8.9.19

"बाइबल के विषय में" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग एक



1. बहुत सालों से, लोगों के विश्वास का परम्परागत माध्यम (दुनिया के तीन मुख्य धर्मों में से एक, मसीहियत के विषय में) बाइबल पढ़ना ही रहा है; बाइबल से दूर जाना प्रभु में विश्वास नहीं है, बाइबल से दूर जाना एक दुष्ट पंथ और विधर्म है, और यहाँ तक कि जब लोग अन्य पुस्तकों को पढ़ते हैं, तो इन पुस्तकों की बुनियाद, बाइबल की व्याख्या ही होनी चाहिए। कहने का अर्थ है कि, यदि तुम कहते हो कि तुम प्रभु में विश्वास करते हो, तो तुम्हें बाइबल अवश्य पढ़नी चाहिए, तुम्हें बाइबल खानी और पीनी चाहिए, बाइबल के अलावा तुम्हें किसी अन्य पुस्तक की आराधना नहीं करनी चाहिए जिस में बाइबल शामिल नहीं हो। यदि तुम करते हो, तो तुम परमेश्वर के साथ विश्वासघात कर रहे हो। उस समय से जब बाइबल थी, प्रभु के प्रति लोगों का विश्वास बाइबल के प्रति विश्वास रहा है।

7.9.19

परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है भाग दो



परमेश्वर द्वारा इस युग में बोले गये वचन, व्यवस्था के युग के दौरान बोले गए वचनों से भिन्न हैं, और इसलिए, वे अनुग्रह के युग के दौरान बोले गये वचनों से भी भिन्न हैं। अनुग्रह के युग में, परमेश्वर ने वचन का कार्य नहीं किया, किन्तु समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए केवल सलीब पर चढ़ने का वर्णन किया। बाइबिल में केवल यह वर्णन किया गया है कि यीशु को क्यों सलीब पर चढ़ाया जाना था, और सलीब पर उसने कौन-कौन सी तकलीफें सही, और कैसे मनुष्य को परमेश्वर के लिये सलीब पर चढ़ना जाना चाहिए।

6.9.19

परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है भाग एक



परमेश्वर भिन्न-भिन्न युगों के अनुसार अपने वचन कहता है और अपना कार्य करता है, तथा भिन्न-भिन्न युगों में, वह भिन्न-भिन्न वचन कहता है। परमेश्वर नियमों से नहीं बँधता है, और एक ही कार्य को दोहराता नहीं है, और न अतीत की बातों को लेकर विषाद करता है; वह ऐसा परमेश्वर है जो सदैव नया है, कभी पुराना नहीं होता है, और वह हर दिन नये वचन बोलता है। जिस चीज का आज पालन किया जाना चाहिए उसका तुम्हें पालन करना चाहिए; यही मनुष्य की जिम्मेवारी और कर्तव्य है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अभ्यास परमेश्वर की वर्तमान रोशनी और वास्तविक वचनों के आस-पास केन्द्रित हो।

5.9.19

केवल परमेश्वर को प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है भाग दो



मनुष्य के भीतर परमेश्वर के द्वारा किए जाने वाले प्रत्येक कार्य के चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य परस्पर क्रिया के समान प्रतीत होता है, जैसे कि यह मानव प्रबंधों के द्वारा उत्पन्न हुआ हो, या मानविक हस्तक्षेप के माध्यम से। परन्तु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाला सब कुछ, शैतान के द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाज़ी होती है और परमेश्वर के लिए एक दृढ़ गवाह बने रहने के लिए लोगों से अपेक्षा की जाती है। उदाहरण के लिए, जब अय्यूब की परीक्षा ली जा रही थी: पर्दे के पीछे, शैतान परमेश्वर के सामने शर्त लगा रहा था, और अय्यूब के साथ जो हुआ वह मनुष्यों के कार्य थे, और मनुष्यों का हस्तक्षेप था।

4.9.19

केवल परमेश्वर को प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है भाग एक



आज, जैसे तुम लोग परमेश्वर को जानने और प्रेम करने की कोशिश करते हो, एक प्रकार से तुम लोगों को कठिनाई और परिष्करण से होकर जाना होगा और दूसरे में, तुम लोगों को एक मूल्य चुकाना होगा। परमेश्वर को प्रेम करने के सबक से ज्यादा कुछ भी गहरा सबक नहीं है और ऐसा कहा जा सकता है कि सबक जो मनुष्य जीवन भर विश्वास करने से सीखते हैं वह परमेश्वर को किस प्रकार से प्रेम करना होता है। अर्थात् यदि तू परमेश्वर पर विश्वास करता है तो तुझे उसे प्रेम करना होगा। यदि तू केवल परमेश्वर पर विश्वास करता है परन्तु उससे प्रेम नहीं करता है, परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त नहीं किया है, और कभी भी परमेश्वर को अपने हृदय से निकलने वाले सच्चे प्रेम से प्रेम नहीं किया है, तो परमेश्वर पर तेरा विश्वास करना व्यर्थ है; यदि परमेश्वर पर अपने विश्वास में, तू परमेश्वर से प्रेम नहीं करता है, तो तू व्यर्थ में ही जी रहा है, और तेरा सम्पूर्ण जीवन सभी जीवन से सबसे निम्न स्तर पर है।

2.9.19

Hindi Christian Movie | "चीन में धार्मिक उत्पीड़न का इतिहास" चीनी ईसाइयों की क्रूर कहानी

Hindi Christian Movie | "चीन में धार्मिक उत्पीड़न का इतिहास" चीनी ईसाइयों की क्रूर कहानी


चीन में धार्मिक उत्‍पीड़न का इतिहास के इस वृतचित्र में मुख्‍य रूप से मुख्यभूमि चीन के ऐसे दो ईसाइयों की सच्‍ची कहानी के बारे में बताया गया है, जिन्हें उनकी आस्‍था के कारण सीसीपी सरकार द्वारा यातना देकर मौत के घाट उतार दिया गया था। यह फिल्‍म चीनी ईसाइयों के सीसीपी सरकार के हाथों उत्‍पीड़न के अनुभवों का एक यथार्थ, निष्‍पक्ष निरूपण है, जो चीनी र्इसाइयों के धार्मिक विश्‍वास की स्‍वतंत्रता और मानवीय अधिकारों के सीसीपी द्वारा कुचले जाने की वर्तमान स्थिति पर गहन चिंतन प्रस्तुत करता है।

1.9.19

Hindi Christian Family Movie | माँ की ममता | How Can We Make Our Children Truly Happy?

Hindi Christian Family Movie | माँ की ममता | How Can We Make Our Children Truly Happy?

माँ की ममता नामक फ़िल्म एक ईसाई परिवार की कहानी है जो बच्चों की परवरिश की पड़ताल करती है।
"ज्ञान आपकी नियति बदल सकता है" और "बेटा अजगर बनता है और बेटी अमरपक्षी" ऐसी उम्मीदें हैं जो हर माँ-बाप अपने बच्चों से रखते हैं। शी वेनहुई अपनी बेटी जियारुई को विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षाओं में उत्तीर्ण कराकर, किसी अच्छे विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलाने के लिये बिक्री निर्देशक के पद से सेवानिवृत्त होने का फ़ैसला कर लेती है, ताकि जियारुई की फिर से परीक्षा में बैठने की तैयारी के दौरान वह अपनी बेटी के साथ रह सके।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...