5. देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?(2)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन
क्योंकि वह परमेश्वर के सार वाला एक मनुष्य है, वह किसी भी सृजन किए गए मानव से ऊपर है, किसी भी ऐसे मनुष्य से ऊपर है जो परमेश्वर का कार्य कर सकता है। और इसलिए, उसके समान मानवीय आवरण वाले सभी के बीच, उन सभी के बीच जो मानवता को धारण करते हैं, केवल वही देहधारी परमेश्वर स्वयं है—अन्य सभी सृजन किए गए मानव हैं। यद्यपि उन सब में मानवता है, किन्तु सृजन किए गए मानव और कुछ नहीं केवल मानव ही हैं, जबकि देहधारी परमेश्वर भिन्न हैः अपनी देह में उसमें न केवल मानवता है परन्तु इससे महत्वपूर्ण दिव्यता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार" से
मसीह की दिव्यता सभी मनुष्यों से ऊपर है, इसलिए सभी सृजन किए गए प्राणियों में वह सर्वोच्च अधिकारी है। यह अधिकार उसकी दिव्यता, अर्थात्, परमेश्वर स्वयं का स्वभाव तथा अस्तित्व है, जो उसकी पहचान निर्धारित करता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है" से
क्योंकि परमेश्वर पवित्र और शुद्ध है, तथा यथार्थ और वास्तविक है, इसलिए उसका देह पवित्रात्मा से आता है। यह निश्चित है, और संदेह से परे है। न केवल स्वयं परमेश्वर की गवाही देने में समर्थ होना, बल्कि परमेश्वर की इच्छा को पूर्णतः कार्यान्वित करने में सक्षम होना: यह परमेश्वर के सार का एक पक्ष है। यह कि देह एक छवि के साथ पवित्रात्मा से आता है का अर्थ है कि देह जिससे आत्मा स्वयं को ढकता है, वह आवश्यक रूप से मनुष्य की देह से भिन्न है, और यह अंतर मुख्य रूप से उनकी आत्मा में निहित है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "नौवें कथन की व्याख्या" से
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