1. प्रभु यीशु ने स्वयं भविष्यवाणी की थी कि परमेश्वर आखिरी दिनों में देहधारण करेगा और कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रकट होगा।(2)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यीशु ने कहा था कि वह उसी तरह से आएगा जैसे वह गया था, किन्तु क्या उसके वचनों के सही अर्थ को जानते हो? क्या वह वास्तव में तुमसे कह सका होगा? तुम केवल यही जानते हो कि वह बादल पर उसी तरह से आएगा जैसे वह गया था, किन्तु क्या तुम ठीक-ठीक जानते हो कि परमेश्वर स्वयं अपना कार्य कैसे करता है? यदि तुम वास्तव में देखने में सक्षम होते,तब यीशु के वचनों को कैसे समझाया जाता? उसने कहा, "जब अंत के दिनों में मनुष्य का पुत्र आएगा,तो उसे स्वयं ज्ञात नहीं होगा, फ़रिश्तों को ज्ञात नहीं होगा, स्वर्ग के दूतों को ज्ञात नहीं होगा, और सभी लोगों को ज्ञात नहीं होगा।
केवल परमपिता को ज्ञात होगा, अर्थात्, केवल पवित्रात्मा को ही ज्ञात होगा।" यदि तुम जानने और देखने में सक्षम हो, तब क्या ये खोखले वचन नहीं हैं? यहाँ तक कि स्वयं मनुष्य का पुत्र भी नहीं जानता है,फिर भी तुम देखने और जानने में सक्षम हो? यदि तुम स्वयं अपनी आँखों से देख चुके हो, तो क्या वे वचन व्यर्थ में नहीं कहे गए थे? और उस समय यीशु ने क्या कहा? "उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र, परन्तु केवल पिता। जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। ... तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।" जब वह दिन आ जाएगा, तो स्वयं मनुष्य के पुत्र को उसका पता नहीं चलेगा। मनुष्य का पुत्र देहधारी परमेश्वर की देह का संकेत करता है,जो कि एक सामान्य और साधारण व्यक्ति होगा। यहाँ तक कि वह स्वयं नहीं जानता है, तो तुम कैसे जान सकते हो?
केवल परमपिता को ज्ञात होगा, अर्थात्, केवल पवित्रात्मा को ही ज्ञात होगा।" यदि तुम जानने और देखने में सक्षम हो, तब क्या ये खोखले वचन नहीं हैं? यहाँ तक कि स्वयं मनुष्य का पुत्र भी नहीं जानता है,फिर भी तुम देखने और जानने में सक्षम हो? यदि तुम स्वयं अपनी आँखों से देख चुके हो, तो क्या वे वचन व्यर्थ में नहीं कहे गए थे? और उस समय यीशु ने क्या कहा? "उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र, परन्तु केवल पिता। जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। ... तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।" जब वह दिन आ जाएगा, तो स्वयं मनुष्य के पुत्र को उसका पता नहीं चलेगा। मनुष्य का पुत्र देहधारी परमेश्वर की देह का संकेत करता है,जो कि एक सामान्य और साधारण व्यक्ति होगा। यहाँ तक कि वह स्वयं नहीं जानता है, तो तुम कैसे जान सकते हो?
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3)" से
ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि परमेश्वर स्वयं ने कहा था कि उसका आगमन एक बादल पर होगा। यह सत्य है कि परमेश्वर ने स्वयं ऐसा कहा था, किन्तु क्या तुम जानते हो कि परमेश्वर के रहस्य मनुष्यों के लिए अज्ञेय हो? क्या तुम जानते हो कि परमेश्वर के वचनों को मनुष्य द्वारा समझाया नहीं जा सकता है? क्या तुम इतने निश्चित हो कि तुम्हें पवित्र आत्मा द्वारा प्रबुद्ध और रोशन किया गया था? क्या पवित्र आत्मा ने तुम्हें इतने प्रत्यक्ष तरीके से दिखाया था? क्या ये पवित्र आत्मा के निर्देशन हैं, या क्या ये तुम्हारी धारणाएँ हैं? उसने कहा, "यह परमेश्वर स्वयं द्वारा कहा गया था।" किन्तु परमेश्वर के वचनों को मापने के लिए हम अपनी धारणाओं और मन का उपयोग नहीं कर सकते हैं। जहाँ तक यशायाह के वचनों की बात है, क्या तुम पूर्ण विश्वास के साथ उसके वचनों को समझा सकते हो? क्या तुम उसके वचनों को समझाने का साहस करते हो? जब तुम यशायाह के वचनों को समझाने का साहस नहीं करते हो, तो तुम यीशु के वचनों को समझाने का साहस कैसे करते हो? कौन अधिक उत्कृष्ट है, यीशु अथवा यशायाह? चूँकि उत्तर यीशु है, तो तुम यीशु द्वारा बोले गए वचनों को क्यों समझाते हो? क्या परमेश्वर अपने कार्य के बारे में तुम्हें अग्रिम में बताएगा? कोई प्राणी नहीं जान सकता है, यहाँ तक कि स्वर्ग के दूत भी नहीं, और न ही मनुष्य का पुत्र जान सकता है, अतः तुम कैसे जान सकते हो?
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3)" से
"वह जिसके कान हो, सुन ले कि आत्मा ने कलीसियाओं से क्या कहा।" ... कई विवेकहीन मनुष्य हैं जिनका मानना है कि पवित्र आत्मा के वचन मनुष्य के कान में सीधे स्वर्ग से उतर कर आने चाहिए। इस प्रकार सोचने वाला कोई भी परमेश्वर के कार्य को नहीं जानता है। वास्तव में, पवित्र आत्मा के द्वारा कहे गए कथन वे ही हैं जो परमेश्वर ने देहधारी होकर कहे। पवित्र आत्मा प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य से बात नहीं कर सकता है, और यहाँ तक कि व्यवस्था के युग में भी, यहोवा ने प्रत्यक्ष रूप से लोगों से बात नहीं की। क्या इस बात की बहुत कम सम्भावना नहीं होगी है कि वह आज के युग में भी ऐसा ही करेगा? कार्य को करने के लिए परमेश्वर को कथनों को बोलने के लिए, उसे अवश्य देहधारण करना चाहिए, अन्यथा उसका कार्य का उसके उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकता है। जो परमेश्वर के देहधारी होने को इनकार करते हैं, वे ऐसे लोग होते हैं जो आत्मा को या उन सिद्धान्तों को नहीं जानते हैं जिनके द्वारा परमेश्वर कार्य करता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "वह मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर के प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है जिसने उसे अपनी ही धारणाओं में परिभाषित किया है?" से
Source From: सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य-1. प्रभु यीशु ने स्वयं भविष्यवाणी की थी कि परमेश्वर आखिरी दिनों में देहधारण करेगा और कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रकट होगा।
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