ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि परमेश्वर अपरिवर्तशील है। यह सही है, किन्तु यह परमेश्वर के स्वभाव और सार की अपरिवर्तनशीलता का संकेत करता है। उसके नाम और कार्य में परिवर्तन से यह साबित नहीं होता है कि उसका सार बदल गया है; दूसरे शब्दों में, परमेश्वर हमेशा परमेश्वर रहेगा, और यह कभी नहीं बदलेगा। यदि तुम कहते हो कि परमेश्वर का कार्य हमेशा वैसा ही बना रहता है, तो क्या वह अपनी छः-हजार वर्षीय प्रबंधन योजना को पूरा करने में सक्षम होगा?
उसका आरम्भिक कार्य यहूदिया में, इस्राएल के दायरे में, किया गया; गैर यहूदी देशों में उसने कोई भी युग-प्रारम्भ करने वाला कार्य नहीं किया। उसके काम का अंतिम चरण न केवल गैर यहूदी राष्ट्र के लोगों के बीच किया जा रहा है; इससे अधिक, यह उन श्रापित लोगों के मध्य में किया जा रहा है। यह एक बिन्दु शैतान को अपमानित करने के लिए सबसे योग्य प्रमाण है; इस प्रकार से, परमेश्वर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की सम्पूर्ण सृष्टि और सभी वस्तुओं का परमेश्वर "बन" जाता है; जीवन युक्त सभी के लिए आराधना का उद्देश्य बन जाता है।