4.2.19

1. अनुग्रह के युग में परमेश्वर ने मानव जाति को छुटकारा दिलाया था, तो क्यों आखिरी दिनों में उसे न्याय के अपने कार्य को करने की अब भी आवश्यकता है?(3)

      परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: 

      तुम जैसा पापी, जिसे बस अभी अभी छुड़ाया गया है, और परिवर्तित नहीं किया गया है, या परमेश्वर के द्वारा सिद् नहीं किया गया है, क्या तुम परमेश्वर के हृदय के अनुसार हो सकते हो? तुम्हारे लिए, तुम जो अभी भी पुराने मनुष्यत्व के हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और यह कि परमेश्वर के उद्धार के कारण तुम्हें एक पापी के रूप में नहीं गिना जाता है, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो।

3.2.19

1. अनुग्रह के युग में परमेश्वर ने मानव जाति को छुटकारा दिलाया था, तो क्यों आखिरी दिनों में उसे न्याय के अपने कार्य को करने की अब भी आवश्यकता है?(2)

    परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: 

     जब यीशु अपना काम कर रहा था, तो उसके बारे में मनुष्य का ज्ञान तब भी अज्ञात और अस्पष्ट था। मनुष्य ने हमेशा यह विश्वास किया कि वह दाऊद का पुत्र है और उसके एक महान भविष्यद्वक्ता और उदार प्रभु होने की घोषणा की जिसने मनुष्य को पापों से छुटकारा दिया था। विश्वास के आधार पर मात्र उसके वस्त्र के छोर को छू कर ही कुछ लोग चंगे हो गए थे; अंधे देख सकते थे और यहाँ तक कि मृतक को जिलाया भी जा सकता था।

1.2.19

4. परमेश्वर के कार्य के तीन चरण किस तरह क्रमशः गहनतर होते जाते हैं ताकि लोगों को बचाया जा सके और उन्हें परिपूर्ण किया जा सके?(7)

      परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      मनुष्य के उद्धार के कार्य में, तीन चरणों को सम्पन्न किया जा चुका है, कहने का तात्पर्य है कि शैतान की सम्पूर्ण पराजय से पहले शैतान के साथ युद्ध को तीन चरणों में विभक्त किया गया है। फिर भी शैतान के साथ युद्ध के सम्पूर्ण कार्य की भीतरी सच्चाई यह है कि मनुष्य को अनुग्रह प्रदान करने, और मनुष्य के लिए पापबलि बनने, मनुष्य के पापों को क्षमा करने, मनुष्य पर विजय पाने, और मनुष्यों को सिद्ध बनाने के माध्यम से इसके प्रभावों को हासिल किया जाता है।

31.1.19

4. परमेश्वर के कार्य के तीन चरण किस तरह क्रमशः गहनतर होते जाते हैं ताकि लोगों को बचाया जा सके और उन्हें परिपूर्ण किया जा सके?(6)

   
 परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     अंत के दिनों के कार्य में, वचन चिन्हों एवं अद्भुत कामों के प्रकटीकरण की अपेक्षा कहीं अधिक शक्तिमान है, और वचन का अधिकार चिन्हों एवं अद्भुत कामों से कहीं बढ़कर है। वचन मनुष्य के हृदय के सभी भ्रष्ट स्वभावों को प्रकट करता है। तुम अपने स्वयं के बल पर इन्हें पहचानने में असमर्थ हो।

30.1.19

4. परमेश्वर के कार्य के तीन चरण किस तरह क्रमशः गहनतर होते जाते हैं ताकि लोगों को बचाया जा सके और उन्हें परिपूर्ण किया जा सके?(5)

      परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      व्यवस्था के युग के दौरान, मूसा को यहोवा अपने वचनों के साथ मिस्र से बाहर ले गए, और कुछ वचन इज़राइलियों को बोले; उस समय, परमेश्वर के कर्मों के हिस्से को समझाया गया था, परन्तु क्योंकि मनुष्य की क्षमता सीमित थी और कोई भी चीज उसके ज्ञान को पूर्ण नहीं कर सकती थी, इसलिए परमेश्वर निरंतर बोलता और कार्य करता रहा। अनुग्रह के युग में, मनुष्य ने एक बार और परमेश्वर के कार्यों के हिस्से को देखा।

28.1.19

4. परमेश्वर के कार्य के तीन चरण किस तरह क्रमशः गहनतर होते जाते हैं ताकि लोगों को बचाया जा सके और उन्हें परिपूर्ण किया जा सके?(4)

    परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

      … आज मनुष्य से जो माँग की जाती है वह अतीत की माँग के असदृश है और व्यवस्था के युग में मनुष्य से की गई माँग के तो और भी अधिक असदृश है। और जब इस्राएल में कार्य किया गया था तब व्यवस्था के अंतर्गत मनुष्य से क्या माँग की गई थी? उससे सब्त और यहोवा की व्यवस्थाओं का पालन करने से बढ़कर और कुछ की माँग नहीं की गई थी। किसी को भी सब्त के दिन काम नहीं करना था या यहोवा की व्यवस्था का उल्लंघन नहीं करना था। परन्तु अब ऐसा नहीं है।

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

     संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:      "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन...