10.9.19

An Amazing Christian Testimony | Hindi Christian Movie "विपरीत परिस्थितियों में मधुरता" (Hindi Dubbed)


An Amazing Christian Testimony | Hindi Christian Movie "विपरीत परिस्थितियों में मधुरता" (Hindi Dubbed)

सीसीपी पुलिस द्वारा हान लू की निगरानी की गई और उसका पीछा किया गया, जिसके कारण उसे बंदी बना लिया गया था। पुलिस अधिकारियों ने उस पर निर्ममता से अत्‍याचार किए, और परमेश्‍वर को नकारने तथा उसके साथ विश्‍वासघात करने के लिए उसे विवश करने का प्रयास करने हेतु उसका ब्रेनवॉश करने का प्रयास करने के लिए अफवाहों का भी उपयोग किया, उसे बाध्य करने का प्रयास करने के लिए उसके परिवार का, और उसे धमकाने का प्रयास करने के लिए अन्‍य घृणित तरीकों का उपयोग किया।

9.9.19

"बाइबल के विषय में" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग दो



8. बाइबल को पुराना नियम और नया नियम भी कहते हैं। क्या तुम जानते हो कि "नियम" किसे संदर्भित करता है? "पुराने नियम" में "नियम" इस्राएल के लोगों के साथ बांधी गई परमेश्वर की वाचा से आता है जब उसने मिस्रियों को मार डाला था और इस्राएलियों को फिरौन से बचाया था। हाँ वास्तव में, मेमने का लहू इस वाचा का प्रमाण था जिसे दरवाज़ों की चौखट के ऊपर पोता गया था, जिसके द्वारा परमेश्वर ने मनुष्य के साथ एक वाचा बांधी थी, एक ऐसी वाचा जिसमें कहा गया था कि वे सभी लोग जिनके दरवाज़ों के ऊपर और अगल बगल मेमने का लहू लगा हुआ हो वे इस्राएली हैं, वे परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं, और उन सभी को परमेश्वर के द्वारा बख्श दिया जाएगा (क्योंकि यहोवा उस समय मिस्र के पहिलौठे पुत्रों और भेड़ों और पशुओं के पहिलौठों को मारने ही वाला था)।

8.9.19

"बाइबल के विषय में" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग एक



1. बहुत सालों से, लोगों के विश्वास का परम्परागत माध्यम (दुनिया के तीन मुख्य धर्मों में से एक, मसीहियत के विषय में) बाइबल पढ़ना ही रहा है; बाइबल से दूर जाना प्रभु में विश्वास नहीं है, बाइबल से दूर जाना एक दुष्ट पंथ और विधर्म है, और यहाँ तक कि जब लोग अन्य पुस्तकों को पढ़ते हैं, तो इन पुस्तकों की बुनियाद, बाइबल की व्याख्या ही होनी चाहिए। कहने का अर्थ है कि, यदि तुम कहते हो कि तुम प्रभु में विश्वास करते हो, तो तुम्हें बाइबल अवश्य पढ़नी चाहिए, तुम्हें बाइबल खानी और पीनी चाहिए, बाइबल के अलावा तुम्हें किसी अन्य पुस्तक की आराधना नहीं करनी चाहिए जिस में बाइबल शामिल नहीं हो। यदि तुम करते हो, तो तुम परमेश्वर के साथ विश्वासघात कर रहे हो। उस समय से जब बाइबल थी, प्रभु के प्रति लोगों का विश्वास बाइबल के प्रति विश्वास रहा है।

7.9.19

परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है भाग दो



परमेश्वर द्वारा इस युग में बोले गये वचन, व्यवस्था के युग के दौरान बोले गए वचनों से भिन्न हैं, और इसलिए, वे अनुग्रह के युग के दौरान बोले गये वचनों से भी भिन्न हैं। अनुग्रह के युग में, परमेश्वर ने वचन का कार्य नहीं किया, किन्तु समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए केवल सलीब पर चढ़ने का वर्णन किया। बाइबिल में केवल यह वर्णन किया गया है कि यीशु को क्यों सलीब पर चढ़ाया जाना था, और सलीब पर उसने कौन-कौन सी तकलीफें सही, और कैसे मनुष्य को परमेश्वर के लिये सलीब पर चढ़ना जाना चाहिए।

6.9.19

परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है भाग एक



परमेश्वर भिन्न-भिन्न युगों के अनुसार अपने वचन कहता है और अपना कार्य करता है, तथा भिन्न-भिन्न युगों में, वह भिन्न-भिन्न वचन कहता है। परमेश्वर नियमों से नहीं बँधता है, और एक ही कार्य को दोहराता नहीं है, और न अतीत की बातों को लेकर विषाद करता है; वह ऐसा परमेश्वर है जो सदैव नया है, कभी पुराना नहीं होता है, और वह हर दिन नये वचन बोलता है। जिस चीज का आज पालन किया जाना चाहिए उसका तुम्हें पालन करना चाहिए; यही मनुष्य की जिम्मेवारी और कर्तव्य है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अभ्यास परमेश्वर की वर्तमान रोशनी और वास्तविक वचनों के आस-पास केन्द्रित हो।

5.9.19

केवल परमेश्वर को प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है भाग दो



मनुष्य के भीतर परमेश्वर के द्वारा किए जाने वाले प्रत्येक कार्य के चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य परस्पर क्रिया के समान प्रतीत होता है, जैसे कि यह मानव प्रबंधों के द्वारा उत्पन्न हुआ हो, या मानविक हस्तक्षेप के माध्यम से। परन्तु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाला सब कुछ, शैतान के द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाज़ी होती है और परमेश्वर के लिए एक दृढ़ गवाह बने रहने के लिए लोगों से अपेक्षा की जाती है। उदाहरण के लिए, जब अय्यूब की परीक्षा ली जा रही थी: पर्दे के पीछे, शैतान परमेश्वर के सामने शर्त लगा रहा था, और अय्यूब के साथ जो हुआ वह मनुष्यों के कार्य थे, और मनुष्यों का हस्तक्षेप था।

4.9.19

केवल परमेश्वर को प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है भाग एक



आज, जैसे तुम लोग परमेश्वर को जानने और प्रेम करने की कोशिश करते हो, एक प्रकार से तुम लोगों को कठिनाई और परिष्करण से होकर जाना होगा और दूसरे में, तुम लोगों को एक मूल्य चुकाना होगा। परमेश्वर को प्रेम करने के सबक से ज्यादा कुछ भी गहरा सबक नहीं है और ऐसा कहा जा सकता है कि सबक जो मनुष्य जीवन भर विश्वास करने से सीखते हैं वह परमेश्वर को किस प्रकार से प्रेम करना होता है। अर्थात् यदि तू परमेश्वर पर विश्वास करता है तो तुझे उसे प्रेम करना होगा। यदि तू केवल परमेश्वर पर विश्वास करता है परन्तु उससे प्रेम नहीं करता है, परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त नहीं किया है, और कभी भी परमेश्वर को अपने हृदय से निकलने वाले सच्चे प्रेम से प्रेम नहीं किया है, तो परमेश्वर पर तेरा विश्वास करना व्यर्थ है; यदि परमेश्वर पर अपने विश्वास में, तू परमेश्वर से प्रेम नहीं करता है, तो तू व्यर्थ में ही जी रहा है, और तेरा सम्पूर्ण जीवन सभी जीवन से सबसे निम्न स्तर पर है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...