7.1.19

10. यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?(6)

      परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

   तुम लोगों को परमेश्वर के कार्य को जानना होगा। केवल यीशु का अनुसरण करने के द्वारा ही पतरस ने पवित्र आत्मा के द्वारा यीशु में किए गए अधिकांश कार्य को धीरे-धीरे समझा। उसने कहा, "मनुष्य के अनुभवों पर भरोसा करना परमेश्वर के पूरे ज्ञान को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है; परमेश्वर के कार्य में ऐसी काफी नई बातें होनी चाहिए जो परमेश्वर को जानने में हमारी सहायता कर सकें।" प्रारम्भ में, पतरस यह मानता था कि यीशु को परमेश्वर ने भेजा है, एक प्रेरित के जैसे, और उसने यीशु को मसीहा के तौर पर नहीं देखा था। जबकि पतरस को यीशु के अनुसरण[ख] के लिए बुलाया गया था, यीशु ने उससे पूछा, "शिमौन, योना के पुत्र, क्या तुम मेरा अनुसरण करोगे?" पतरस ने कहा, "मैं स्वर्गीय पिता के द्वारा भेजे हुए का अनुसरण अवश्य करूंगा। मैं उसको अवश्य ही स्वीकार करूँगा जिसे पवित्र आत्मा के द्वारा चुना गया है। मैं तुम्हारे पीछे हो लूंगा।" उसके वचनों से, ऐसा देखा जा सकता है कि पतरस को यीशु के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था; उसने परमेश्वर के वचनों का अनुभव किया था, स्वयं के साथ कार्य किया था और परमेश्वर के लिए दुखों को उठाया था, फिर भी वह परमेश्वर के कार्य को नहीं जानता था। कुछ समय के अनुभव के बाद, पतरस ने यीशु में परमेश्वर के बहुत सारे कार्यों को देखा, परमेश्वर की सुंदरता को देखा, और यीशु में परमेश्वर की बहुत कुछ समानता को देखा था। इसलिए भी उसने यह देखा कि यीशु के वचनों को कोई मनुष्य नहीं बोल सकता था, और उसके कार्यों को कोई और मनुष्य नहीं कर सकता था। इसके अलावा, यीशु के वचनों और कार्यों में पतरस ने परमेश्वर के अधिकांश ज्ञान, और बहुत ही अलौकिक कार्यों को देखा। अपने अनुभवों के दौरान, उसने न सिर्फ़ अपने आप जाना, परन्तु यीशु के कार्यों को भी देखने पर अपना ध्यान केन्द्रित किया, जिससे उसने कई नई बातों को खोजा; यानि कि पमरेश्वर द्वारा यीशु के माध्यम से किए गए कार्य में व्यावहारिक परमेश्वर के कई सारे भाव थे, और यीशु के वचनों, कार्यों और कलीसियों की चरवाही करने के तरीके और उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य साधारण मनुष्य से पूरी तरह से भिन्न थे। इस प्रकार से, यीशु से उसने कई पाठ सीखे जो उसे सीखने चाहिए थे, और यीशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने के समय तक, उसने यीशु के बारे में कुछ ज्ञान प्राप्त कर लिया था - ज्ञान जिस के आधार पर वह यीशु के लिए जीवन भर वफादार बना रह सका और यीशु के लिए क्रूस पर उलटा भी लटक सकता था।


"वचन देह में प्रकट होता है" से "केवल वही जो परमेश्वर को जानते हैं, उसकी गवाही दे सकते हैं" से
     Source From:सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य,अंतिम दिनों के मसीह   के लिए गवाहियाँ,  I. परमेश्वर के देह-धारण से सम्बंधित सत्य के पहलू पर हर किसी को गवाही देनी चाहिए से

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अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

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