परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर मौन है, और हमें कभी प्रकट नहीं हुआ, फिर भी उसका काम कभी नहीं रूका है। वह सभी भूमियों पर देखता है, सभी का नियंत्रण करता है, और मनुष्य के सभी वचनों और कर्मों को देखता है। उसका प्रबंधन चरणबद्ध है और उसकी योजना के अनुसार है।
यह चुपचाप, नाटकीय प्रभाव के बिना आगे बढ़ता है, मगर उसके चरण मनुष्यों के निकटतम बढ़ते रहते हैं, और उसका न्याय का आसन तड़ित गति से ब्रह्माण्ड में तैनात होता है, और उसके तुरंत बाद हमारे बीच उसके सिंहासन का अवरोहण होता है। वह कैसा आलीशान दृश्य है, कितनी भव्य और गंभीर झाँकी! कपोत के समान, गरजते हुए सिंह के समान, पवित्र आत्मा हम सब के बीच में पहुँचता है। वह बुद्धिमान है, वह धर्मी और आलीशान ह, वह अधिकार से युक्त और प्रेम एवं करुणा से भरा हुआ, चुपचाप हमारे बीच में पहुँचता है। कोई उसके आगमन के बारे में नही जानता है, उसके आगमन का स्वागत नहीं करता है, और इसके अलावा, कोई नहीं जानता है कि वह सब क्या करेगा। मनुष्य का जीवन अपरिवर्तित रहता है; उसका हृदय भिन्न नहीं हो जाता है, और दिन सामान्य दिनों के समान बीतते जाते हैं। परमेश्वर हमारे बीच एक साधारण मानव के समान, एक अत्यधिक महत्वहीन अनुयायी और एक साधारण विश्वासी के रूप में रहता है। उसके अपने काम हैं, उसके अपने लक्ष्य हैं, और इससे बढ़कर, उसमें ईश्वरत्व है जो साधारण मनुष्यों में नहीं है। किसी ने भी उसके ईश्वरत्व के अस्तित्व पर ध्यान नहीं दिया, और कोई भी उसके सार और मनुष्य के सार के बीच का अंतर नहीं समझा है। हम उसके साथ, बिना किसी बंधन और भय के, एक साथ रहते हैं, क्योंकि हम उसे एक महत्वहीन विश्वासी से अधिक नही समझते हैं।
यह चुपचाप, नाटकीय प्रभाव के बिना आगे बढ़ता है, मगर उसके चरण मनुष्यों के निकटतम बढ़ते रहते हैं, और उसका न्याय का आसन तड़ित गति से ब्रह्माण्ड में तैनात होता है, और उसके तुरंत बाद हमारे बीच उसके सिंहासन का अवरोहण होता है। वह कैसा आलीशान दृश्य है, कितनी भव्य और गंभीर झाँकी! कपोत के समान, गरजते हुए सिंह के समान, पवित्र आत्मा हम सब के बीच में पहुँचता है। वह बुद्धिमान है, वह धर्मी और आलीशान ह, वह अधिकार से युक्त और प्रेम एवं करुणा से भरा हुआ, चुपचाप हमारे बीच में पहुँचता है। कोई उसके आगमन के बारे में नही जानता है, उसके आगमन का स्वागत नहीं करता है, और इसके अलावा, कोई नहीं जानता है कि वह सब क्या करेगा। मनुष्य का जीवन अपरिवर्तित रहता है; उसका हृदय भिन्न नहीं हो जाता है, और दिन सामान्य दिनों के समान बीतते जाते हैं। परमेश्वर हमारे बीच एक साधारण मानव के समान, एक अत्यधिक महत्वहीन अनुयायी और एक साधारण विश्वासी के रूप में रहता है। उसके अपने काम हैं, उसके अपने लक्ष्य हैं, और इससे बढ़कर, उसमें ईश्वरत्व है जो साधारण मनुष्यों में नहीं है। किसी ने भी उसके ईश्वरत्व के अस्तित्व पर ध्यान नहीं दिया, और कोई भी उसके सार और मनुष्य के सार के बीच का अंतर नहीं समझा है। हम उसके साथ, बिना किसी बंधन और भय के, एक साथ रहते हैं, क्योंकि हम उसे एक महत्वहीन विश्वासी से अधिक नही समझते हैं।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के प्रकटन को उनके न्याय और ताड़ना में देखना" से
परमेश्वर चीन की मुख्य भूमि में देहधारण किया है, जिसे हांगकांग और ताइवान में हमवतन के लोग अंतर्देशीय कहते हैं। जब परमेश्वर ऊपर से पृथ्वी पर आया, तो स्वर्ग और पृथ्वी में कोई भी इसके बारे में नहीं जानता था, क्योंकि यही परमेश्वर का एक गुप्त अवस्था में लौटने का वास्तविक अर्थ है। वह लंबे समय तक देह में कार्य करता और रहता रहा है, फिर भी इसके बारे में कोई भी नहीं जानता है। आज के दिन तक भी, कोई इसे पहचानता नहीं है। शायद यह एक शाश्वत पहेली रहेगा। इस बार परमेश्वर का देह में आना कुछ ऐसा नहीं है जिसके बारे कोई भी जानने में सक्षम नहीं है। इस बात की परवाह किए बिना कि पवित्रात्मा का कार्य कितने बड़े-पैमाने का और कितना शक्तिशाली है, परमेश्वर हमेशा शांतचित्त बना रहता है, कभी भी स्वयं का भेद नहीं खोलता है। कोई कह सकता है कि यह ऐसा है मानो कि उसके कार्य का यह चरण स्वर्ग के क्षेत्र में हो रहा है। यद्यपि यह हर एक के लिए बिल्कुल स्पष्ट है, किन्तु कोई भी इसे पहचानता नहीं है। जब परमेश्वर अपने कार्य के इस चरण को समाप्त कर लेगा, तो हर कोई अपने लंबे सपने से जाग जाएगा और अपनी पिछली प्रवृत्ति को उलट देगा।[1] ... उषाकाल में, किसी को भी बताए बिना, परमेश्वर पृथ्वी पर आया और देह में अपना जीवन शुरू किया। लोग इस क्षण से अनभिज्ञ थे। कदाचित वे सब घोर निद्रा में थे, कदाचित बहुत से लोग जो सतर्कतापूर्वक जागे हुए थे वे प्रतीक्षा कर रहे थे, और कदाचित कई लोग स्वर्ग के परमेश्वर से चुपचाप प्रार्थना कर रहे थे। फिर भी इन सभी कई लोगों के बीच, कोई नहीं जानता था कि परमेश्वर पहले से ही पृथ्वी पर आ चुका है। परमेश्वर ने अपने कार्य को अधिक सुचारू रूप से पूरा करने और बेहतर परिणामों को प्राप्त करने के लिए इस तरह से कार्य किया, और यह अधिक प्रलोभनों से बचने के लिए भी था। जब मनुष्य की वसंत की नींद टूटेगी, तब तक परमेश्वर का कार्य बहुत पहले ही समाप्त हो गया होगा और वह पृथ्वी पर भटकने और अस्थायी निवास के अपने जीवन को समाप्त करते हुए चला जाएगा।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "कार्य और प्रवेश (4)" से
Source From: सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य-1. प्रभु यीशु ने स्वयं भविष्यवाणी की थी कि परमेश्वर आखिरी दिनों में देहधारण करेगा और कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रकट होगा।
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