परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
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5.4.19
2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?(8)
4.4.19
2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?(7)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
21.8.18
Hindi Gospel Movie | Do You Know the Relationship Between the Bible and God? | "मेरा प्रभु कौन है?"
Hindi Gospel Movie | Do You Know the Relationship Between the Bible and God? | "मेरा प्रभु कौन है?"
लियू झिझोंग चीन में एक स्थानीय कलीसिया के एल्डर हैं। वह 30 वर्षों से भी अधिक समय से एक विश्वासी रहे हैं, और उन्होंने निरंतर विश्वास किया है कि "बाइबल परमेश्वर से प्रेरित है," "बाइबल परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करती है, परमेश्वर में विश्वास करना बाइबल में विश्वास करना है, बाइबलमें विश्वास करना परमेश्वर में विश्वास करना है।"
7.8.18
"बेड़ियों को तोड़ो और भागो"(1) - बेड़ियों को तोड़ डालो और सच्चे मार्ग का अध्ययन करो
"बेड़ियों को तोड़ो और भागो"(1) - बेड़ियों को तोड़ डालो और सच्चे मार्ग का अध्ययन करो
धार्मिक पादरियों की बातों पर आँखें मूंदकर विश्वास करने के कारण, एल्डर ली ने महसूस किया कि परमेश्वर के सभी कार्य और वचन बाइबल में दर्ज थे और बाइबल के बाहर जो कुछ भी है वे परमेश्वर के कार्य और वचन नहीं हो सकतेI ली सोचते थे कि उन्हें जो कुछ भी करना था, बाइबल पर दृढ रहकर करना था और जब प्रभु फिर से आएंगे, तो उन्हें स्वर्ग के राज्य में आरोहित किया जाएगाI इसलिए, ली ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य पर कोई ध्यान नहीं दियाI एक अवसर पर, एल्डर ली को यह पता चला कि उनका सहयोगी, एल्डर लिन एक वर्ष से ज्यादा समय से चमकती पूर्वी बिजली का अध्ययन कर रहा थाI एल्डर लिन के साथ अपनी सहभागिता के माध्यम से, एल्डर ली को यह दयनीय सत्य समझ में आया कि उन्हें धार्मिक पादरियों द्वारा फंसाया और बेड़ियों में जकड़ा गया थाI अंत में, एल्डर ली इन बेड़ियों को तोड़ने में समर्थ हुए और चमकती पूर्वी बिजली की खोज के लिए बाकी सहकर्मियों का नेतृत्व करने लगे और सब मिलकर उसका अध्ययन करने लगेI
22.7.18
18.7.18
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "राज्य का युग वचन का युग है (भाग एक)"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "राज्य का युग वचन का युग है (भाग एक)"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "राज्य के युग में, परमेश्वर नए युग की शुरूआत करने, अपने कार्य के साधन बदलने, और संपूर्ण युग में काम करने के लिये अपने वचन का उपयोग करता है। वचन के युग में यही वह सिद्धांत है, जिसके द्वारा परमेश्वर कार्य करता है। वह देहधारी हुआ ताकि विभिन्न दृष्टिकोणों से बातचीत कर सके, मनुष्य वास्तव में परमेश्वर को देख सके, जो देह में प्रकट होने वाला वचन है, और उसकी बुद्धि और आश्चर्य को जान सके। उसने यह कार्य इसलिए किये ताकि वह मनुष्यों को जीतने, उन्हें पूर्ण बनाने और ख़त्म करने के लक्ष्यों को बेहतर ढंग से हासिल कर सके। वचन के युग में वचन को उपयोग करने का यही वास्तविक अर्थ है।"
14.7.18
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "राज्य का युग वचन का युग है (भाग एक)"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "राज्य का युग वचन का युग है (भाग एक)"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "राज्य के युग में, परमेश्वर नए युग की शुरूआत करने, अपने कार्य के साधन बदलने, और संपूर्ण युग में काम करने के लिये अपने वचन का उपयोग करता है। वचन के युग में यही वह सिद्धांत है, जिसके द्वारा परमेश्वर कार्य करता है। वह देहधारी हुआ ताकि विभिन्न दृष्टिकोणों से बातचीत कर सके, मनुष्य वास्तव में परमेश्वर को देख सके, जो देह में प्रकट होने वाला वचन है, और उसकी बुद्धि और आश्चर्य को जान सके। उसने यह कार्य इसलिए किये ताकि वह मनुष्यों को जीतने, उन्हें पूर्ण बनाने और ख़त्म करने के लक्ष्यों को बेहतर ढंग से हासिल कर सके। वचन के युग में वचन को उपयोग करने का यही वास्तविक अर्थ है।"
11.7.18
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर भाग एक" (भाग 1)
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर भाग एक" (भाग 1)
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "चाहे देहधारी परमेश्वर बोले, कार्य करे, या चमत्कार प्रकट करे, वह अपने प्रबंधन के अंतर्गत महान कार्य कर रहा है, और इस प्रकार का कार्य उसके बदले मनुष्य नहीं कर सकता है। मनुष्य का कार्य केवल सृजन किए गए प्राणी के रूप में परमेश्वर के प्रबंधन के कार्य के किसी दिए गए चरण में सिर्फ़ अपना कर्तव्य करना है। इस प्रकार के प्रबंधन के बिना, अर्थात्, यदि देहधारी परमेश्वर की सेवकाई खो जाती है, तो सृजित प्राणी का कर्तव्य भी खो जायेगा। अपनी सेवकाई को करने में परमेश्वर का कार्य मनुष्य का प्रबंधन करना है, जबकि मनुष्य का कर्तव्य करना सृष्टा की माँगों को पूरा करने के लिए अपने स्वयं के दायित्वों का प्रदर्शन है और किसी भी तरह से किसी की सेवकाई करना नहीं माना जा सकता है। परमेश्वर, अर्थात्, पवित्रात्मा के अंतर्निहित सार के लिए, परमेश्वर का कार्य उसका प्रबंधन है, किन्तु एक सृजन किए गए प्राणी का बाह्य स्वरूप पहने हुए देहधारी परमेश्वर के लिए, उसका कार्य अपनी सेवकाई को पूरा करना है। वह जो कुछ भी कार्य करता है वह अपनी सेवकाई को करने के लिए करता है, और मनुष्य केवल उसके प्रबंधन के क्षेत्र के भीतर और उसकी अगुआई के अधीन ही अपना सर्वोत्तम कर सकता है।"
9.6.18
अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (भाग पांच)
अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (भाग पांच)
इस वीडियो में परमेश्वर के वचन "वचन देह में प्रकट हुआ से आगे जारी" पुस्तक से हैं। इस वीडियो की सामग्री:
(III) पांच प्रकार के लोग
पहले प्रकार के लोगों को "कपड़े में लिपटे हुए नवजात शिशु" की अवस्था के रूप में जाना जाता है।
दूसरे प्रकार की अवस्था "दूध पीते हुए शिशु" की अवस्था है।
तीसरे प्रकार की अवस्था दूध छुड़ाए हुए बच्चे की है – छोटे बच्चे की अवस्था।
चौथे प्रकार की अवस्था परिपक्व होते हुए बालक की अवस्था है; अर्थात्, बचपना।
पांचवे प्रकार की अवस्था परिपक्व जीवन की अवस्था है, या बालिग अवस्था है।
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अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ
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