10.10.18

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(22)

(3) राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
कार्य का यह चरण जीतने वाले लोगों के समूह का सृजन करेगा, और जब उसने जीतने वाले लोगों के इस समूह को बना दिया उसके बाद, वे उसके कर्मों की गवाही देने में समर्थ होंगे, वे वास्तविकता को जीने में समर्थ होंगे तथा सचमुच में उसे संतुष्ट करने और मृत्यु तक उसके प्रति वफादार रहने में समर्थ होंगे, और इस तरह से परमेश्वर की महिमा होगी।

9.10.18

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(21)

(3) राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अंत के दिनों का कार्य यहोवा और यीशु के कार्य को और उन सभी रहस्यों को प्रकट कर देता है जिन्हें मनुष्य के द्वारा समझा नहीं गया है। इसे मानवजाति की नियति और अंत को प्रकट करने के लिए और मानवजाति के बीच उद्धार के सब कार्य का समापन करने के लिए किया जाता है।

8.10.18

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(20)

(3) राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अंतिम दिनों का परमेश्वर मनुष्य को पूर्ण बनाने के लिए मुख्यतः वचनों का उपयोग करता है। वह मनुष्यों का दमन करने, या उन्हें मनाने के लिये संकेतों और चमत्कारों का उपयोग नहीं करता है; इससे परमेश्वर की सामर्थ्य को स्पष्ट नहीं किया जा सकता है।

7.10.18

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(19)

(3) राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज, परमेश्वर मुख्य रूप से "वचन का देह में प्रकट होना" के कार्य को पूरा करने, वचन को मनुष्यों को पूर्ण बनाने में उपयोग करने, और मनुष्य से वचन के व्यवहार और शुद्धिकरण को स्वीकार करवाने के लिए देह बना है। अपने वचनों में वह तुम्हें कृपा और जीवन प्राप्त करने का कारण बनता है; उसके वचनों में, तुम उसके कार्य और कर्मों को देखते हो।

6.10.18

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(18)

परमेश्वर के वचनों के उद्धरणों, राज्य का युग, वचन देह में प्रकट होता है,
2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(18)
(3) राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
राज्य के युग के दौरान, देहधारी परमेश्वर ने उन सभी लोगों को जीतने के लिए वचन बोले जिन्होंने उस पर विश्वास किया। यह "वचन का देह में प्रकट होना" है; परमेश्वर इस कार्य को करने के लिए अंत के दिनों में आया है, जिसका अर्थ है कि वह वचन का देह में प्रकट होना के वास्तविक महत्व को कार्यान्वित करने के लिए आया।

5.10.18

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(17)

(3) राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर न्याय और ताड़ना का कार्य करता है ताकि मनुष्य उसे जाने, और उसकी गवाही को जाने। मनुष्य के भ्रष्ट स्वभाव पर परमेश्वर के न्याय के बिना, मनुष्य परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को नहीं जानेगा जो कोई भी अपराध की अनुमति नहीं देता है, और परमेश्वर के बारे में अपनी पुरानी जानकारी को नई जानकारी में बदल नहीं सकता है।

4.10.18

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(16)

(3) राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अपने न्याय का कार्य करने में, परमेश्वर केवल कुछ वचनों से ही मनुष्य की प्रकृति को स्पष्ट नहीं करता है; वह लम्बे समय तक इसे उजागर करता है, इससे निपटता है, और इसकी काट-छाँट करता है। उजागर करने की इन विधियों, निपटने, और काट-छाँट को साधारण वचनों से नहीं, बल्कि सत्य से प्रतिस्थापित किया जा सकता है, जिसे मनुष्य बिल्कुल भी धारण नहीं करता है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...