30.8.19

95. अंधकार के उत्पीड़न से होकर फिर उठ खड़ा हुआ

मो ज़िजिआन गुआंगडॉन्ग प्रदेश
मेरा जन्म एक गरीब, दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र में हुआ था, जहाँ हम कई पीढ़ियों से अगरबत्ती जलाते व बुद्ध की पूजा करते आए थे। उस पूरे इलाके मेँ जगह-जगह बौद्ध मंदिर हैं जहां सभी परिवार अगरबत्ती जलाने जाया करते थे; वहां किसी ने भी कभी परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया था। 1995 में, मैं और मेरी पत्नी देश के दूसरे हिस्से में थे जहां हम प्रभु यीशु पर विश्वास किया करते थे; हमारे वापस आने के बाद, हमने सुसमाचार को साझा करना शुरू कर दिया और धीरे—धीरे इसे स्वीकार करनेवाले लोगों की संख्या 100 से ज्यादा हो गई। चूंकि परमेश्वर पर विश्वास करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, इसलिए स्थानीय सरकार को यह खतरे का संकेत लगा। 1997 में एक दिन, एक पुलिस वाले ने मुझे स्थानीय पुलिस स्टेशन में बुलाया, जहां काउंटी पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो का प्रमुख, नेशनल सिक्योरिटी ब्यूरो का प्रमुख, ब्यूरो ऑफ रिलीजन का प्रमुख और उस पुलिस स्टेशन के प्रभारी के साथ ही कुछ पुलिस कर्मचारी मेरा इंतजार कर रहे थे। पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो के प्रमुख ने मुझसे पूछा: "तुम परमेश्वर पर क्यों विश्वास करते हो? तुम्हारे किससे-किससे संपर्क है? बाइबल कहां से आई थी? तुम धर्म सभा के लिए कलीसिया क्यों नहीं जाते हो?" मैंने कहा, "परमेश्वर ने इंसान बनाया, सूरज की रोशनी, हवा व पानी सब कुछ परमेश्वर ने बनाया है; यह स्वर्ग व पृथ्वी का कानून है कि लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। राष्ट्रीय संविधान भी स्पष्ट रूप से यह अपेक्षा करता है कि नागरिकों के पास धार्मिक स्वतंत्रता हो; तो फिर आपलोग हमें स्वतंत्रता के साथ परमेश्वर पर विश्वास करने की अनुमति क्यों नहीं देते हैं?" ब्यूरो ऑफ रिलीजन के प्रमुख ने कहा: "धार्मिक स्वतंत्रता की सीमाएं होती हैं, जैसे कि पिंजड़े के अंदर एक छोटी चिड़िया; भले ही उसके पंख व पैर बंधे नहीं होते हैं, लेकिन वह केवल पिंजड़े के अंदर ही घूम सकती है।" जब मैंने उसके इन झूठे तर्कों को सुना, तो मैं क्रोधित हो गया और गुस्से में कहा: "यानि कि राष्ट्रीय सरकार लोगों से झूठ बोल रही है!" जब उन्होंने मुझे ऐसा कहते हुए सुना, तो वे समझ गए कि वे गलत थे और उनके पास कहने के लिए कुछ भी नहीं था, तो उन्होंने मुझे घर जाने दिया। उस समय, मुझे आस्तिकों का उत्पीड़न करने की सीसीपी सरकार की असलियत के बारे में कुछ भी नहीं पता था। 1999 मेँ जब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार किया तब जाकर मुझे यह सच्चाई पता चली। परमेश्वर के वचनों को पढ़कर और सीसीपी सरकार के और भी क्रूर उत्पीड़न को अनुभव करने से मैं यह साफतौर पर देखने में सक्षम हुआ कि सीसीपी सरकार बुरी आत्मा शैतान की अवतार है; और जैसा कि बाइबल में बताया गया है यह परमेश्वर की शत्रु थी: "तब वह बड़ा अजगर, अर्थात् वही पुराना साँप जो इब्लीस और शैतान कहलाता है और सारे संसार का भरमानेवाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया, और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए" (प्रकाशितवाक्य12:9)।
28 जून 2002 को सुबह 5 बजे के बाद, मैं कुछ भाईयों व बहनों के साथ धर्मसभा करने के लिए तैयारी कर रहा था कि अचानक हमने दरवाजे पर प्रहार करने की आवाज सुनी। हमने तुरंत ही परमेश्वर के वचनों की किताबें छिपा दीं और फिर दरवाजा खोला। जैसे ही दरवाजा खुला, अप्रत्याशित तौर पर, एक दर्जन या इसी के आस-पास पुलिस वाले अंदर घुस आए। उनके हाथों में इलेक्ट्रॉनिक डंडे व बंदूकें थी और उन्होंने हमसे एक—साथ जबरदस्ती की, हमें घुटने के बल बिठाया और हमारे सिर पर हमारे हाथ रखवाएं। इसके बाद, उन बुरे पुलिसवालों ने हमें घेर लिया, जैसे गांव में डाकू घुस रहे हों, वे हर एक कमरे में गए और सब कुछ तितर—बितर कर दिया; उन्होंने हमारे सब बिस्तर व कपड़े उठाकर जमीन पर फेंक दिए। पहले मैंने संगठित जुर्म व डाकुओं की लूट व चोरी के सींस टीवी पर देखे थे, लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि 'लोगों की पुलिस' टीवी के अत्याचारियों व डाकुओं के जैसे काम करेगी। उस समय तक मैं काफी डर गया था और चिंतित था कि कहीं उन्हें परमेश्वर के वचनों की किताबें न मिल जाएं। मैं लगातार अपने दिल से प्रार्थना कर रहा था और परमेश्वर से कह रहा था कि वे हमारी सुधि लें और हमारी रक्षा करें। प्रार्थना करने के बाद, मैंने परमेश्वर का अनोखा कारनामा देखा। उन्होंने पूरे घर को उथल—पुथल कर दिया और हर एक निजी चीज को खोजा व जब्त कर लिया, लेकिन उन्हें परमेश्वर के वचनों की किताबें नहीं मिली। मैं जानता था कि यह परमेश्वर की सर्वशक्तिमान प्रभुत्व व सुरक्षा थी और मुझे मालूम था कि परमेश्वर हमारे साथ थे, और परमेश्वर में मेरी श्रद्धा और बढ़ गई। इसके बाद, वे हमें पुलिस स्टेशन मे ले गए और रात को, उन्होंने हमें हिरासत केन्द्र भेज दिया और हमें बंद करवा दिया। तीन दिनों के बाद, पुलिस ने हममें से प्रत्येक पर 300 युआन का अर्थ दंड लगाया जिसे हमें छूटने के लिए भरना था। सीसीपी सरकार को लोगों से उनकी धार्मिक स्वतंत्रता छीनने वाले ऐसे असभ्य व पागल शिकारी की तरह काम करते हुए देखकर, मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन परमेश्वर के इन वचनों को सोचने के अलावा मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था: "हज़ारों सालों से यह गंदगी की भूमि रही है, यह असहनीय रूप से मैली है, कष्ट से भरी हुई है, प्रेत यहाँ हर कोने में घूमते हैं, चाले चलते हुए और धोखा देते हुए, निराधार आरोप लगाते हुए,[1] क्रूर और भयावह बनते हुए, इस भूतिया शहर को कुचलते हुए और मृत शरीरों से भरते हुए; क्षय की बदबू ज़मीन को ढक चुकी है और हवा में शामिल हो गई है, और इसे भारी रूप से संरक्षित रखा जाता है।[2] आसमान से परे की दुनिया को कौन देख सकता है? … धार्मिक स्वतंत्रता? नागरिकों के वैध अधिकार और हित? ये सब पाप को छिपाने के तरीके हैं!" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "कार्य और प्रवेश (8)" से)। चीन के इस अधर्मी भूतिया नगर में, चीन की शासक पार्टी 'धार्मिक आजादी व मानव अधिकारों की आजादी' का प्रचार करते बैनर टांगती है, लेकिन वे असल में किसी अवरोध के बिना परमेश्वर का विरोध करती है और परमेश्वर का पालन करने वाले लोगों को गिरफ्तार और उत्पीड़ित करती है। वे लोगों को परमेश्वर में विश्वास करने और जिंदगी के सही मार्ग पर चलने की अनुमति नहीं देते हैं; वे एक बार में ही सभी आस्तिकों को खत्म कर देने के लिए आतुर थे। हमने कोई कानून नहीं तोड़ा था या कुछ गलत नहीं किया था; हमने केवल सुसमाचार का प्रसार किया था ताकि लोग परमेश्वर को जान पाएं और परमेश्वर की पूजा करें एवं अंधकार व दर्द से भरे अपने जीवन से बाहर निकल पाएं। फिर भी सीसीपी पुलिस हमें गिरफ्तार करना, बंद करना और अर्थ दंड लगाना चाहती थी, उन्हें उन बुरे लोगों की चिंता नहीं थी जो वेश्यावृत्ति, हत्या व आगजनी, और धोखाधड़ी व ठगी में संलग्न थे; उन्होंने इन अपराधी और अधर्मी लोगों को अपने गुनाहों से लोगोंकी आंखों में धूल झोंकने में सफल होने दिया था। हकीकत की रोशन में, मैं यह देखने में सक्षम था कि सीसीपी सरकार एक शैतानी समूह है जो परमेश्वर का विरोध करती है , लोगों को विचारहीन कर देती है तथा उनसे धोखा करती है; वे परमेश्वर के दुश्मन हैं।
उसी साल 28 नवंबर को, कुछ भाई व बहन और मैं एक संप्रदाय के नेता के साथ सुसमाचार को साझा कर रहे थे। लेकिन एक दुष्कर्मी व्यक्ति ने हमारी शिकायत कर दी और लगभग एक दर्जन पुलिसवालों ने हमारी इमारत को घेर लिया और दरवाज तोड़ कर अंदर घुस आए। उनके हाथों में बंदूकें व डंडे थे और वे चिल्लाएं: "कोई भी हिलेगा नहीं! अपने हाथ ऊपर कर लो!" उन लोगों ने हमारे शरीर की तलाशी ली और 5,000 युआन कीमत के हमारे धन व कीमती चीजों को चुरा लिया। उन्होंने हमें अपने हाथ अपने सिर पर रखकर दीवार की ओर मुंहकर के घुटनों के बल बैठ जाने का आदेश दिया। दो युवा बहने उस समय काफी डर गई थी और मैंने उनसे कहा: "हमने कुछ भी गलत नहीं किया है, डरो मत।" मैंने जैसे ही ऐसा कहा, कुछ पुलिस वाले तुरंत मेरी ओर झपटे और अपने मुक्कों व लातों से पीटने लगे, व मुझे जमीन पर पटक दिया। उन्होंने सभी कमरों को उथल—पुथल कर दिया व उन्हें बिल्कुल अव्यवस्थित कर दिया। वे गांव लूटने वाले डाकुओं से भी ज्यादा बर्बर व क्रूर थे। एक बहन कमरे से बाहर नहीं आई थी और एक बुरा पुलिसवाला झपट कर अंदर गया और उसे पकड़कर बाहर ले आया। एक दूसरे दुष्ट पुलिसवाले ने देखा कि वह बहन काफी सुंदर थी और उसके पूरी शरीर में यहां—वहां छूते हुए उसके साथ छेड़छाड़ करने लगा। यह बहन निस्सहाय होकर विलाप कर रही थी और सौभाग्य से उसी समय मकान मालिक आ गया और उन्हें रोक दिया, जिससे उस बहन को उस जबरदस्ती से निकल भागने का मौका मिल गया। इस समय मैं साफ तौर पर यह देख सकता था कि "लोगों की पुलिस लोगों के लिए है और अगर आपको कोई समस्या है, तो पुलिस को बुलाएं" एवं "पुलिस लोगों की रक्षक है" जैसे नारे बिल्कुल झूठे और खोखले थे। ये दुष्ट पुलिसवाले शुद्ध रूप से स्थानीय गुड़ों व गैंग्स्टर्स की एक गैंग थे! इसके बाद, उन लोगों ने हमें पुलिस वाहन में बंद किया और पुलिस स्टेशन ले गए। इसके बाद उन्होंने दो दिन व दो रातों तक बरामदें में हमें हथकड़ी लगाकर रखा और हमें खाने या पीने तक के लिए भी कुछ नहीं दिया। मैं बस अपने दिल से लगातार प्रार्थना कर सकता था और परमेश्वर से हमारा मार्गदर्शन करने और हमें श्रद्धा व ताकत देने का आग्रह कर सकता था ताकि हम इस वातावरण में गवाह बनकर खड़े हो पाएं। बाद में, एक बुरे पुलिस वाले ने एक भाई से पूछताछ की, और जब वे उसके उत्तरों से संतुष्ट नहीं हुए, तो कुछ बुरे पुलिस वालों ने उसे जोर से जमीन पर पटक दिया जबकि एक अन्य बुरे पुलिस वाले ने उसके मुंह में कुत्ते का मल भर दिया। उस भाई की मानसिक स्थिति को गंभीर रूप से उत्तेजित किया गया था। इस दयनीय स्थिति को देखकर, मेरा दिल बेहद अवसाद में चला गया और मेरे अंदर से एक आवेग धधक पड़ा। मेरी इच्छा हुई कि काश मैं उन पर टूट पड़ू और उनके टुकड़े—टुकड़े कर दूं लेकिन परेश्वर के वचन ने मेरा मार्गदर्शन किया: "मुझे अपने उन भाइयों और बहनों के लिए भी कुछ सहानुभूति महसूस हो रही है जो इस गंदगी के देश में रहते हैं, इसलिए मेरे मन में बड़े लाल अजगर के लिए घृणा विकसित हो गई है। … हम सभी इसके शिकार हैं। इस कारण से, मैं इसे अपने हृदय से घृणा करता हूँ और मैं इसे नष्ट करने के लिए प्रतीक्षा नहीं कर सकता हूँ। हालाँकि, जब मैं पुनः विचार करता हूँ, तो मुझे लगता है कि यह किसी लाभ का नहीं होगा और यह परमेश्वर के लिए केवल परेशानी लाएगा, इसलिए मैं इन वचनों पर वापस आ जाता हूँ-मैं उसकी इच्छा-परमेश्वर को प्रेम करना-को पूरा करने पर अपना हृदय स्थित करता हूँ। … अर्थ और प्रतिभा से भरा जीवन जीना है। …क्या तुम ऐसा करना पसंद करोगे? क्या तुम उस तरह के संकल्प वाले कोई व्यक्ति हो?" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "मार्ग… (2)" से)। परमेश्वर के वचन की वजह से मैं शांत हो गया, और परमेश्वर के वचन को समझने की कोशिश में, मैंने परमेश्वर की इच्छा को समझा। परमेश्वर पहले से ही इन बुरे कुकर्मी इब्लीसों से घृणा करते हैं, वे इन सबको तुरंत खत्म कर देना चाहते हैं, लेकिन अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को पूरा करने और हमें परिपूर्ण करने के लिए, उन्हें शैतान की कोशिशों को उपयोग करने की जरूरत है। परमेश्वर उसके उत्पीड़न का प्रयोग हमें इसे जानने देने के लिए करते हैं, ताकि हम सीसीपी सरकार के घिनौने चेहरे व शैतानी असलियत को अच्छी तरह से देख पाएं। इस प्रकार से, हम इसे त्याग सकते हैं और इसके साथ संबंध तोड़ सकते हैं और अपने निष्कपट दिल को पूरी तरह से परमेश्वर में लगा सकते हैं। परमेश्वर हमेशा से ही अपने कार्य में बेहतर परिणाम पाने के लिए सीसीपी की पागल कोशिश को सह रहे हैं, तो बात यह है कि क्या मुझे भी थोड़ी से कष्ट और अत्याचार को नहीं सहना चाहिए ताकि मैं रचना के भाग के रूप में उद्धार पा सकूं? परमेश्वर ने मुझे प्रबुद्ध किया है और मुझे श्रद्धा व ताकत दी है; मैं यीशु का अनुकरण और अनुसरण करना चाहता हूं और परमेश्वर को प्रेम करने की परमेश्वर की इच्छा—को पूरा करने के लिए दृढ़ता से संकल्पित रहना चाहता हूं! इस समय मैंने केवल यह इच्छा जताई कि परमेश्वर शैतान के उत्पीड़न के माध्यम से परमेश्वर का गवाह बनने के लिए हमें मार्गदर्शन दें व हमारा संरक्षण करें; मेरी इच्छा थी कि हम शैतान की तरकीबों का जवाब देने के लिए परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम का प्रयोग कर सकें ताकि उस जालिम शैतान की शर्मनाक पराजय हो।
तीसरी रात को, उन बुरे पुलिस वालों ने हमें काउंटी पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो भेज दिया और पूरी रात हमसे पूछताछ की गई। उप निदेशक ने सबसे पहले मुझे प्रलोभन देने के लिए चिकनी चुपड़ी बातों का प्रयोग किया, कहा: "बोलो! तुम्हारे घर में पत्नी, बच्चे और माता—पिता हैं, जिन्हें,अपनी देखभाल के लिए, तुम्हारी जरूरत है; अगर तुम जल्दी करोगे और बताओगे, तो तुम घर जा सकते हो, ठीक है?"उसकी इन बातों को सुनकर, मैं थोड़ा सा बहक गया था, और मैंने सोचा: "अगर मै उनको कुछ गैरजरूरी बातें बता देता हूं, तो मैं घर जा सकता हूं और मुझे यहां रहने और पीड़ा सहने की जरूरत नहीं होगी।" उसी समय परमेश्वर के वचनों ने मुझे जगाया: "मैं क्लेश के दिनों में उन लोगों पर और अधिक दया नहीं करूँगा जिन्होंने मुझे रत्ती भर भी निष्ठा नहीं दी है, क्योंकि मेरी दया का विस्तार केवल इतनी ही दूर तक है। साथ ही साथ, मुझे ऐसा कोई पसंद नहीं है जिसने कभी मेरे साथ विश्वासघात किया हो, ऐसे लोगों के साथ संबद्ध होना तो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है जो अपने मित्रों के हितों को बेच देते हैं। यही मेरा स्वभाव है, इस बात की परवाह किए बिना कि व्यक्ति कौन हो सकता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "अपनी मंज़िल के लिए तुम्हें अच्छे कर्मों की पर्याप्तता की तैयारी करनी चाहिए" से)। परमेश्वर के दिव्य वचनों से, मैं जैसे परमेश्वर को मेरी ओर देखते हुए देख सकता था, जो मेरे उत्तर का इंतजार कर रहे थे। परिणामस्वरूप, मैंने तुरंत इन विचारों को त्यागा और दृढ़ सच्चाई के साथ कहा: "जब से मुझे यहां लाया गया, तब से मैंने यहां से जाने के बारे में नहीं सोचा।" जब उस बुरे पुलिस वाले ने देखा कि उसकी योजना काम नहीं कर रही थी, तो उसने अपना असली शैतानी चेहरा दिखाया, और उस उप निदेशक ने एक बाल्टी भर सुअर के मल को मेरे सिर के ऊपर उठा लिया मानों मुझे उससे डुबो देना चाहता हो। मैंने उससे कहा: "यह क्रूर व असामान्य दंड है, जो तुम जबरदस्ती एक स्वीकारोक्ति पाने के लिए प्रयोग कर रहे हो।" जब उसने मुझे ऐसा कहते हुए सुना, तो वह अचानक रुक गया और मल को मुझ पर उड़ेले बिना बाल्टी को नीचे रख दिया। चमड़े के जूते पहने हुए एक अन्य बुरा पुलिस वाला अपनी हील से मेरे पैर का अंगूठा कुचलने लगा और वह जितना दबाव बना सकता था उतने दबाव के साथ वह अपनी हील को हिलाने लगा। मेरे पूरे शरीर में भयंकर दर्द फैल गया था और मैं दर्द में रोने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था। मेरे शरीर के कपड़े पसीने से भीग गए थे, लेकिन वह बुरा पुलिसवाला क्रोध से धधक रहा था और मेरे पैर के अंगूठे को उसने तब तक कुचलना व घुमाना जारी रखा, जब तक कि मेरे अंगूठे का नाखून नहीं उखड़ गया। इस समय तक मेरा अंगूठा बुरी तरह से कट चुका था और उससे खून निकल रहा था। बेहद दर्द में तड़पते हुए, मैं लगातार परमेश्वर के समक्ष रो रहा था, परमेश्वर से मेरे दिल की रक्षा करने के लिए कह रहा था ताकि मैं शैतान के सामने घुटने न टेक दूं और मैं परमेश्वर लिए गवाह बनकर खड़ा रह पाउं। उस जल्लाद इब्लीस की क्रूरता इससे कही ज्यादा थी; मैंने एक भाई को पूछताछ से वापस आते हुए देखा और उसे पहले ही मौत के मुहाने तक की यातनाएं दी गई थी; उसका पूरा शरीर भयभीत और चोटिल था और वह ऐसा लग रहा था जैसे मरने वाला हो। पुलिस वालों को डर था कि कहीं वह मर न जाए, इसीलिए उन्होंने न चाहते हुए भी उसे छोड़ दिया। बाद में, आगे की पूछताछ के लिए वे एक भाई व एक बहन के साथ मुझे शहर की स्वाट टीम के समक्ष ले गए।
जब हम स्वाट टीम के पास पहुंचे, तो उन बुरे पुलिस वालों ने हमें अपने पूरे कपड़े उतारने के लिए विवश किया और फिर उन्होंने हमारे हाथ बांध दिए और पैरों में जंजीर बांध दी। फिर उन्होंने हमें अपमानित करने के लिए वैसे ही पूरे प्रांगण के तीन चक्कर लगाने के लिए विवश किया। उसके बाद, उन्होंने हमें जेल के विभिन्न सेलों में अलग अलग कर दिया था। जेल की उन कोठरियों में बंद सभी लोग हत्यारे थे, वे सभी दानवों व राक्षासों की तरह थे। उन बुरे पुलिस वालों ने कैदियों को मुझे प्रताड़ित करने का आदेश दिया, लेकिन परमेश्वर के संरक्षण के कारण ही, वे कैदी मुझे परेशान नहीं किया करते थे, बल्कि असल में वे मेरा ख्याल रखा करते थे। चार दिनों के बाद, बुरी पुलिस ने मुझे परमेश्वर को धोखा देने और मेरे भाईयों व बहनों को बेचने के लिए बाधित किया, लेकिन मैं कुछ भी नहीं कहा। उन्होंने मुझे व एक अन्य भाई को पकड़ लिया और हमें घसीटते हुए प्रांगण में ले गए, जहां हमें हथकड़ियां लगा दी गई और हमारे पैरों में बेड़िया डाल दी गई। हमारे सिरों को एक काली थैली से ढंक दिया गया और वे हमें प्रांगण के बीच पर स्थित एक पेड़ पर लटकाकर वहां से चले गए। क्रूरता के उन्माद में, उन्होंने पेड़ में सब जगह चीटियां डाल दी, जो हमारे पूरे शरीर में घूमते हुए हमें काट रही थीं। हजारों चीटियों के काटने की यातना दिल में हजारों तीर घोंपने की यातना के समान थी, जिससे ऐसा लगा कि ऐसी जिंदगी से मौत ज्यादा बेहतर है। मैं अपनी पूरी शक्ति से परमेश्वर से मेरे दिल व आत्मा की रक्षा करने की प्रार्थना भर कर सकता था, ताकि वे मुझे पीड़ा को सहने की इच्छाशक्ति व ताकत दे पाएं, और मैं खुद को परमेश्वर को धोखा देने से बचा सकूं। इस समय, मेरे दिमाग में परमेश्वर के वचन प्रकट हुए: "मेरी आखिरी कठिनाई का सामना मेरी खातिर सभी लोगों को करना पड़ता है, ताकि मेरी महिमा सारे ब्रह्मांड को भर सके। क्या तुम लोग मेरी इच्छा को समझते हो? यह आखिरी अपेक्षा है जो मैं मनुष्य से करता हूँ, जिसका अर्थ है, मुझे आशा है कि सभी लोग बड़े लाल अजगर के सामने मेरे लिए सशक्त, ज़बर्दस्त गवाही दे सकते हैं, कि वे मेरे लिए अंतिम बार स्वयं को समर्पित कर सकते हैं, और एक आखिरी बार मेरी अपेक्षाओं को पूरा कर सकते हैं। क्या तुम लोग वाकई ऐसा कर सकते हैं? तुम लोग अतीत में मेरे दिल को संतुष्ट करने में असमर्थ थे-क्या तुम लोग अंतिम बार में इस प्रतिमान को तोड़ सकते हो?" (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन के "चौतीसवाँ कथन" से लिया गया)। परमेश्वर के वचनों की वजह से मेरा दिल जोश से भर गया। परमेश्वर ने हमें बचाने के लिए सीसीपी सरकार द्वारा हर संभव तरीके से दी जाने वाली पीड़ा सही है। उनके लिए कोई सहारा लेने की जगह या तकिया नहीं थी और घर कहने के लिए कोई जगह नहीं थी। आज, मैं यीशु के साथ पीड़ा सहने के योग्य हूं; यह परमेश्वर का प्रेम है और मेरे लिए परमेश्वर द्वारा मेरा उत्कर्ष व उन्नयन है। जब तक मैं परमेश्वर को आनंद देने के लिए सक्षम हूं, तब तक मैं खुश रहूंगा और मरने के लिए सहर्ष प्रस्तुत रहूंगा। मैंने हर मिनट व सेकंड के दर्द से गुजरने के लिए परमेश्वर के वचन का सहारा लिया। हमें दो दिनों व दो रातों तक पेड़ से लटकाकर रखा गया। तीसरे दिन, मैं और नहीं सह सकता था। यह जाड़े की शुरुआत का समय था और बारिश भी हो रही थी और मैंने केवल एक अस्तररहित कपड़ा पहना हुआ था। मैं अपने नंगे पैरों से पेड़ से लटका हुआ था और मेरे पास खाने या पीने के लिए कुछ भी नहीं था। भूख व ठंड की पीड़ा के साथ ही असहनीय दर्द के कारण मैं मरना चाह रहा था; मेरे पास जितनी भी शक्ति थी उससे प्रार्थना करने के अलावा मैं कुछ नहीं कर सकता था। इस देह की कमजोरी के कारण मैं बहुत ज्यादा डर गया था, मैं इस यातना को और नहीं सह पाउंगा और कहीं परमेश्वर को धोखा न दे दूँ। अपने दर्द के बीच में, मुझे अनुग्रह के युग के प्रचारक स्टीफन की याद आई। उन्हें जनसाधारण ने पत्थर मार—मारकर मार डाला था क्योंकि वे प्रभु यीशु के सुसमाचार का प्रचार कर रहे थे। मरने से पहले, उन्होंने परमेश्वर से उनकी आत्मा को स्वीकार करने के लिए कहा था। परिणामस्वरूप, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर, मेरी देह बहुत कमजोर है और अब मैं जितना दर्द सह सकता था उससे ज्यादा सह चुका हूं। मेरी इच्छा है कि आप मेरी आत्मा को ले लें, ताकि मैं आपको धोखो देने के स्थान पर मर जाऊं।" प्रार्थना करने के बाद, सबसे अप्रत्याशित चमत्कार हुआ: मुझे शरीर से बाहर निकलने का अनुभव हुआ और मुझे घास के एक मैदान में ले जाया गया था। वहां सभी जगह घनी, हरी घास थी और सब ओर मवेशी व भेड़ें थी। मेरी मनोदशा खासतौर पर शांत हो गई थी और मैं जोर—जोर से परमेश्वर की प्रशंसा ही कर सकता था: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ज़ोर से स्तुति करने दो, स्वर्ग और पृथ्वी की सभी चीज़ें तुम्हारी स्तुति करती हैं, तुम्हारी स्तुति करती हैं, सभी तुम्हारी स्तुति करेंगे। अपने सभी फ़रिश्तों को उठकर तुम्हारी स्तुति करने दो, अपने सभी स्वर्गीय मेज़बानों को तुम्हारी स्तुति करने दो, ब्रह्मांड का विस्तार तुम्हारी स्तुति करता है, हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! चमकते सितारे तुम्हारी स्तुति करते हैं, आकाश, पृथ्वी और जल तुम्हारी स्तुति करते हैं, वे सभी तुम्हारी स्तुति करते हैं। पर्वतों और पहाड़ियों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की स्तुति करने दो, लहरों और तरंगों को तुम्हारी स्तुति करने दो, सर्वोच्च स्थानों में तुम्हारी स्तुति करने दो,हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर!सबसे पवित्र स्थान में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की स्तुति करने दो, तानपूरों और नृत्यों के साथ ज़ोर-से तुम्हारी स्तुति करने दो! साज़ों और तुरही की आवाज़ के साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर की स्तुति करने दो, सिय्योन के पवित्र लोगों को तुम्हारी स्तुति करने दो, सभी लोगों की तुम्हारी स्तुति करने दो, हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर, ज़ोर-से तुम्हारी स्तुति करने दो! ज़ोर-से गरजते बादल तुम्हारी स्तुति करते हैं, ज़ोर-से तुम्हारी स्तुति करते हैं। वैभव विस्तार सर्वशक्तिमान परमेश्वर की स्तुति करता है, सांस लेने वाली हर चीज़ को तुम्हारी स्तुति करने दो, स्तुति का गायन पृथ्वी के कोने-कोने को हिला देता है, परमेश्वर की स्तुति करने दो!" (मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना में "शुद्ध प्रेम बिना दोष के")। एक तरफ मैंने खुद को इस अतुलनीय आनंद में डुबो दिया था और स्वतंत्रता की सीमाओं में विराजमान था और दूसरी ओर पेड़ पर लटकाएं जाने के दर्द, भूख और ठंड के साथ ही चीटियों के कांटे जाने का दर्द सबकुछ गायब हो गया था। जब मैं जागा, तो तीसरी रात हो चुकी थी और बुरे पुलिसवालों ने मुझे पेड़ से उतार दिया था। मैं तीन दिनों तक वहां लटका रहा था लेकिन मेरी मौत नहीं हुई थी, बल्कि मैं उत्साह से भर गया था। यह सच में परमेश्वर की सर्वशक्तिमान ताकत और अद्भुत संरक्षण था! मैं परमेश्वर को दिल से धन्यवाद कहा और उनकी प्रशंसा की।
चौथे दिन, बुरे पुलिसवाले ने फिर से मुझसे पूछताछ की और मुझे मेरे भाईयों व बहनों को धोखा देने के लिए विवश करने की कोशिश की; उन्होंने मुझे यह स्वीकार करने के लिए विवश किया कि मैं एक संप्रदाय में विश्वास करता था, ताकि मैं परमेश्वर को धोखा दे दूं और सत्य के मार्ग को छोड़ दूं। परमेश्वर की प्रबुद्धता ने मुझे परमेश्वर के वचन को सोचने दिया: "परीक्षणों से गुज़रते हुए, लोगों का कमज़ोर होना, या उनके भीतर नकारात्मकता आना, या परमेश्वर की इच्छा पर या अभ्यास के लिए उनके मार्ग में स्पष्टता का अभाव होना स्वाभाविक है। परन्तु हर हालत में, अय्यूब की तरह, तुम्हें अवश्य परमेश्वर के कार्य पर भरोसा अवश्य होना चाहिए, और परमेश्वर को नकारना नहीं चाहिए" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "पूर्ण बनाए जाने वालों को शुद्धिकरण से अवश्य गुज़रना चाहिए" से)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे सत्य को अभ्यास में लाने और परमेश्वर का गवाह बनने का साहस दिया। चाहे जो भी हो जाए, लेकिन मैं परमेश्वर का विरोध या परमेश्वर के विरुद्ध ईशनिंदा नहीं कर सकता। इसलिए, मैंने दृढ़ता से और पूरे विश्वास के साथ कहा: मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करता हूं, जो सभी चीजों पर शासन करने वाले एकमात्र सच्चे परमेश्वरर हैं! मैं किसी अधर्मी संप्रदाय में विश्वास नहीं करता, तुम लोग सत्य को तोड़—मरोड़ रहे हों और मुझे फंसा रहे हो! जब एक बुरे पुलिस वाले ने यह सुना, तो वह क्रोध से आग बबूला हो गया और उसने लकड़ी का एक बड़ा पटरा उठाया और मुझे मार डालने के लिहाज से पागलों की तरह उससे मुझे मारना शुरू कर दिया। उसने मुझे इस हद तक मारा कि मेरे मुंह से खून निकलने लगा था। मैं लकवाग्रस्त जैसे गिर गया और फर्श पर बेहोश होकर पड़ा रहा। जब उन्होंने देखा कि मैं बेहोश हो गया हूं, तो मुझे उठाने के लिए उन लोगों ने मुझ पर ठंडे पानी का छींटा मारा और फिर से मुझे मारना शुरू कर दिया। इस शैतानी और अमानवीय पिटाई के दौरान, मेरी छाती का सामने का हिस्सा और मेरी पीठ पूरी तरह से काली व नीली हो गई थी और मुझे कई अंदरूनी चोटें भी आई थीं। एक हफ्ते के बाद, मेरे पेशाब में खून आने लगा था और मेरी दांई किडनी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा था (आज भी यह दर्द करती है)। एक माह के बाद, उन बुरे पुलिस वालों को कोई भी साक्ष्य नहीं मिला, तो उन्होंने जाली मामला बनाया और मुझे उस पर हस्ताक्षर करने के लिए विवश किया। फिर उन्होंने मुझे शहर की जेल में बंद कर दिया। तीन महीने के बाद, उन्होंने मुझ पर 'सामाजिक कानून का उल्लंघन करने' का आरोप लगा दिया और मुझे एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुना दी गई। उस लेबर कैम्प में, मैंने अमानवीय जीवन जिया। हर रोज मैं भूखा रहता था और मुझे एक दिन में 12 घंटे या उससे भी ज्यादा समय तक काम करना पड़ता था। जेल की पुलिस अक्सर ही मुझे परेशान या अपमानित किया करती थी; वे या तो मेरे ऊपर इलेक्ट्रिक डंडे का इस्तेमाल करते या फिर मुझे छोटे, अंधेरे कमरे में बंद कर दिया करते थे। अगर परमेश्वर मुझे नहीं देख रहे होते और मेरी रक्षा नहीं कर रहे होते, तो मैं इन बुरे पुलिस वालों की यातना से मर गया होता। 7 नवंबर 2003 को, मेरी सजा पूरी हुई और मैं पृथ्वी पर नरक से रिहा हुआ।
उस क्रूर उत्पीड़न को अनुभव करने के बाद, मैंने अंतत: साफ तौर पर देखा कि सीसीपी सरकार की घोषणाएं जैसे कि 'कम्यूनिस्ट पार्टी महान, उत्तम और सही है' और 'चीन में धार्मिक स्वतंत्रता है' व अन्य बातें, असल में जनता को भ्रमित करने और नागरिकों को मूर्ख बनाने की कुटिल योजना की चाल बस थी। मैं अपने दिल की गहराई से इस बूढे जल्लाद इब्लीस से वाकई नफरत करता हूं। यह लुभावनी बातें बोलता है और सिर्फ बुरे काम करता है। अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य को प्रतिबंधित करने और चीन को एक नास्तिक स्थान बनाने के लिए, यह बिना किसी रोकटोक के आस्तिकों का पीछा करता है और उनकी हत्या करता है। इसकी क्रूरता का स्तर बहुत ऊपर तक पहुंच चुका है और लोग क्रोध से खौलने लगे हैं! मैं वापस सोचता हूं कि मेरी पूछताछ की प्रक्रिया के दौरान इन दानवों द्वारा कितनी क्रूरता के साथ मुझे लगातार यातना दी जाती थी और स्वीकारोक्ति के लिए विवश किया जाता है और क्रूरतापूर्वक पीड़ा दी जाती थी। कई बार तो मैं बेहोश भी हो गया था और अगर मैं परमेश्वर के संरक्षण में नहीं होता, तो वे दानव मुझे खा गए होते। मेरी सबसे बड़ी कमजोरी के क्षणों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने लगातार मुझे प्रोत्साहित किया: "क्या तुम सबने मिलने वाली आशीषों को स्वीकार किया है? क्या कभी तुम सबने मिलने वाले वायदों को पाया है? तुम लोग निश्चय ही, मेरी रोशनी के नेतृत्व में, अंधकार की शक्तियों के गढ़ को तोड़ोगे। तुम अंधकार के मध्य निश्चय ही मार्गदर्शन करने वाली ज्योति से वंचित नहीं रहोगे। तुम सब निश्चय ही सम्पूर्ण सृष्टि पर स्वामी होगे। तुम लोग शैतान पर निश्चय ही विजयी बनोगे। तुम सब निश्चय ही महान लाल ड्रैगन के राज्य के पतन को देखोगे और मेरी विजय की गवाही के लिए असंख्य लोगों की भीड़ में खड़े होगे। तुम लोग निश्चय ही पाप के देश में दृढ़ और अटूट खड़े रहोगे। तुम सब जो कष्ट सह रहे हो, उनके मध्य तुम मेरे द्वारा आने वाली आशीषों को प्राप्त करोगे और मेरी महिमा के भीतर के ब्रह्माण्ड में निश्चय ही जगमगाओगे" (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन के "उन्नीसवाँ कथन" से लिया गया)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे ऐसी कुछ ठोस चीज दी जिस पर मैं भरोसा करता हूं! इसने मुझे अपने बेहद दर्द भरे व कमजोरी के समय में परमेश्वर के वचनों की प्रबुद्धता व मार्गदर्शन का आनंद लेने की अनुमति दी, जो कि एकमात्र ऐसा तरीका है जिससे मैं इस अंधेरी व लंबी समयावधि से निकल सकता था। भले ही, मैंने सीसीपी सरकार द्वारा कई बार गिरफ्तार किए जाने और प्रताड़ित किए जाने का अनुभव किया है, और मेरी देह ने निर्दयी क्रूरता और यातना को सहा है, लेकिन मैं असल में ऐसे कई सत्यों को समझ गया हूं जिन्हें मैं पहले नहीं समझा करता था और मैं चीनी सरकार की प्रतिक्रियावादी दुष्टता की शैतानी वास्तविकता को देख पाता हूं। मैंने अपने लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सच्चे प्रेम को भी अनुभव किया है और परमेश्वर की सर्वशक्तिमान बुद्धि व अद्भुत कार्यों को भी देखा है। इसने मुझे परमेश्वर को प्रेम करने और परमेश्वर को संतुष्ट करने की कोशिश करने के लिए प्रेरित किया। आज, मैं अब भी कलीसिया में अपने दायित्वों को पूरा करता हूं जैसे कि मैं पहले किया करता था; मैं जिंदगी के सही मार्ग पर परमेश्वर का अनुसरण करता हूं, मैं सत्य की खोज करता हूं और एक अर्थपूर्ण जीवन जीने की कोशिश करता हूं।
पादटीका:
1. "निराधार आरोप लगाना" का अर्थ है वे तरीके जिनके द्वारा शैतान लोगों को नुकसान पहुँचाता है।
2. "भारी रूप से संरक्षित" उन विधियों को दर्शाता है जिनका उपयोग करके शैतान लोगों को यातना पहुँचाता है, वे बहुत ही दुष्ट होते हैं, और लोगों को इतना नियंत्रित करते हैं कि उन्हें हिलने की जगह नहीं मिलती।
स्रोत:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया-मसीह के न्याय के अनुभव की गवाहियाँ

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