करते हो, और उसे कार्यों के एक सीमित दायरे में समाविष्ट करते हो, तो इससे यह प्रमाणित होता है कि तुम लोगों ने परमेश्वर को निन्दित किया है।

16.4.19

4. परमेश्वर के नाम के महत्व को नहीं जानने और परमेश्वर के नये नाम को स्वीकार न करने की मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है?(2)

परमेश्वर के वचनों के उद्धरणों, परमेश्वर का नाम, यीशु के नाम,
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     यदि मनुष्य हमेशा मुझे यीशु मसीह कहकर सम्बोधित करता है, किन्तु यह नहीं जानता है कि मैंने इन अंतिम दिनों के दौरान एक नए युग की शुरूआत कर दी है और एक नया साहसिक कार्य प्रारम्भ कर दिया है, और यदि मनुष्य हमेशा सनकियों की तरह उद्धारकर्त्ता यीशु के आगमन का इन्तज़ार करता रहता है, तो मैं कहूँगा कि ऐसे लोग उसके समान हैं जो मुझ पर विश्वास नहीं करते हैं।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...