6. यह क्यों कहा जाता है कि भ्रष्ट मानव जाति को देह बने परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है?(4)
(परमेश्वर के वचन का चुना गया अवतरण)
भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है
मनुष्य को शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया है, और वह परमेश्वर के सभी जीवधारियों में सबसे ऊपर है, अतः मनुष्य को परमेश्वर के उद्धार की आवश्यकता है। परमेश्वर के उद्धार का विषय मनुष्य है, न कि शैतान, और जिसे बचाया जाना चाहिए वह मनुष्य की देह है, एवं मनुष्य का प्राण है, और शैतान नहीं है। शैतान परमेश्वर के सम्पूर्ण विनाश का विषय है, मनुष्य परमेश्वर के उद्धार का विषय है, और मनुष्य के शरीर को शैतान के द्वारा भ्रष्ट किया जा चुका है, अतः जिसे पहले बचाना है वह मनुष्य का शरीर ही होगा। मनुष्य की देह को बहुत ज़्यादा भ्रष्ट किया जा चुका है, और यह कुछ ऐसा बन गया है जो परमेश्वर का विरोध करता है, जो यहाँ तक कि खुले तौर पर परमेश्वर का विरोध करता है और उसके अस्तित्व को भी नकारता है।