11.2.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वास्तविकता को कैसे जानें"

 

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वास्तविकता को कैसे जानें" 

सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर कहते हैं "यदि लोगों को परमेश्वर को जानना है, तो सब से पहले उन्हें यह अवश्य जानना चाहिए कि परमेश्वर वास्तविक परमेश्वर है, और परमेश्वर के वचनों को, देह में परमेश्वर के वास्तविक प्रकटन को और परमेश्वर के वास्तविक कार्य को अवश्य जानना चाहिए। केवल यह जानने के बाद ही कि परमेश्वर का समस्त कार्य वास्तविक है तुम वास्तव में परमेश्वर के साथ सहयोग करने में समर्थ हो सकोगे, और केवल इसी मार्ग के माध्यम से तुम अपने जीवन के विकास को प्राप्त करने में समर्थ हो सकोगे। वे सभी जिन्हें वास्तविकता का कोई ज्ञान नहीं है उनके पास परमेश्वर के वचनों का अनुभव करने का कोई उपाय नहीं है, वे अपनी धारणाओं में उलझे हुए हैं, वे अपनी कल्पनाओं में जीते हैं, और इस प्रकार उन्हें परमेश्वर के वचनों का कोई ज्ञान नहीं है।

10.2.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन “उद्धारकर्त्ता पहले से ही एक ‘सफेद बादल’ पर सवार होकर वापस आ चुका है”

 

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन “उद्धारकर्त्ता पहले से ही एक ‘सफेद बादल’ पर सवार होकर वापस आ चुका है” 

सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर कहते हैं “जब से यीशु गया है, वे चेले जो उसका अनुसरण करते थे, और सभी संत जिन्होंने उसके नाम के कारण उद्धार पाया था, सभी उसकी हताशापूर्ण ढंग से अभिलाषा और उसका इन्तज़ार कर रहे हैं। वे सभी जो अनुग्रह के युग के दौरान यीशु मसीह के अनुग्रह के द्वारा बचाए गए थे अंत के दिनों के दौरान उस आनन्ददायक दिन की लालसा कर रहे हैं, जब उद्धारकर्त्ता यीशु सफेद बादल पर आता है और मनुष्य के बीच में प्रकट होता है।……इत्यादि।

9.2.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "आज परमेश्वर के कार्य को जानना"

 

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "आज परमेश्वर के कार्य को जानना" 

सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर कहते हैं " एक विचार से, अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर का देहधारण मनुष्य की धारणाओं में अज्ञात परमेश्वर द्वारा धारण किए गए स्थान को हटाता है, ताकि मनुष्य के हृदय में अज्ञात परमेश्वर की छवि अब और नहीं रहे।

8.2.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का प्रकटीकरण एक नया युग लाया है"

 

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का प्रकटीकरण एक नया युग लाया है" 

सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर कहते हैं "हम परमेश्वर के पदचिन्हों को खोज रहे हैं। हम आध्यात्मिक व्यक्तियों को नहीं खोज रहे हैं, प्रसिद्ध मूर्तियों का अनुसरण तो बिल्कुल नहीं कर रहे हैं; हम परमेश्वर के पदचिन्हों का अनुसरण कर रहे हैं।

6.2.18

छठवाँ कथन



आत्मा से सम्बन्धित मामलों में, तूझे कोमलतापूर्वक संवेदनशील होना चाहिए; मेरे वचनों के प्रति, तुझे सावधानीपूर्वक चौकस रहना पड़ेगा। तुझे मेरा आत्मा और शारीरिक स्वरूप, मेरे वचनों और शारीरिक स्वरूप को एक अखंड रूप में देखने की स्थिति में रहने का लक्ष्य बनाना चाहिए, ताकि सम्पूर्ण मानवता मुझे मेरी उपस्थिति में संतुष्ट करने के योग्य हो।

1.2.18

चौथा कथन



मेरे सभी लोगों को जो मेरे सम्मुख सेवा करते हैं अतीत के बारे में सोचना चाहिए कि: क्या मेरे प्रति तुम लोगों का प्रेम अशुद्धताओं से दागदार था? क्या मेरे प्रति तुम लोगों का प्रेम शुद्ध और सम्पूर्ण हृदय से था? क्या मेरे बारे में तुम लोगों का ज्ञान सच्चा था? मैंने तुम लोगों के हृदयों में मैंने कितना स्थान धारण किया? क्या मैंने उनकी सम्पूर्णता को भर दिया? मेरे वचनों ने तुम लोगों के भीतर कितना निष्पादित किया? मुझे मूर्ख न समझो!

31.1.18

मानव जाति पर परमेश्वर की करुणा



"दया" को..... कई तरीकों से समझ सकते है इसका मतलब तो प्यार, सुरक्षा और देखभाल है "दया"... का मतलब प्रभु से लगाव है लेकिन ज्यादा स्नेह किसी के नुकसान के लिए नहीं है जो उसके प्यार और कोमलता का छाया मात्र है और इस भावना को हम कभी भी खोना नहीं चाहेंगे यह परमेश्वर का रहम और सहनशीलता है इंसानों पर जबकि परमेश्वर ने सभी के लिए एक ही शब्द का प्रयोग किया लेकिन इसमें उनके दिल की आवाज़ और नज़रिया है हमारे लिए जब परमेश्वर बोले तो सब कुछ प्रकाशित हुआ

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...