4. अंतिम दिनों में अपने न्याय के कार्य को करने के लिए परमेश्वर मनुष्य का उपयोग क्यों नहीं करता, इसके बजाय उसे देह-धारण कर, स्वयं इसे क्यों करना पड़ता है?(4)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर के कार्य के इन दो चरणों को परमेश्वर के द्वारा उसकी देहधारी पहचान में सम्पन्न किया गया है क्योंकि वे समूचे प्रबंधकीय कार्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लगभग ऐसा कहा जा सकता है कि, परमेश्वर के दो देहधारण के कार्य के बिना, समूचा प्रबंधकीय कार्य थम गया होता, और मानवजाति को बचाने का कार्य और कुछ नहीं बल्कि खोखली बातें होतीं। ऐसा कार्य महत्वपूर्ण है या नहीं यह मानवजाति की आवश्यकताओं, एवं मानवजाति की कलुषता की वास्तविकता, और शैतान की अनाज्ञाकारिता और कार्य के विषय में उसकी गड़बड़ी पर आधारित है। सही व्यक्ति जो कार्य करने में समर्थ है वह अपने कार्य के स्वभाव, और कार्य के महत्व पर आधारित होता है। जब इस कार्य के महत्व की बात आती है, इस सम्बन्ध में कि कार्य के कौन से तरीके को अपनाया जाए-आत्मा के द्वारा सीधे तौर पर किया गया कार्य, या देहधारी परमेश्वर के द्वारा किया गया कार्य, या मनुष्य के माध्यम से किया गया कार्य-जिसे पहले निष्काषित किया जाना है वह मनुष्य के माध्यम से किया गया कार्य है, और, उस कार्य के स्वभाव, और देह के कार्य के विपरीत आत्मा के कार्य के स्वभाव के पर आधारित है, अंततः यह निर्णय लिया गया है कि देह के द्वारा किया गया कार्य आत्मा के द्वारा सीधे तौर पर किए गए कार्य की अपेक्षा मनुष्य के लिए अत्यधिक लाभदायक है, और अत्यधिक लाभ प्रदान करता है। यह उस समय परमेश्वर का विचार है कि वह निर्णय ले कि कार्य आत्मा के द्वारा किया गया था या देह के द्वारा। कार्य के प्रत्येक चरण का एक महत्व एवं आधार होता है। वे आधारहीन कल्पनाएं नहीं हैं, न ही उन्हें स्वेच्छा से क्रियान्वित किया गया है; उनमें एक निश्चित बुद्धि है। परमेश्वर के सारे कार्यों के पीछे की सच्चाई ऐसी ही है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है" से
Source From:सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य,अंतिम दिनों के मसीह के लिए गवाहियाँ
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