परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
इसलिए यदि यह कार्य आत्मा द्वारा किया जाता-यदि परमेश्वर देहधारी नहीं बना होता, और इसके बजाय आत्मा ने गड़गड़ाहट के माध्यम से सीधे बात की होती ताकि मनुष्य के पास उससे संपर्क करने का कोई रास्ता नहीं होता, तो क्या मनुष्य उसके स्वभाव को जान पाता? यदि केवल पवित्रात्मा ने कार्य किया होता, तो मनुष्य के पास उसके स्वभाव को जानने का कोई तरीका नहीं होता।