13.11.18

6. यह क्यों कहा जाता है कि भ्रष्ट मानव जाति को देह बने परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है?

6. यह क्यों कहा जाता है कि भ्रष्ट मानव जाति को देह बने परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है?(1)
(परमेश्वर के वचन का चुना गया अवतरण)
भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है
परमेश्वर ने देहधारण किया क्योंकि शैतान का आत्मा, या कोई अभौतिक चीज़ उसके कार्य का विषय नहीं है, परन्तु मनुष्य है, जो शरीर से बना है और जिसे शैतान के द्वारा भ्रष्ट किया गया है। निश्चित रूप से चूँकि मनुष्य की देह को भ्रष्ट किया गया है इसलिए परमेश्वर ने हाड़-मांस के मनुष्य को अपने कार्य का विषय बनाया है; इसके अतिरिक्त, क्योंकि मनुष्य भ्रष्टता का विषय है, उसने मनुष्य को अपने उद्धार के कार्य के समस्त चरणों के दौरान अपने कार्य का एकमात्र विषय बनाया है। मनुष्य एक नश्वर प्राणी है, और वह हाड़-मांस एवं लहू से बना हुआ है, और एकमात्र परमेश्वर ही है जो मनुष्य को बचा सकता है।

12.11.18

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?(9)

       परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:


   देह में रहने वाला कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करने में समर्थ नहीं है, जब तक कि वह पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किया गया कोई व्यक्ति न हो। हालाँकि, यहाँ तक कि इस तरह के व्यक्ति के लिए भी, उसके स्वभाव को और जिस जीवन को वह व्यतीत करता है उसे पूर्णतः परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करना नहीं कहा जा सकता है; कोई केवल यही कह सकता है कि वह जो जीवन व्यतीत करता है वह पवित्र आत्मा के द्वारा निर्देशित होता है। ऐसे व्यक्ति का स्वभाव परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है।

11.11.18

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?(8)

         परमेश्वर के प्रासंगिक वचन

        उन मनुष्यों का काम भी पवित्र आत्मा का कार्य है जिन्हें उपयोग किया जाता है। यह सिर्फ इतना है कि परमेश्वर का कार्य पवित्र आत्मा की सम्पूर्ण अभिव्यक्ति है, और इनमें कोई फ़र्क नहीं है, जबकि उपयोग किए गए मनुष्यों का काम बहुत सी मानवीय चीज़ों के साथ घुल मिल गया है, और यह पवित्र आत्मा की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति नहीं है, सम्पूर्ण प्रकाशन की तो बात ही छोड़ दीजिए।

10.11.18

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?(7)

        परमेश्वर के प्रासंगिक वचन


       पूरे समय में, उन सभी लोगों के पास जिनका परमेश्वर ने उपयोग किया है सामान्य सोच और कारण रहे हैं। वे सब जानते हैं कि कैसे स्वयं आचरण करना है और जीवन के मामलों को सँभालना है। उनके पास सामान्य मानव विचारधारा है और वे सभी चीज़ें हैं जो सामान्य लोगों के पास होनी चाहिए। उनमें से अधिकतर लोगों के पास असाधारण प्रतिभा और सहज ज्ञान है।

9.11.18

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?(6)

        परमेश्वर के प्रासंगिक वचन


         यद्यपि देहधारी परमेश्वर एक सामान्य मानवीय मन रखता है, किन्तु उसका कार्य मानव विचार के द्वारा अपमिश्रित नहीं होता है; वह इस पूर्वशर्त के अधीन सामान्य मन के साथ मानवता में कार्य को अपने हाथ में लेता है, कि वह मानवता को मन के साथ धारण करता है, न कि सामान्य मानवीय विचारों को प्रयोग में लाने के द्वारा।

8.11.18

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

     

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?(5)

        परमेश्वर के प्रासंगिक वचन

        जो कोई ईश्वरत्व में कार्य करता है वह परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि जो मानवता में कार्य करते हैं वे परमेश्वर के द्वारा उपयोग किए जाते हैं। अर्थात्, देहधारी परमेश्वर उन लोगों से मौलिक रूप से भिन्न है जो परमेश्वर द्वारा उपयोग किए गए हैं।

7.11.18

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

परमेश्वर के वचनों के उद्धरणों, जीवन, मोक्ष, गवाही,

5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?(4)

        परमेश्वर के प्रासंगिक वचन

     
      क्योंकि सभी घटनाओं के बावजूद मनुष्य मनुष्य है, और वह एक इंसान के दृष्टिकोण और ऊँचाई से ही सभी चीज़ों को देख सकता है। मगर देहधारी परमेश्वर भ्रष्ट व्यक्ति से पूर्णत: अलग है। इस से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि परमेश्वर का देहधारी शरीर कितना सामान्य, कितना साधारण, कितना दीन है, या लोग उसे कितनी नीची दृष्टि से देखते हैं, मानवजाति के प्रति उसके विचार और उसकी मनोवृत्तियाँ ऐसी चीज़ें है जिन्हें कोई भी मनुष्य धारण नहीं कर सकता है, और ना ही उसका अनुकरण कर सकता है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...