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24.4.19

1. अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु द्वारा व्यक्त वचनों और राज्य के युग में सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त वचनों में क्या अंतर है?(6)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
     इस युग के दौरान परमेश्वर द्वारा किया गया कार्य मुख्य रूप से मनुष्य के जीवन के लिए वचनों का प्रावधान करना, मनुष्य की प्रकृति के सार और भ्रष्ट स्वभाव को प्रकट करना था, धार्मिक अवधारणाओं, सामन्ती सोच, पुरानी सोच, साथ ही मनुष्य के ज्ञान और संस्कृति को समाप्त करना था।

13.1.19

10. यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?(12)

 

10. यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?(12)

 परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
    देह में किए गए उसके कार्य के विषय में सबसे अच्छी बात यह है कि वह सटीक वचनों एवं उपदेशों को, और मानवजाति के लिए अपनी सटीक इच्छा को उन लोगों के लिए छोड़ सकता है जो उसका अनुसरण करते हैं, ताकि बाद में उसके अनुयायी देह में किए गए उसके समस्त कार्य और समूची मानवजाति के लिए उसकी इच्छा को अत्यधिक सटीकता एवं अत्यंत ठोस रूप में उन लोगों तक पहुंचा सकते हैं जो इस मार्ग को स्वीकार करते हैं। केवल मनुष्य के बीच देह में प्रगट परमेश्वर का कार्य ही सचमुच में परमेश्वर के अस्तित्व और मनुष्य के साथ रहने के तथ्य को पूरा करता है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...