6.2.18

छठवाँ कथन



आत्मा से सम्बन्धित मामलों में, तूझे कोमलतापूर्वक संवेदनशील होना चाहिए; मेरे वचनों के प्रति, तुझे सावधानीपूर्वक चौकस रहना पड़ेगा। तुझे मेरा आत्मा और शारीरिक स्वरूप, मेरे वचनों और शारीरिक स्वरूप को एक अखंड रूप में देखने की स्थिति में रहने का लक्ष्य बनाना चाहिए, ताकि सम्पूर्ण मानवता मुझे मेरी उपस्थिति में संतुष्ट करने के योग्य हो।

1.2.18

चौथा कथन



मेरे सभी लोगों को जो मेरे सम्मुख सेवा करते हैं अतीत के बारे में सोचना चाहिए कि: क्या मेरे प्रति तुम लोगों का प्रेम अशुद्धताओं से दागदार था? क्या मेरे प्रति तुम लोगों का प्रेम शुद्ध और सम्पूर्ण हृदय से था? क्या मेरे बारे में तुम लोगों का ज्ञान सच्चा था? मैंने तुम लोगों के हृदयों में मैंने कितना स्थान धारण किया? क्या मैंने उनकी सम्पूर्णता को भर दिया? मेरे वचनों ने तुम लोगों के भीतर कितना निष्पादित किया? मुझे मूर्ख न समझो!

31.1.18

मानव जाति पर परमेश्वर की करुणा



"दया" को..... कई तरीकों से समझ सकते है इसका मतलब तो प्यार, सुरक्षा और देखभाल है "दया"... का मतलब प्रभु से लगाव है लेकिन ज्यादा स्नेह किसी के नुकसान के लिए नहीं है जो उसके प्यार और कोमलता का छाया मात्र है और इस भावना को हम कभी भी खोना नहीं चाहेंगे यह परमेश्वर का रहम और सहनशीलता है इंसानों पर जबकि परमेश्वर ने सभी के लिए एक ही शब्द का प्रयोग किया लेकिन इसमें उनके दिल की आवाज़ और नज़रिया है हमारे लिए जब परमेश्वर बोले तो सब कुछ प्रकाशित हुआ

19.1.18

आपको जानना चाहिये कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई



6000 वर्षों में किया गया सम्पूर्ण कार्य समय के साथ-साथ धीरे-धीरे बदलता रहा है। इस कार्य में बदलाव समस्त संसार की परिस्थितियों के अनुसार आये हैं। परमेश्वर के प्रबंधन के कार्य में समस्त मानवजाति के विकास के चलन के अनुसार धीरे-धीरे कुछ परिवर्तन आये हैं, ये सृष्टि के आरंभ में पहले से सोचे या योजना के अनुसार नहीं किये गये हैं।

18.1.18

Hindi Christian Worship Song | परमेश्वर के कार्य फैले हैं ब्रह्मांड के विशाल विस्तार में

Hindi Christian Worship Song | परमेश्वर के कार्य फैले हैं ब्रह्मांड के विशाल विस्तार में

परमेश्वर देखता है सब कुछ ऊपर से,
सभी चीज़ों पर है प्रभुत्व उसका ऊपर से।
साथ ही, पृथ्वी पर भेजा है अपना उद्धार परमेश्वर ने।
हर समय परमेश्वर देख रहा है अपने गुप्त स्थान से,
इंसान की हर चाल को, हर चीज़ को जो वे कहते और करते हैं।
खुली हुई किताब की तरह परमेश्वर जानता है इंसान को।
गुप्त स्थान है परमेश्वर का निवास, 
नभ-मंडल वह बिस्तर है जिस पर वह लेटता है।

17.1.18

देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं



परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य के प्रत्येक चरण का एक वास्तविक महत्व है। जब यीशु का आगमन हुआ, वह पुरुष था, और इस बार वह स्त्री है। इससे, तुम देख सकते हो कि परमेश्वर ने अपने कार्य के लिए पुरुष और स्त्री दोनों का सृजन किया और वह लिंग के बारे में कोई भी भेदभाव नहीं करता है।

16.1.18

केवल पूर्ण बनाया गया ही एक सार्थक जीवन जी सकता है



वास्तव में, जो कार्य अब किया जा रहा है वह लोगों से शैतान का त्याग करवाने, उनके पुराने पूर्वजों का त्याग करवाने के लिए किया जा रहा है। वचन के द्वारा सभी न्यायों का उद्देश्य मानवता के भ्रष्ट स्वभाव को उजागर करना है और लोगों को जीवन का सार समझने में समर्थ बनाना है। ये बार-बार के न्याय मनुष्य के हदयों को छेद देते हैं।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...