18.1.19

3. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।(4)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

   कार्य का अंतिम चरण अकेला नहीं होता है, बल्कि यह उस पूर्ण का हिस्सा है जो पिछले दो चरणों के साथ मिलकर बनता है, कहने का अर्थ है कि कार्य के तीनों चरणों में से केवल एक को करके उद्धार के समस्त कार्य को पूर्ण करना असम्भव है। भले ही कार्य का अंतिम चरण मनुष्य को पूरी तरह से बचाने में समर्थ है, किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि केवल इसी एक चरण को इसी के दम पर करना आवश्यक है और यह कि कार्य के पिछले दो चरण मनुष्यों को शैतान के प्रभाव से बचाने के लिए आवश्यक नहीं हैं।

17.1.19

3. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।(3)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      वर्तमान में किए गए कार्य ने अनुग्रह के युग के कार्य को आगे बढ़ाया है; अर्थात्, समस्त छह हजार सालों की प्रबन्धन योजना में कार्य आगे बढ़ाया है। यद्यपि अनुग्रह का युग समाप्त हो गया है, किन्तु परमेश्वर के कार्य ने आगे प्रगति की है। मैं क्यों बार-बार कहता हूँ कि कार्य का यह चरण अनुग्रह के युग और व्यवस्था के युग पर आधारित है? इसका अर्थ है कि आज के दिन का कार्य अनुग्रह के युग में किए गए कार्य की निरंतरता और व्यवस्था के युग में किए कार्य का उत्थान है।

16.1.19

3. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।(2)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:


     … अंत के दिनों में किया गया कार्य व्यवस्था के युग या अनुग्रह के युग के कार्य का स्थान नहीं ले सकता है। हालाँकि, तीनों चरण आपस में एक दूसरे से जुड़कर एक सत्त्व बन जाते हैं और सभी एक ही परमेश्वर के द्वारा किये गए कार्य हैं। स्वाभाविक रूप में, इस कार्य का क्रियान्वयन तीन अलग-अलग युगों में विभाजित है। अंत के दिनों में किया गया कार्य हर चीज़ को समाप्ति की ओर ले जाता है; जो कुछ व्यवस्था के युग में किया गया वह आरम्भ का कार्य है; और जो अनुग्रह के युग में किया गया वह छुटकारे का कार्य है।

15.1.19

3. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।(1)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यहोवा के कार्य से ले कर यीशु के कार्य तक, और यीशु के कार्य से लेकर इस वर्तमान चरण तक, ये तीन चरण परमेश्वर के प्रबंधन की पूर्ण परिसीमा को आवृत करते हैं, और यह समस्त एक ही पवित्रात्मा का कार्य है।

14.1.19

10. यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?(13)

       परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     उन लोगों का समूह जिन्हें देहधारी परमेश्वर आज प्राप्त करना चाहता है वे लोग हैं जो उसकी इच्छा के अनुरूप हैं। लोगों को केवल उसके कार्य का पालन करने की, न कि हमेशा स्वर्ग के परमेश्वर के विचारों से स्वयं को चिंतित करने, अस्पष्टता के भीतर रहने, या देहधारी परमेश्वर के लिए चीजें को मुश्किल बनाने की आवश्यकता है। जो लोग उसकी आज्ञा का पालन करने में सक्षम हैं वे लोग हैं जो पूर्णतः उसके वचनों को सुनते हैं और उसकी व्यवस्थाओं का पालन करते हैं।

13.1.19

10. यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?(12)

 

10. यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?(12)

 परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
    देह में किए गए उसके कार्य के विषय में सबसे अच्छी बात यह है कि वह सटीक वचनों एवं उपदेशों को, और मानवजाति के लिए अपनी सटीक इच्छा को उन लोगों के लिए छोड़ सकता है जो उसका अनुसरण करते हैं, ताकि बाद में उसके अनुयायी देह में किए गए उसके समस्त कार्य और समूची मानवजाति के लिए उसकी इच्छा को अत्यधिक सटीकता एवं अत्यंत ठोस रूप में उन लोगों तक पहुंचा सकते हैं जो इस मार्ग को स्वीकार करते हैं। केवल मनुष्य के बीच देह में प्रगट परमेश्वर का कार्य ही सचमुच में परमेश्वर के अस्तित्व और मनुष्य के साथ रहने के तथ्य को पूरा करता है।

12.1.19

10. यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?(11)

      परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

    मनुष्य की कल्पनाएं, आखिरकार, खोखली होती हैं, और परमेश्वर के सच्चे चेहरे का स्थान नहीं ले सकती हैं; मनुष्य के द्वारा परमेश्वर के अंतर्निहित स्वभाव, और स्वयं परमेश्वर के कार्य की नकल (रूप धारण) नहीं की जा सकती है। स्वर्ग के अदृश्य परमेश्वर और उसके कार्य को केवल देहधारी परमेश्वर के द्वारा ही पृथ्वी पर लाया जा सकता है जो मनुष्य के बीच में व्यक्तिगत रूप से अपना कार्य करता है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...