27.1.19

4. परमेश्वर के कार्य के तीन चरण किस तरह क्रमशः गहनतर होते जाते हैं ताकि लोगों को बचाया जा सके और उन्हें परिपूर्ण किया जा सके?(3)

      परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      यीशु द्वारा किया गया कार्य पुराने विधान से महज एक चरण ऊँचा था; एक युग शुरू करने के लिए और उस युग की अगुआई करने के लिए इसका उपयोग किया गया था। उसने क्यों कहा था, "यह न समझो, कि मैं व्यवस्था या भविष्यवक्ताओं की पुस्तकों का लोप करने आया हूँ, लोप करने नहीं किन्तु पूरा करने आया हूँ"? फिर भी उसके काम में बहुत कुछ ऐसा था जो पालन किये जाने वाले कानून और पुराने विधान के इस्त्राएलियों द्वारा पालन किए जाने वाली आज्ञाओं से अलग था, क्योंकि वह नियमों का पालन करने नहीं आया था, बल्कि इसे पूरा करने के लिए आया था।

25.1.19

4. परमेश्वर के कार्य के तीन चरण किस तरह क्रमशः गहनतर होते जाते हैं ताकि लोगों को बचाया जा सके और उन्हें परिपूर्ण किया जा सके?(2)

      परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      परमेश्वर के प्रबंधन का कार्य संसार की उत्पत्ति से प्रारम्भ हुआ था और मनुष्य उसके कार्य का मुख्य बिन्दु है। ऐसा कह सकते हैं कि परमेश्वर की सभी चीज़ों की सृष्टि, मनुष्य के लिए ही है। क्योंकि उसके प्रबंधन का कार्य हज़ारों सालों से अधिक में फैला हुआ है, और यह केवल एक ही मिनट या सेकंड में या पलक झपकते या एक या दो सालों में पूरा नहीं होता है, उसे मनुष्य के अस्तित्व के लिए बहुत-सी आवश्यक चीज़ों का निर्माण करना पड़ा जैसे सूर्य, चंद्रमा, सभी जीवों का सृजन और मानवजाति के लिए आहार और रहने योग्य पर्यावरण। यही परमेश्वर के प्रबंधन का प्रारम्भ था।

24.1.19

4. परमेश्वर के कार्य के तीन चरण किस तरह क्रमशः गहनतर होते जाते हैं ताकि लोगों को बचाया जा सके और उन्हें परिपूर्ण किया जा सके?(1)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर के सम्पूर्ण प्रबंधन को तीन चरणों में विभक्त किया गया है, और प्रत्येक चरण में, मनुष्य से यथोचित अपेक्षाएं की जाती हैं। इसके अतिरिक्त, जैसे जैसे युग बीतते एवं आगे बढ़ते जाते हैं, परमेश्वर की समस्त मानवजाति से अपेक्षाएं और अधिक ऊँची होती जाती हैं। इस प्रकार, कदम दर कदम, परमेश्वर का प्रबंधन अपने चरम पर पहुंच जाता है, जब तक मनुष्य "देह में वचन के प्रकट होने" को देख नहीं लेता, और इस तरह से मनुष्य से की गई अपेक्षाएं और अधिक ऊँची हो जाती हैं, और गवाही देने के लिए मनुष्य से अपेक्षाएं और भी अधिक ऊँची हो जाती हैं।

23.1.19

3. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।(7)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

       आरंभ से आज तक किए गए कार्य के सभी तीन चरण परमेश्वर स्वयं के द्वारा किए गए थे और एक ही परमेश्वर के द्वारा किए गए थे। कार्य के तीन चरणों की वास्तविकता समस्त मानवजाति की परमेश्वर की अगुआई की वास्तविकता है, एक ऐसा तथ्य जिसे कोई नकार नहीं सकता है। कार्य के तीन चरणों के अंत में, सभी चीज़ें उसके प्रकारों के आधार पर वर्गीकृत की जाएँगी और परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन लौट जाएँगी, क्योंकि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में केवल इसी एक परमेश्वर का अस्तित्व है, और कोई दूसरा धर्म नहीं है।

22.1.19

3. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।(6)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     परमेश्वर की सम्पूर्ण प्रबंधकीय योजना के कार्य को व्यक्तिगत तौर पर स्वयं परमेश्वर के द्वारा किया गया है। प्रथम चरण - संसार की सृष्टि – को परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत तौर पर किया गया था, और यदि इसे नहीं किया गया होता, तो कोई भी मानवजाति की सृष्टि करने में सक्षम नहीं होता; दूसरा चरण सम्पूर्ण मानवजाति का छुटकारा था, और इसे भी स्वयं परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत तौर पर किया गया था; तीसरा चरण स्पष्ट है: परमेश्वर के सम्पूर्ण कार्य के अन्त को स्वयं परमेश्वर के द्वारा किये जाने की तो और भी अधिक आवश्यकता है।

21.1.19

3. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।(5)

परमेश्वर के वचनों के उद्धरणों, परमेश्वर के कार्य के तीन चरण,
    
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     परमेश्वर के सम्पूर्ण प्रबंधन को तीन चरणों में विभक्त किया गया है, और प्रत्येक चरण में, मनुष्य से यथोचित अपेक्षाएं की जाती हैं। इसके अतिरिक्त, जैसे जैसे युग बीतते एवं आगे बढ़ते जाते हैं, परमेश्वर की समस्त मानवजाति से अपेक्षाएं और अधिक ऊँची होती जाती हैं।

18.1.19

3. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।(4)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

   कार्य का अंतिम चरण अकेला नहीं होता है, बल्कि यह उस पूर्ण का हिस्सा है जो पिछले दो चरणों के साथ मिलकर बनता है, कहने का अर्थ है कि कार्य के तीनों चरणों में से केवल एक को करके उद्धार के समस्त कार्य को पूर्ण करना असम्भव है। भले ही कार्य का अंतिम चरण मनुष्य को पूरी तरह से बचाने में समर्थ है, किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि केवल इसी एक चरण को इसी के दम पर करना आवश्यक है और यह कि कार्य के पिछले दो चरण मनुष्यों को शैतान के प्रभाव से बचाने के लिए आवश्यक नहीं हैं।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...