परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यीशु द्वारा किया गया कार्य पुराने विधान से महज एक चरण ऊँचा था; एक युग शुरू करने के लिए और उस युग की अगुआई करने के लिए इसका उपयोग किया गया था। उसने क्यों कहा था, "यह न समझो, कि मैं व्यवस्था या भविष्यवक्ताओं की पुस्तकों का लोप करने आया हूँ, लोप करने नहीं किन्तु पूरा करने आया हूँ"? फिर भी उसके काम में बहुत कुछ ऐसा था जो पालन किये जाने वाले कानून और पुराने विधान के इस्त्राएलियों द्वारा पालन किए जाने वाली आज्ञाओं से अलग था, क्योंकि वह नियमों का पालन करने नहीं आया था, बल्कि इसे पूरा करने के लिए आया था। इसे पूरा करने की प्रक्रिया में कई वास्तविक चीजें शामिल थीं: उसका काम अधिक व्यावहारिक और वास्तविक था, और इसके अलावा, वह जीवंत था, और सिद्धांतों का अंधा पालन नहीं था। क्या इस्राएली विश्रामदिन का पालन नहीं करते थे? जब यीशु आया, तो उसने विश्रामदिन का पालन नहीं किया, क्योंकि उसने कहा था कि मनुष्य का पुत्र विश्रामदिन का प्रभु है, और जब विश्रामदिन का प्रभु आ पहुंचा, तो वह जैसा करना चाहेगा वह वैसा करेगा। वह पुराने विधान के नियमों को पूरा करने और कानून को बदलने के लिए आया था। आज जो कुछ किया जाता है वह वर्तमान पर आधारित है, फिर भी यह अब भी व्यवस्था के युग में यहोवा के कार्य की नींव पर निर्भर है, और इस गुंजाइश का उल्लंघन नहीं करता है। उदाहरण के लिए, अपनी ज़बान सम्भालना, व्यभिचार न करना, क्या ये पुराने विधान के कानून नहीं हैं? आज, तुम लोगों से जो अपेक्षित है वह केवल दस वचनों तक ही सीमित नहीं है, लेकिन ऐसी आज्ञायें और कानून हैं जो पहले के मुकाबले और अधिक ऊँची हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि जो कुछ पहले आया था, उसे खत्म कर दिया गया है, क्योंकि परमेश्वर के काम का प्रत्येक चरण, पूर्व के चरण के नींव पर किया जाता है। यहोवा ने इस्राएल का जिससे परिचय कराया, जैसे कि बलिदान देना, माँ-बाप का आदर करना, मूर्ति-पूजा न करना, दूसरों पर वार न करना, दूसरों को अपशब्द न बोलना, व्यभिचार न करना, धूम्रपान न करना, मदिरापान न करना, मरे हुओं को न खाना, और लहू न पीना, क्या यह सब आज भी तुम लोगों के अभ्यास की नींव नहीं है? अतीत की नींव पर ही आज तक काम पूरा होता आया है। हालांकि, अतीत के नियमों का अब और उल्लेख नहीं किया जाता, और तुमसे कई नई बातें अपेक्षित हैं, लेकिन इन कानूनों को समाप्त नहीं किया गया है, इसके बजाय, उन्हें ऊपर उठाया गया है। यह कहना कि उन्हें समाप्त कर दिया गया है, इसका मतलब है कि पिछला युग पुराना हो गया है, फिर भी कुछ ऐसी आज्ञाएं हैं जिनका तुम्हें हमेशा सम्मान करना चाहिए। अतीत की आज्ञाएं पहले से ही लागू की जा चुकी हैं, वे पहले से ही मनुष्य का अस्तित्व बन चुकी हैं, और धूम्रपान न करने, मदिरापान न करने, आदि आज्ञाओं को दोहराने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस नींव पर, आज तुम लोगों की जरुरत के अनुसार, कद के अनुसार और आज के काम के अनुसार, नई आज्ञाएं निर्धारित की गई हैं। नए युग की आज्ञाओं का निर्धारण करने का मतलब,अतीत की आज्ञाओं को खत्म करना नहीं, बल्कि उन्हें इस आधार पर और ऊँचा उठाना, मनुष्य के क्रियाकलापों को और अधिक पूर्ण और वास्तविकता के अनुसार बनाना है। यदि, आज केवल तुम लोगों को आज्ञाओं का पालन करना होता और इस्राएलियों की तरह, पुराने विधान के नियमों का पालन करना होता, और यदि, तुम लोगों को यहोवा द्वारा निर्धारित कानूनों को याद तक रखना होता तो भी तुम लोगों के बदल सकने की कोई संभावना नहीं होती। यदि तुम लोगों को केवल उन कुछ सीमित आज्ञाओं का पालन करना होता या असंख्य नियमों को याद करना होता, तो तुम्हारी पुरानी प्रकृति गहराई में गड़ी रहती, और इसे उखाड़ने का कोई रास्ता नहीं होता। इस प्रकार तुम लोग और अधिक भ्रष्ट हो जाते, और तुम लोगों में से कोई एक भी आज्ञाकारी नहीं बनता। कहने का अर्थ यह है कि कुछ सरल आज्ञाएं या अनगिनत कानून तुम्हें यहोवा के कामों को जानने में मदद करने में असमर्थ हैं। तुम लोग इस्राएलियों के समान नहीं हो: कानून का पालन करते हुए और आज्ञाओं को याद करते हुए वे यहोवा के कार्यों को देख पाए, और सिर्फ उसकी ही भक्ति कर सके, लेकिन तुम लोग इसे प्राप्त करने में असमर्थ हो, और पुराने विधान के युग की कुछ आज्ञाएं न केवल तुम्हें अपना दिल देने में मदद करने में या तुम्हारी रक्षा करने में असमर्थ हैं, बल्कि ये तुम लोगों को शिथिल बना देंगीं, और तुम्हें अधोलोक पहुंचा देंगी। क्योंकि मेरा काम विजय का काम है, और तुम लोगों की पुरानी प्रकृति और अवज्ञा की ओर केंद्रित है। आज, यहोवा और यीशु के दया भरे शब्द, न्याय के कड़े शब्दों के सामने काफी नहीं पड़ते हैं। ऐसे कड़े शब्दों के बिना, तुम "विशेषज्ञों" पर विजय प्राप्त करना असंभव हो जायेगा, जो हजारों सालों से अवज्ञाकारी रहे हैं। पुराने विधान के नियमों ने बहुत पहले तुम लोगों पर अपनी शक्ति खो दी थी, और आज का न्याय पुराने नियमों की तुलना में कहीं ज्यादा भयंकर है। तुम लोगों के लिए न्याय सबसे उपयुक्त है, कानून के तुच्छ प्रतिबंध नहीं, क्योंकि तुम लोग बिल्कुल प्रारम्भ वाली मानवजाति नहीं हो, बल्कि वो मानवजाति हो जो हजारों वर्षों से भ्रष्ट रही है। आज मनुष्य को जो हासिल करना है, वो मनुष्य की आज की वास्तविक दशा के अनुसार है, वर्तमान-दिन के मनुष्य की क्षमता और वास्तविक कद के अनुसार है, और इसकी आवश्यकता नहीं है कि तुम सिद्धांतों का पालन रो। ऐसा इसलिए है कि तुम्हारी पुरानी प्रकृति में परिवर्तन हो सके, और ताकि तुम अपनी अवधारणाओं को त्याग को।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के काम का दर्शन (1)" से
Source From:सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य,अंतिम दिनों के मसीह के लिए गवाहियाँ, II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए
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