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21.8.19

72. मैंने दूसरों के साथ काम करना सीखा

ल्यू हेंग यांग्सी प्रांत
परमेश्वर के अनुग्रह और उत्कर्ष से, मैंने कलीसिया का अगुआ होने का उत्तरदायित्व लिया। उस समय, मैं बहुत उत्साहित थी और मैंने परमेश्वर के समक्ष एक संकल्प निर्धारित किया था: चाहे मैं किसी भी चीज़ का सामना क्यों न करूँ, मैं अपने उत्तरदायित्वों का त्याग नहीं करूँगी। मैं दूसरी बहन के साथ अच्छी तरह से काम करूँगी और एक ऐसी व्यक्ति बनूँगी जो सत्य का अनुसरण करने का प्रयास करती है। किन्तु मैंने केवल संकल्प ही लिया था, और नहीं जानती था कि एक सामंजस्यपूर्ण कामकाजी रिश्ते की वास्तविकता में कैसे प्रवेश कहूँ। जब मैंने पहली बार उस बहन से जुड़ना शुरू किया जिसके साथ मैं काम कर रही थी, और जब हममें मत भिन्नता और विवाद होते थे, तो मैं अपने हृदय और आत्मा की रक्षा करने के लिए कहते हुए परमेश्वर से होशहवाश में प्रार्थना करती थी ताकि मैं अपने साथी को दोष न दूँ।

12.8.19

66. एक सच्ची भागीदारी

फैंग ली एन्यांग शहर, हेनान प्रान्त
हाल ही में मैंने सोचा था कि मैंने एक सामंजस्यपूर्ण भागीदारी में प्रवेश किया है। मैं और मेरा सहभागी किसी भी चीज़ पर चर्चा कर सकते थे, कभी-कभी मैंने उससे यहाँ तक कि मेरी कमियों की ओर इशारा करने के लिए भी कहा, और हमने कभी भी लड़ाई नहीं की, इसलिए मैंने सोचा कि हमने एक सामंजस्यपूर्ण भागीदारी को प्राप्त कर किया है। किन्तु जब तथ्य प्रकट हुए, तो एक सच्ची सामंजस्यपूर्ण भागीदारी ऐसी कुछ नहीं थी जिसकी मैंने कल्पना की थी।

9.4.19

2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?(12)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      युग का समापन करने के अपने अंतिम कार्य में, परमेश्वर का ताड़ना और न्याय का एक स्वभाव है,जो वह सब कुछ प्रकट करता है जो अधर्मी है, सार्वजनिक रूप से सभी लोगों का न्याय करता है, और उन लोगों को पूर्ण करता है, जो वास्तव में उससे प्यार करते हैं। केवल इस तरह का एक स्वभाव ही युग का समापन कर सकता है। अंत के दिन पहलेही आ चुके हैं।

6.4.19

2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?(9)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     अनुग्रह के युग में, यीशु संपूर्ण पतित मानवजाति (सिर्फ इस्राएलियों को नहीं) को छुटकारा दिलाने के लिए आया। उसने मनुष्य के प्रति दया और करुणा दिखायी। मनुष्य ने अनुग्रह के युग में जिस यीशु को देखा वह करुणा से भरा हुआ और हमेशा ही प्रेममय था, क्योंकि वह मनुष्य को पाप से मुक्त कराने के लिए आया था।

25.3.19

1. विभिन्न युगों में परमेश्वर को अलग-अलग नामों से क्यों बुलाया जाता है? परमेश्वर के नामों के महत्व क्या हैं?(3)

परमेश्वर के वचनों के उद्धरणों, परमेश्वर का नाम, यीशु के नाम, नौकरी,

  परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      कुछ कहते हैं कि परमेश्वर का नाम बदलता नहीं है, तो फिर क्यों यहोवा का नाम यीशु हो गया? मसीह के आने की भविष्यवाणी की गई थी, तो फिर क्यों यीशु नाम का एक व्यक्ति आया? परमेश्वर का नाम क्यों बदला गया? क्या इस तरह का कार्य काफी समय पहले नहीं किया गया था? क्या परमेश्वर आज के दिन कोई नया कार्य नहीं कर सकता है? कल का कार्य बदला जा सकता है, और यीशु का कार्य यहोवा के कार्य के बाद नहीं आ सकता है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...