कुछ कहते हैं कि परमेश्वर का नाम बदलता नहीं है, तो फिर क्यों यहोवा का नाम यीशु हो गया? मसीह के आने की भविष्यवाणी की गई थी, तो फिर क्यों यीशु नाम का एक व्यक्ति आया? परमेश्वर का नाम क्यों बदला गया? क्या इस तरह का कार्य काफी समय पहले नहीं किया गया था? क्या परमेश्वर आज के दिन कोई नया कार्य नहीं कर सकता है? कल का कार्य बदला जा सकता है, और यीशु का कार्य यहोवा के कार्य के बाद नहीं आ सकता है। क्या यीशु के कार्य के बाद कोई अन्य कार्य नहीं हो सकता है? यदि यहोवा का नाम बदल कर यीशु हो सकता है, तो क्या यीशु का नाम भी नहीं बदला जा सकता है? यह असामान्य नहीं है, और लोग ऐसा[क] केवल अपनी नासमझी के कारण सोचते हैं। परमेश्वर हमेशा परमेश्वर ही रहेगा। उसके कार्य और नाम में परिवर्तन की परवाह किए बिना, उसका स्वभाव और विवेक हमेशा अपरिवर्तित रहता है, वह कभी भी नहीं बदलेगा। यदि तुम मानते हो कि परमेश्वर केवल यीशु के नाम से ही पुकारा जा सकता है, तो तुम्हें बहुत कम ज्ञान है। क्या तुम यह दृढ़तापूर्वक कहने का साहस करते हो कि परमेश्वर का नाम यीशु हमेशा के लिए है, और परमेश्वर हमेशा और निरंतर यीशु के ही नाम से जाना जाएगा, और कि यह कभी नहीं बदलेगा? क्या तुम यह निश्चितता से दृढ़तापूर्वक कहने का साहस कर सकते हो कि यह यीशु का नाम ही है जिसने व्यवस्था के युग का समापन किया और अंतिम युग का भी समापन करता है? कौन कह सकता है कि यीशु का अनुग्रह युग का समापन कर सकता है?
"वचन देह में प्रकट होता है" से "वह मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर के प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है जिसने उसे अपनी ही धारणाओं में परिभाषित किया है?" से
Source From:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया-अंत के दिनों के मसीह के लिए गवाहियां-IV. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों और उसके नामों के बीच रहे संबंध के विषय में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए
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