ज़ियाओजिंग हेज़ शहर, शानडोंग प्रांत
हर बार जब मैंने परमेश्वर के वचनों को हमें ईमानदार बनने और सही ढंग से बोलने के लिए कहते हुए देखा, मैंने सोचा, "मुझे सही ढंग से बोलने में कोई समस्या नहीं है। क्या यह सिर्फ सच को सच बोलना तथा चीजों को वैसे ही बताना नहीं है, जैसे कि वे हैं? क्या यह उतना आसान नहीं है? इस संसार में मुझे जिस बात ने सबसे ज्यादा चिढ़ाया है, वह है लोगों का सुशोभित तरीके से बोलना।" इस वजह से, मैंने अत्यधिक विश्वास को महसूस किया, यह सोचकर कि इस सम्बन्ध में मुझे कोई समस्या नहीं है। लेकिन केवल परमेश्वर के प्रकाशन के माध्यम से मुझे पता चला कि, सत्य में प्रवेश किये बिना या किसी के स्वभाव को बदले बिना, कोई भी किसी भी तरह से सही तरीके से नहीं बोल सकता।