22.4.19

1. अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु द्वारा व्यक्त वचनों और राज्य के युग में सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त वचनों में क्या अंतर है?(4)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
     परमेश्वर द्वारा इस युग में बोले गये वचन, व्यवस्था के युग के दौरान बोले गए वचनों से भिन्न हैं, और इसलिए, वे अनुग्रह के युग के दौरान बोले गये वचनों से भी भिन्न हैं। अनुग्रह के युग में, परमेश्वर ने वचन का कार्य नहीं किया, किन्तु समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए केवल सलीब पर चढ़ने का वर्णन किया। बाइबिल में केवल यह वर्णन किया गया है कि यीशु को क्यों सलीब पर चढ़ाया जाना था, और सलीब पर उसने कौन-कौन सी तकलीफें सही, और कैसे मनुष्य को परमेश्वर के लिये सलीब पर चढ़ना जाना चाहिए। उस युग के दौरान, परमेश्वर द्वारा किया गया समस्त कार्य सलीब पर चढ़ने के आस-पास केंद्रित था। राज्य के युग के दौरान, देहधारी परमेश्वर ने उन सभी लोगों को जीतने के लिए वचन बोले जिन्होंने उस पर विश्वास किया। यह "वचन का देह में प्रकट होना" है; परमेश्वर इस कार्य को करने के लिए अंत के दिनों में आया है, जिसका अर्थ है कि वह वचन का देह में प्रकट होना के वास्तविक महत्व को कार्यान्वित करने के लिए आया।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है" से
    स्रोत:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया -अंत के दिनों के मसीह के लिए गवाहियाँ

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