4.10.19

Hindi Christian Movie | पार्टी की बात ख़त्म नहीं हुई है | Who Breaks Up Christians' Families?


Hindi Christian Movie | पार्टी की बात ख़त्म नहीं हुई है | Who Breaks Up Christians' Families?

ली मिंगाई मुख्यभूमि चीन में रहने वाली एक ईसाई है। वह एक ईमानदार चरित्र की महिला है जो अपने सास-ससुर का सम्मान करती है, अपने पति की सहायता करती है और अपने बेटे को शिक्षित बनाती है, उसका एक सुखी और खुशहाल परिवार है। हालांकि, चीन में नास्तिकता का नियंत्रण है, चीनी कम्युनिस्ट सरकार परमेश्वर में विश्वास करने वालों को बड़े पैमाने पर गिरफ्तार करती और सताती है। वर्ष 2006 में, परमेश्वर में विश्वास रखने के कारण ली मिंगाई को गिरफ्तार कर लिया गया और उस पर जुर्माना लगाया गया। ली मिंगाई के घर लौटने के बाद, चीनी कम्युनिस्ट पुलिस अक्सर उसे और उसके परिवार को धमकाया करती और चेतावनी दिया करती थी, और ली मिंगाई को परमेश्वर में अपने विश्वास को जारी रखने से रोकने की कोशिश किया करती थी। एक दिन, जब ली मिंगाई घर से दूर एक सभा कर रही थी, तो एक मुख़बिर ने इसकी जानकारी पुलिस को दे दी। पुलिस ली मिंगाई को गिरफ्तार करने की कोशिश में उसके घर गई। उसे घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, और उस समय से, ली मिंगाई के जीवन में एक जगह से दूसरी जगह छिपकर रहने और घर से भागने का सिलसिला शुरू हो जाता है। चीनी कम्युनिस्ट पुलिस अभी भी उसे अकेला नहीं छोड़ती है, वह हमेशा उसके घर पर नज़र रखती है, और उसे गिरफ्तार करने के मौके तलाशती रहती है। एक शाम, ली मिंगाई, चुपके से अपने परिवार से मिलने के लिए घर जाती है, लेकिन तुरंत ही पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए निकल पड़ती है। सौभाग्य से, कोई उसे सचेत कर देता है और ली मिंगाई इस मुसीबत से बाल-बाल बच जाती है।
तीन साल बाद, जब ली मिंगाई घर से दूर अपने विश्वास और अपने कर्तव्य को निभा रही होती है, तो चीनी कम्युनिस्ट पुलिस द्वारा पीछा कर उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है। चीनी कम्युनिस्ट पुलिस, ली मिंगाई को अमानवीय यातना देती है और अत्याचार करती है, पारिवारिक लगाव का इस्तेमाल करके उसे बहलाने की कोशिश करती है। वे उनके बच्चे को स्कूल जाने के अधिकार से वंचित करने और भविष्य में सरकारी नौकरियों की पहुंच से रोकने की धमकियों का इस्तेमाल करते हैं ताकि परमेश्वर में उसके विश्वास को त्यागने, कलीसिया के संरक्षकों को धोखा देने के लिए बाध्य किया जा सके, और कलीसिया के वित्तीय संसाधनों की जानकारी प्राप्त की जा सके। इस दौरान, ली मिंगाई परमेश्वर से प्रार्थना करती है और परमेश्वर में अपना विश्वास बनाए रखती है। परमेश्वर के वचन में उसे प्रबुद्धता और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। वह चीनी कम्युनिस्ट पुलिस की यातना और तकलीफों को शैतान की चलाकियों का माध्यम समझकर सहन करती है और परमेश्वर को धोखा न देने का फैसला करती है। वह परमेश्वर के लिए मजबूत गवाह बनी रहती है। चीनी कम्युनिस्ट पुलिस द्वारा की जा रही पूछताछ का जब कोई फ़ल नहीं निकलता है, तो उनकी शर्मिंदगी क्रोध में बदल जाती है। वे ली मिंगाई को कैदी के कपड़े पहनाकर उसके गाँव में घुमाते हैं, सभी लोग उसे देखने आते हैं। वे उसे शर्मिंदा करने के लिए ऐसा करते हैं, और फिर उसके परिवार के सदस्यों को उसे परमेश्वर से धोखा करने, और कलीसिया छोड़ने के लिए उकसाते हैं। ली मिंगाई इस बात को लेकर काफ़ी नाराज़ होती है कि किस प्रकार चीनी कम्युनिस्टों ने उसके परिवार की दिक्कतों के लिए, उसके परमेश्वर में विश्वास करने को जिम्मेदार ठहराया। धार्मिक आस्था के अपमान से भरकर, ली मिंगाई गुस्से में चीनी कम्युनिस्ट सरकार की इस दुष्ट सच्चाई को उजागर करती है कि किस प्रकार वे ईसाइयों को गिरफ्तार करके सताते हैं। वह बताती है कि ईसाइयों के परिवारों को नष्ट करने की असली जिम्मेदार चीनी कम्युनिस्ट सरकार है, जो कि कट्टर-अपराधी है और जो लोगों के लिए सभी तरह के संकट लेकर आती है। इस प्रकार वह चीनी कम्युनिस्टों के लिए एक सम्पूर्ण और शर्मनाक हार का कारण बनती है।

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