14.4.19

3. परमेश्वर का नाम बदल सकता है, लेकिन उसका सार कभी नहीं बदलेगा।(2)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

     परमेश्वर हमेशा परमेश्वर रहेगा, और कभी भी शैतान नहीं बनेगा; शैतान हमेशा शैतान रहेगा, और कभी भी परमेश्वर नहीं बनेगा। परमेश्वर की बुद्धि, परमेश्वर की चमत्कारिकता, परमेश्वर की धार्मिकता, और परमेश्वर का प्रताप कभी नहीं बदलेंगे। उसका सार और उसका स्वरूप कभी नहीं बदलेगा। उसका कार्य, हालाँकि, हमेशा आगे प्रगति कर रहा है और हमेशा गहरा होता जा रहा है, क्योंकि वह हमेशा नया रहता है और कभी पुराना नहीं पड़ता है। हर युग में परमेश्वर एक नया नाम अपनाता है, हर युग में वह नया कार्य करता है, और हर युग में वह अपने प्राणियों को अपनी नई इच्छा और नए स्वभाव को देखने की अनुमति देता है। यदि लोग नए युग में परमेश्वर के नए स्वभाव की अभिव्यक्ति को नहीं देखते हो, तो क्या वे उसे हमेशा के लिए सलीब पर नहीं ठोंक देंगे? और ऐसा करके, क्या वे परमेश्वर को परिभाषित नहीं करेंगे?
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3)" से

क्योंकि परमेश्वर स्वयं को चाहे जहां भी प्रकट करे, परमेश्वर फिर भी परमेश्वर है, और उसके स्थान और उसके प्रकट होने के तरीकों के कारण उसका तत्व कभी नहीं बदलेगा। उसके पदचिन्ह चाहे कहीं भी क्यों न हों परमेश्वर का स्वभाव एक जैसा बना रहता है। चाहे जहां कहीं भी परमेश्वर के पदचिन्ह क्यों न हों, वह सभी मानव जाति का परमेश्वर है। उदाहरण के लिए, प्रभु यीशु केवल इस्राएलियों का परमेश्वर नहीं है, बल्कि एशिया, यूरोप और अमेरिका में सभी लोगों का परमेश्वर है, और यहां तक कि पूरे ब्रह्मांड में सिर्फ वो ही परमेश्वर है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर का प्रकटीकरण एक नया युग लाया है" से
    Source From सर्वशक्तिमानपरमेश्वर की कलीसिया -अंत के दिनों के मसीह के लिए गवाहियाँ

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