10.10.18

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।(22)

(3) राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
कार्य का यह चरण जीतने वाले लोगों के समूह का सृजन करेगा, और जब उसने जीतने वाले लोगों के इस समूह को बना दिया उसके बाद, वे उसके कर्मों की गवाही देने में समर्थ होंगे, वे वास्तविकता को जीने में समर्थ होंगे तथा सचमुच में उसे संतुष्ट करने और मृत्यु तक उसके प्रति वफादार रहने में समर्थ होंगे, और इस तरह से परमेश्वर की महिमा होगी।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "'सहस्राब्दि राज्य आ चुका है' के बारे में एक संक्षिप्त वार्ता" से
परमेश्वर के कार्य का प्रत्येक चरण पिछले चरण की तुलना में और अधिक गहरा होता जाता है, और प्रत्येक चरण में मनुष्य से की गई अपेक्षाएं पिछले चरण की तुलना में और अधिक गम्भीर होती हैं, और इस तरह से, परमेश्वर का सम्पूर्ण प्रबंधन धीरे धीरे अपना आकार लेता है। मनुष्य से की गई अपेक्षाएं हमेशा से कहीं अधिक ऊँची हो जाने के कारण ही मनुष्य का स्वभाव परमेश्वर के द्वारा अपेक्षित उन मापदंडों के कहीं अधिक नज़दीक आ जाता है, और केवल तभी सम्पूर्ण मानवजाति धीरे धीरे शैतान के प्रभाव से अलग होती है, जब परमेश्वर का कार्य पूर्ण समाप्ति पर आ जाता है, तब तक सम्पूर्ण मानवजाति को शैतान के प्रभाव से बचा लिया जाता है। जब वह समय आता है, तो परमेश्वर का कार्य अपनी समाप्ति पर पहुंच चुका होगा, और अपने स्वभाव में परिवर्तनों को हासिल करने के लिए परमेश्वर के साथ मनुष्य का और कोई सहयोग नहीं होगा, और सम्पूर्ण मानवजाति परमेश्वर के प्रकाश में जीवन बिताएगी, और उसके बाद से, परमेश्वर के प्रति कोई विद्रोही या विरोध नहीं होगा।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" से
जीतने वाले कार्य के पश्चात धर्मी को प्रतिफल देने और दुष्ट को दण्ड देने का कार्य आता है: वे लोग जो पूर्णत: आज्ञापालन करते हैं अर्थात जो पूर्ण रूप से जीत लिए गए हैं, उन्हें सम्पूर्ण आकाशमण्डल में कार्य को फैलाने के अगले चरण में रखा जाएगा; जिन्हें जीता नहीं जा सका उन को अन्धकार में रखा जाएगा और उनकी भेंट महाविपत्ति से होगी, इस प्रकार मनुष्य को उसके स्वभाव के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा, दुष्कर्म करने वालों को फिर कभी सूर्य का प्रकाश पुनः न देखने के लिए दुष्टों के साथ रखा जाएगा, और धर्मियों को ज्योति प्राप्त करने और सर्वदा ज्योति में रहने के लिए भले लोगों के साथ रखा जाएगा। सभी बातों का अन्त निकट है, मनुष्य का अन्त उसकी दृष्टि में स्पष्ट रीति से दिखा दिया गया है, और सभी वस्तुओं का वर्गीकरण उनके स्वभाव के अनुसार किया जाएगा। तब लोग इस प्रकार वर्गीकरण किए जाने में पीड़ा से किस प्रकार बच सकते हैं।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "विजयी कार्यों का आंतरिक सत्य (1)" से
अंत के दिन पहलेही आ चुके हैं। सभी चीजों को उनके प्रकार के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा, और उनकी प्रकृति के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा। यही वह समय है जब परमेश्वर लोगों के परिणाम और उनकी मंज़िल को प्रकट करता है। यदि लोग ताड़ना और न्याय से नहीं गुज़रते हैं, तो उनकी अवज्ञा और अधार्मिकता को प्रकट करने का कोई तरीका नहीं होगा। केवल ताड़ना और न्याय के माध्यम से ही सभी चीजों का अंत प्रकट हो सकता है। मनुष्य केवल तभी अपने वास्तविक रंगों को दिखाता है जब उसे ताड़ना दी जाती है और उसका न्याय किया जाता है। बुरा बुरे की ओर लौट जाएगा, अच्छा अच्छे की ओर लौट जाएगा, और लोगों को उनके प्रकार के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा। ताड़ना और न्याय के माध्यम से, सभी चीजों का अंत प्रकट होगा, ताकि बुराई को दंडित किया जाएग और अच्छे को पुरस्कृत किया जाएगा, और सभी लोग परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन नागरिक बन जाएँगे। सभी कार्य धर्मी ताड़ना और न्याय के माध्यम से अवश्य प्राप्त किया जाना चाहिए। क्योंकि मनुष्य की भ्रष्टता अपने चरम पर पहुँच गई है और उसकी अवज्ञा अत्यंत गंभीर रही है, केवल परमेश्वर का धर्मी स्वभाव ही, जो मुख्यत: ताड़ना और न्याय का है और जो अंत के दिनों दिनों में प्रकट होता है, मनुष्य को रूपान्तरित और पूरा कर सकता है। केवल यह स्वभाव ही बुराई को उजागर कर सकता है और इस तरह सभी अधर्मियों को गंभीर रूप से दण्डित कर सकता है। इसलिए, इस तरह का एक स्वभाव युग के महत्व से सम्पन्न होता है, और उसके स्वभाव का प्रकटन और प्रदर्शन प्रत्येक नए युग के कार्य के वास्ते है। परमेश्वर अपने स्वभाव को मनमाने ढंग से और महत्व के बिना प्रकट नहीं करता है।

"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3)" से

Source From:सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य,अंतिम दिनों के मसीह के लिए गवाहियाँ  

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