परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
उन लोगों का समूह जिन्हें देहधारी परमेश्वर आज प्राप्त करना चाहता है वे लोग हैं जो उसकी इच्छा के अनुरूप हैं। लोगों को केवल उसके कार्य का पालन करने की, न कि हमेशा स्वर्ग के परमेश्वर के विचारों से स्वयं को चिंतित करने, अस्पष्टता के भीतर रहने, या देहधारी परमेश्वर के लिए चीजें को मुश्किल बनाने की आवश्यकता है। जो लोग उसकी आज्ञा का पालन करने में सक्षम हैं वे लोग हैं जो पूर्णतः उसके वचनों को सुनते हैं और उसकी व्यवस्थाओं का पालन करते हैं। ये लोग इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं कि स्वर्ग का परमेश्वर वास्तव में किस तरह का है या स्वर्ग का परमेश्वर वर्तमान में मानवजाति में किस प्रकार का कार्य कर रहा है, लेकिन पृथ्वी के परमात्मा को पूर्णतः अपना हृदय दे देते हैं और वे उसके सामने अपने समस्त अस्तित्व रख देते हैं। वे अपनी स्वयं की सुरक्षा का कभी विचार नहीं करते हैं, और वे देहधारी परमेश्वर की सामान्य स्थिति और व्यावहारिकता पर कभी भी उपद्रव नहीं करते हैं। जो लोग देहधारी परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं वे उसके द्वारा पूर्ण बनाए जा सकते हैं। जो लोग स्वर्ग के परमेश्वर पर विश्वास करते हैं वे कुछ भी प्राप्त नहीं करेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह स्वर्ग का परमेश्वर नहीं, बल्कि पृथ्वी का परमेश्वर है जो लोगों को वादे और आशीषें प्रदान है। लोगों को स्वर्ग के परमेश्वर की ही हमेशा प्रशंसा नहीं करनी चाहिए और पृथ्वी के परमेश्वर को एक औसत व्यक्ति के रूप में नहीं देखना चाहिए। यह अनुचित है। स्वर्ग का परमेश्वर आश्चर्यजनक बुद्धि के साथ महान और अद्भुत है, किंतु यह विद्यमान बिल्कुल भी नहीं है। पृथ्वी का परमेश्वर बहुत ही औसत और नगण्य है; वह अति सामान्य भी है। उसका एक असाधारण मन या बहुत आश्चर्यचकित करने वाला कार्य नहीं है। वह सिर्फ एक बहुत ही सामान्य और व्यावहारिक तरीके से बोलता और कार्य करता है। यद्यपि वह गड़गड़ाहट के माध्यम से बात नहीं करता है या हवा और बारिश को नहीं बुलाता है, तब भी वह वास्तव में स्वर्ग के परमेश्वर का अवतरण है, और वह वास्तव में मनुष्यों के बीच रहने वाला परमेश्वर है। लोगों को उसका अतिशय वर्णन नहीं करना चाहिए जिसे वह समझने में सक्षम हैं और जो परमेश्वर के रूप में उनकी अपनी कल्पनाओं के अनुरूप है, या उसको नहीं देखना चाहिए जिसे वे स्वीकार नहीं कर सकते हैं और अधम के रूप में तो नितान्त कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। यह सब लोगों की विद्रोहशीलता है; यह परमेश्वर के प्रति मानवजाति के विरोध का समस्त स्रोत है।
उन लोगों का समूह जिन्हें देहधारी परमेश्वर आज प्राप्त करना चाहता है वे लोग हैं जो उसकी इच्छा के अनुरूप हैं। लोगों को केवल उसके कार्य का पालन करने की, न कि हमेशा स्वर्ग के परमेश्वर के विचारों से स्वयं को चिंतित करने, अस्पष्टता के भीतर रहने, या देहधारी परमेश्वर के लिए चीजें को मुश्किल बनाने की आवश्यकता है। जो लोग उसकी आज्ञा का पालन करने में सक्षम हैं वे लोग हैं जो पूर्णतः उसके वचनों को सुनते हैं और उसकी व्यवस्थाओं का पालन करते हैं। ये लोग इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं कि स्वर्ग का परमेश्वर वास्तव में किस तरह का है या स्वर्ग का परमेश्वर वर्तमान में मानवजाति में किस प्रकार का कार्य कर रहा है, लेकिन पृथ्वी के परमात्मा को पूर्णतः अपना हृदय दे देते हैं और वे उसके सामने अपने समस्त अस्तित्व रख देते हैं। वे अपनी स्वयं की सुरक्षा का कभी विचार नहीं करते हैं, और वे देहधारी परमेश्वर की सामान्य स्थिति और व्यावहारिकता पर कभी भी उपद्रव नहीं करते हैं। जो लोग देहधारी परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं वे उसके द्वारा पूर्ण बनाए जा सकते हैं। जो लोग स्वर्ग के परमेश्वर पर विश्वास करते हैं वे कुछ भी प्राप्त नहीं करेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह स्वर्ग का परमेश्वर नहीं, बल्कि पृथ्वी का परमेश्वर है जो लोगों को वादे और आशीषें प्रदान है। लोगों को स्वर्ग के परमेश्वर की ही हमेशा प्रशंसा नहीं करनी चाहिए और पृथ्वी के परमेश्वर को एक औसत व्यक्ति के रूप में नहीं देखना चाहिए। यह अनुचित है। स्वर्ग का परमेश्वर आश्चर्यजनक बुद्धि के साथ महान और अद्भुत है, किंतु यह विद्यमान बिल्कुल भी नहीं है। पृथ्वी का परमेश्वर बहुत ही औसत और नगण्य है; वह अति सामान्य भी है। उसका एक असाधारण मन या बहुत आश्चर्यचकित करने वाला कार्य नहीं है। वह सिर्फ एक बहुत ही सामान्य और व्यावहारिक तरीके से बोलता और कार्य करता है। यद्यपि वह गड़गड़ाहट के माध्यम से बात नहीं करता है या हवा और बारिश को नहीं बुलाता है, तब भी वह वास्तव में स्वर्ग के परमेश्वर का अवतरण है, और वह वास्तव में मनुष्यों के बीच रहने वाला परमेश्वर है। लोगों को उसका अतिशय वर्णन नहीं करना चाहिए जिसे वह समझने में सक्षम हैं और जो परमेश्वर के रूप में उनकी अपनी कल्पनाओं के अनुरूप है, या उसको नहीं देखना चाहिए जिसे वे स्वीकार नहीं कर सकते हैं और अधम के रूप में तो नितान्त कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। यह सब लोगों की विद्रोहशीलता है; यह परमेश्वर के प्रति मानवजाति के विरोध का समस्त स्रोत है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "जो लोग परमेश्वर की व्यावहारिकता के प्रति पूर्णतः आज्ञाकारी हो सकते हैं ये वे लोग हैं जो परमेश्वर से सचमुच प्यार करते हैं" से
Source From:सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य,अंतिम दिनों के मसीह के लिए गवाहियाँ, I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए से।
फुटनोटः
क. मूल पाठ "की इस अभिव्यक्ति" को छोड़ दिया गया है।
ख. मूलपाठ है "अनुसरण कर रहा था"
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