10.7.18

मौत के मुंह से



मौत के मुंह से



अठत्तर साल की बूढी लियू झेन, एक आम देहाती गृहिणी है।परमेश्वर में विश्वास करने के बाद से, उसे हर दिन परमेश्वर के वचन पढ़ने, उनकी यशगान स्तुति करने और अक्सर अपने भाई-बहनों के साथ संगति करने में अनिर्वचनीय आनंद की अनुभूति होती … लेकिन हर अच्छी चीज़ अस्थाई होती है। उसे चीनी कम्युनिस्ट सरकार गिरफ्तार कर यातना देती है और एक भयंकर स्थिति में डाल देती है। पुलिस उसे तीन बार पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन ले जाती है और उसे चेतावनी देती है कि वह अब परमेश्वर में विश्वास करना छोड़ दे। वे उसकी निगरानी करते हैं और उसे डराने के लिए उसके घर पहुँच जाते हैं। चीनी कम्युनिस्ट सरकार के दबाव में आकर, उसका पति, बेटा और बहू भी परमेश्वर में उसके विश्वास का विरोध करते हैं और उस पर पाबंदी लगा देते हैं। इस पीड़ा के दौरान वह सच्चे मन से परमेश्वर में अपनी आस्था बनाए रखती है और उनसे याचना करती है।

9.7.18

परमेश्वर के कथन "देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर भाग एक" (भाग 2)


परमेश्वर के कथन "देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर भाग एक" (भाग 2)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "चाहे देहधारी परमेश्वर बोले, कार्य करे, या चमत्कार प्रकट करे, वह अपने प्रबंधन के अंतर्गत महान कार्य कर रहा है, और इस प्रकार का कार्य उसके बदले मनुष्य नहीं कर सकता है। मनुष्य का कार्य केवल सृजन किए गए प्राणी के रूप में परमेश्वर के प्रबंधन के कार्य के किसी दिए गए चरण में सिर्फ़ अपना कर्तव्य करना है। इस प्रकार के प्रबंधन के बिना, अर्थात्‌, यदि देहधारी परमेश्वर की सेवकाई खो जाती है, तो सृजित प्राणी का कर्तव्य भी खो जायेगा।

4.7.18

परमेश्वर का भय मानने से ही बुराई दूर रह सकती है




परमेश्वर का भय मानने से ही बुराई दूर रह सकती है


परमेश्वर का स्वभाव प्रतापी है और क्रोध से भरा है।
वो मेमना नहीं है जो उसका कोई भी वध कर दे।
वो कठपुतली नहीं है जो हो जैसा चाहे नचा ले,
न वो है हवा जो कोई उसपर, हुक्म चला ले।
परमेश्वर का भय मानने से ही बुराई दूर रह सकती है।
परमेश्वर का भय मानने से ही बुराई दूर रह सकती है।
गर परमेश्वर के वजूद में सचमुच यकीं रखते हो,
तो जिसमें ख़ौफ़ हो उसका, तुम ऐसा दिल रखो।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "विश्वासियों को क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए



सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "विश्वासियों को क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "बीते समयों में, अनेक लोग मनुष्य की महत्वाकांक्षा और धारणाओं के साथ मनुष्य की आशाओं के लिए आगे बढ़े। अब इन मामलों पर चर्चा नहीं की जाएगी। कुंजी है अभ्यास का ऐसा ढंग खोजना जो तुम में से हर एक को परमेश्वर के सम्मुख एक सामान्य स्थिति बनाये रखने और धीरे-धीरे शैतान के प्रभाव की बेड़ियों को तोड़ डालने में सक्षम करे, ताकि तुम परमेश्वर को प्राप्त हो सको और पृथ्वी पर वैसे जियो जैसे परमेश्वर तुमसे चाहता है। केवल इसी से परमेश्वर की इच्छा पूरी हो सकती है।"

3.7.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास" (भाग दो)



सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास" (भाग दो)


मनुष्य के बीच परमेश्वर का कार्य मनुष्य से अवियोज्य है, क्योंकि मनुष्य इस कार्य का लक्ष्य है, और परमेश्वर के द्वारा रचा गया एकमात्र ऐसा प्राणी है जो परमेश्वर की गवाही दे सकता है। मनुष्य का जीवन और मनुष्य के समस्त क्रियाकलाप परमेश्वर से अवियोज्य हैं, और उन सब को परमेश्वर के हाथों के द्वारा नियन्त्रित किया जाता है, और यहाँ तक कि यह भी कहा जा सकता है कि कोई भी व्यक्ति परमेश्वर से स्वाधीन होकर अस्तित्व में नहीं रह सकता है। कोई भी इसे नकार नहीं सकता है, क्योंकि यह एक तथ्य है। वह सब कुछ जो परमेश्वर करता है मनुष्यजाति के लाभ के लिए है, और शैतान के षडयन्त्रों की ओर निर्देशित है।

2.7.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर पर विश्वास करना वास्तविकता पर केंद्रित होना चाहिए, न कि धार्मिक रीति-रिवाजों पर"


परमेश्वर पर विश्वास करना वास्तविकता पर केंद्रित होना चाहिए, न कि धार्मिक रीति-रिवाजों पर

तुम कितनी धार्मिक परम्पराओं का पालन करते हो? कितनी बार तुमने परमेश्वर के वचन का विरोध किया है और अपने तरीके से चले हो? कितनी बार तुम परमेश्वर के वचनों को इसलिए अभ्यास में लाए हो क्योंकि तुम उसके उत्तरदायित्व के बारे में सच में विचारशील हो और उसकी इच्छा पूरी करना चाहते हो? परमेश्वर के वचन को समझो और उसे अभ्यास में लाओ। क्रियाओं और कर्मों में उच्च सिद्धांत वाले बनो; यह नियम में बंधना या बेमन से बस दिखावे के लिए ऐसा करना नहीं है।

1.7.18

चीन में धार्मिक उत्पीड़न का इतिहास: पर्दा उठता है



चीन में धार्मिक उत्पीड़न का इतिहास: पर्दा उठता है

वर्ष 1949 में मेनलैण्ड चीन में सत्ता में आने के बाद से, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी धार्मिक आस्था का निरंतर उत्पीड़न करने में लगी रही है। पागलपन में यह ईसाइयों को बंदी बना चुकी है और उनकी हत्या कर चुकी है, चीन में काम कर रहे मिशनरियों को निष्काषित कर चुकी है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा चुका है, बाइबल की अनगिनत प्रतियां जब्त कर जला दी गयीं हैं, कलीसिया की इमारतों को सीलबंद कर दिया गया है और ढहाया जा चुका है, और सभी गृह कलीसिया को जड़ से उखाड़ फैंकने का प्रयास किया जा चुका है। यह वृत्तचित्र फिल्म एक चीनी ईसाई, सोंग शाओलान की अचानक हुई रहस्मयी मौत का वर्णन करती है - एक ऐसी मौत जिसके लिए सीसीपी पुलिस लगातार असंगत और विवादित बयान देती रही। जांच के बाद, सोंग परिवार को मालूम पड़ा कि पुलिस पूरी तरह से झूठ बोल रही थी।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...