परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यदि मनुष्य हमेशा मुझे यीशु मसीह कहकर सम्बोधित करता है, किन्तु यह नहीं जानता है कि मैंने इन अंतिम दिनों के दौरान एक नए युग की शुरूआत कर दी है और एक नया साहसिक कार्य प्रारम्भ कर दिया है, और यदि मनुष्य हमेशा सनकियों की तरह उद्धारकर्त्ता यीशु के आगमन का इन्तज़ार करता रहता है, तो मैं कहूँगा कि ऐसे लोग उसके समान हैं जो मुझ पर विश्वास नहीं करते हैं। वे ऐसे लोग हैं जो मुझे नहीं जानते हैं, और मुझ पर उनका विश्वास एक ढकोसला है। क्या ऐसे लोग उद्धारकर्त्ता यीशु के स्वर्ग से आगमन का दर्शन कर सकते हैं? वे मेरे आगमन का इन्तज़ार नहीं करते हैं, बल्कि वे यहूदियों के राजा के आगमन का इन्तज़ार करते हैं। वे मेरे द्वारा इस पुराने अशुद्ध संसार के सम्पूर्ण विनाश की लालसा नहीं करते हैं, बल्कि इसके बजाए यीशु के द्वितीय आगमन की लालसा करते हैं, जिसके पश्चात उन्हें छुटकारा दिया जाएगा; वे यीशु की प्रतीक्षा करते हैं कि वह एक बार फिर से पूरी मानवजाति को इस अशुद्ध और अधर्मी भूमि से छुटकारा दिलाए। ऐसे लोग उनके समान कैसे बन सकते हैं जो अंत के दिनों के दौरान मेरे काम को पूरा करते हैं? मनुष्य की कामनाएँ मेरी इच्छाओं को प्राप्त करने या मेरे कार्य को पूरा करने में अक्षम हैं, क्योंकि मनुष्य मात्र उस कार्य की प्रशंसा करता है और उससे प्यार करता है जिसे मैंने पहले किया है, और उसे कोई अंदाजा नहीं है कि मैं परमेश्वर स्वयं हूँ जो हमेशा से नया है और कभी पुराना नहीं होता है। मनुष्य केवल इतना जानता है कि मैं यहोवा, और यीशु हूँ, और उसको कोई आभास नहीं है कि मैं ही अंतिम, वह एक हूँ जो मानवजाति को समाप्त करेगा। वह सब जिसके लिए मनुष्य तरसता है और जिसे जानता है वह उसकी स्वयं की धारणा है, और मात्र वह है जिसे वह अपनी आँखों से देख सकता है। यह उस कार्य के अनुसार नहीं है जो मैं करता हूँ, बल्कि उसके असंगत है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "उद्धारकर्त्ता पहले से ही एक "सफेद बादल" पर सवार होकर वापस आ चुका है" से
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