21.3.19

5. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को धार्मिक दुनिया द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने का प्रभाव और परिणाम क्या है?(6)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

    क्या अब तुम समझ गए कि न्याय क्या है और सत्य क्या है? यदि तुम समझ गए हो, तो मैं तुम्हें न्याय किए जाने हेतु आज्ञाकारी ढंग से समर्पित होने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ, अन्यथा तुम्हें कभी भी परमेश्वर द्वारा प्रशंसा किए जाने या परमेश्वर द्वारा उसके राज्य में ले जाए जाने का अवसर नहीं मिलेगा। जो केवल न्याय को स्वीकार करते हैं परन्तु कभी भी शुद्ध नहीं किए जा सकते हैं, अर्थात्, जो न्याय के कार्य के बीच ही भाग जाते हैं, वे हमेशा के लिए परमेश्वर द्वारा नफ़रत किए जाएँगे और अस्वीकार कर दिए जाएँगे। फरीसियों के पापों की तुलना में उनके पाप बहुत अधिक हैं, और अधिक दारुण हैं, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के साथ विश्वासघात किया है और वे परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोही हैं। इस प्रकार के लोग जो सेवा करने के योग्य भी नहीं है अधिक कठोर दण्ड प्राप्त करेंगे, ऐसा दण्ड जो इसके अतिरिक्त चिरस्थायी है। परमेश्वर किसी भी गद्दार को नहीं छोड़ेगा जिसने एक बार तो वचनों से वफादारी दिखायी मगर फिर परमेश्वर को धोखा दिया। इस तरह के लोग आत्मा, प्राण और शरीर के दण्ड के माध्यम से प्रतिफल प्राप्त करेंगे। क्या यह हूबहू परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को प्रकट नहीं करता है? क्या मनुष्य का न्याय करने, और उसे प्रकट करने में यह परमेश्वर का उद्देश्य नहीं है? परमेश्वर उन सभी को जो न्याय के समय के दौरान सभी प्रकार के दुष्ट कर्म करते हैं दुष्टात्माओं से पीड़ित स्थान में भेजता है, इन दुष्टात्माओं को इच्छानुसार उनके दैहिक शरीरों को नष्ट करने देता है। उनके शरीरों से लाश की दुर्गंध निकलती है, और ऐसा ही उनके लिए उचित दण्ड है। परमेश्वर उन निष्ठाहीन झूठे विश्वासियों, झूठे प्रेरितों, और झूठे कार्यकर्ताओं के हर एक पाप को उनकी अभिलेख पुस्तकों में लिखता है; फिर, जब सही समय आता है, वह उन्हें इच्छानुसार गंदी आत्माओं के बीच में फेंक देता है, इन अशुद्ध आत्माओं को अपनी इच्छानुसार उनके सम्पूर्ण शरीरों को दूषित करने देता है, ताकि वे कभी भी पुनः-देहधारण नहीं कर सकें और दोबारा कभी भी रोशनी को नहीं देख सकें। वे पाखण्डी जिन्होंने किसी समय सेवकाई की किन्तु अंत तक वफादार बने रहने में असमर्थ हैं परमेश्वर द्वारा दुष्टों में गिने जाते हैं, ताकि वे दुष्टों की सलाह पर चलें, और उनकी उपद्रवी भीड़ का हिस्सा बन जाएँ; अंत में, परमेश्वर उन्हें जड़ से मिटा देगा। परमेश्वर उन लोगों को अलग फेंक देता है और उन पर कोई ध्यान नहीं देता है जो कभी भी मसीह के प्रति वफादार नहीं रहे हैं या जिन्होंने कोई भी प्रयास समर्पित नहीं किया है, और युगों के बदलने पर उन सभी को जड़ से मिटा देगा। वे पृथ्वी पर अब और अस्तित्व में नहीं रहेंगे, परमेश्वर के राज्य में मार्ग तो बिल्कुल नहीं प्राप्त करेंगे। जो कभी भी परमेश्वर के प्रति ईमानदार नहीं रहे हैं किन्तु परमेश्वर के साथ बेपरवाह ढंग से व्यवहार करने के लिए परिस्थितिवश मजबूर किए जाते हैं उनकी गिनती ऐसे लोगों में होती है जो परमेश्वर के लोगों के लिए सेवा करते हैं। ऐसे लोगों की छोटी सी संख्या ही जीवित बचती है, जबकि बहुसंख्य उन लोगों के साथ तबाह हो जाएँगे जो सेवा करने के भी योग्य नहीं हैं। अंत में, परमेश्वर उन सभी को जिनका मन परमेश्वर के समान है, लोगों को और परमेश्वर के पुत्रों को और साथ ही पादरी बनाए जाने के लिए परमेश्वर द्वारा पूर्वनियत लोगों को, अपने राज्य में ले आएगा। परमेश्वर द्वारा अपने कार्य के माध्यम से प्राप्त किया गया आसव ऐसा ही होता है। जहाँ तक उनका प्रश्न है जो परमेश्वर द्वारा निर्धारित किसी भी श्रेणी में पड़ने में असमर्थ हैं, वे अविश्वासियों में गिने जाएँगे। और तुम लोग निश्चित रूप से कल्पना कर सकते हो कि उनका परिणाम क्या होगा।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है" से
Source From:सुसमाचार से सम्बन्धित सत्यIII. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से सम्बंधित सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए
     अनुशंसित:5. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को धार्मिक दुनिया द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने का प्रभाव और परिणाम क्या है?(1)

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अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ

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