चीन में धार्मिक उत्पीड़न का इतिहास: भोर होने से पहले घना अँधेरा
वर्ष 1949 में मेनलैण्ड चीन में सत्ता में आने के बाद से, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी धार्मिक आस्था का निरंतर उत्पीड़न करने में लगी रही है। पागलपन में यह ईसाइयों को बंदी बना चुकी है और उनकी हत्या कर चुकी है, चीन में काम कर रहे मिशनरियों को निष्काषित कर चुकी है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा चुका है, बाइबल की अनगिनत प्रतियों को जब्त कर नष्ट किया जा चुका है, कलीसिया की इमारतों को सीलबंद कर दिया गया है और ढहाया जा चुका है, और सभी गृह कलीसिया को जड़ से उखाड़ फैंकने का प्रयास किया जा चुका है।
यह वृत्तचित्र एक चीनी ईसाई, यांग हुइजी के वास्तविक अनुभव का वर्णन करती है, जिसे सीसीपी सरकार द्वारा गिरफ़्तार किया गया, यातनाएं दी गईं, और परमेश्वर में उसके विश्वास की वजह से उसे प्रताड़ित कर मार दिया गया। यांग हुइजी की मृत्यु के बाद, सीसीपी सरकार ने झूठा दावा किया कि उसकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी। उसका परिवार उसकी मौत का न्याय चाहता था, लेकिन सीसीपी की धमकियों की वजह से अंततः वे इतने डर गये कि उन्हें चुप होकर बैठना पड़ा।
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