(1) अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय का कार्य मनुष्य को शुद्ध करने, बचाने और सिद्ध बनाने, तथा विजय प्राप्त करने वालों का एक समूह बनाने के लिए किया जाता है।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मनुष्य की दशा और परमेश्वर के प्रति मनुष्य के व्यवहार को देखने पर परमेश्वर ने नया कार्य किया है, उसने मनुष्य को अनुमति दी है कि वह उसके विषय में ज्ञान और उसके प्रति आज्ञाकारिता रखे, और प्रेम और गवाही दोनों रखे। इस प्रकार, मनुष्य को परमेश्वर के शोधन, और साथ ही उसके दंड, उसके व्यवहार और काँट-छाँट का अनुभव करना चाहिए, जिसके बिना मनुष्य कभी परमेश्वर को नहीं जानेगा, और कभी सच्चाई के साथ परमेश्वर से प्रेम करने और उसकी गवाही देने में समर्थ नहीं होगा। परमेश्वर द्वारा मनुष्य का शोधन केवल एकतरफा प्रभाव के लिए नहीं होता, बल्कि बहुतरफा प्रभाव के लिए होता है केवल इसी रीति से परमेश्वर उनमें शोधन का कार्य करता है जो सत्य को खोजने के लिए तैयार रहते हैं, ताकि मनुष्य का दृढ़ निश्चय और प्रेम परमेश्वर के द्वारा सिद्ध किया जाए। जो सत्य को खोजने के लिए तैयार रहते हैं, और जो परमेश्वर की लालसा करते हैं, उनके लिए ऐसे शोधन से अधिक अर्थपूर्ण, या अधिक सहयोगपूर्ण कुछ नहीं हैं। परमेश्वर का स्वभाव मनुष्य के द्वारा सरलता से जाना या समझा नहीं जाता, क्योंकि परमेश्वर आखिरकार परमेश्वर है। अंततः, परमेश्वर के लिए मनुष्य जैसे स्वभाव को रखना असंभव है, और इस प्रकार मनुष्य के लिए परमेश्वर के स्वभाव को जानना सरल नहीं है। मनुष्य के द्वारा सहजता से सत्य को प्राप्त नहीं किया जाता, और यह सरलता से उनके द्वारा समझा नहीं जाता जो शैतान के द्वारा भ्रष्ट किए गए हैं; मनुष्य सत्य से रहित है, और सत्य को अभ्यास में लाने के दृढ़ निश्चय से रहित है, और यदि वह दुःख नहीं उठाता, और उसका शोधन नहीं किया जाता या उसे दंड नहीं दिया जाता, तो उसका दृढ़ निश्चय कभी सिद्ध नहीं किया जाएगा। सब लोगों के लिए शोधन कष्टदायी होता है, और स्वीकार करने के लिए बहुत कठिन होता है - परंतु फिर भी, परमेश्वर शोधन के समय में ही मनुष्य के समक्ष अपने धर्मी स्वभाव को स्पष्ट करता है, और मनुष्य के लिए अपनी मांगों को सार्वजनिक करता है, तथा और अधिक प्रबुद्धता प्रदान करता है, और इसके साथ-साथ और अधिक वास्तविक कांट-छांट और व्यवहार को भी; तथ्यों और सत्यों के बीच की तुलना के द्वारा वह स्वयं के बारे में और सत्य के बारे में मनुष्य को और अधिक ज्ञान प्रदान करता है, और मनुष्य को परमेश्वर की इच्छा के विषय में अधिक समझ प्रदान करता है, और इस प्रकार मनुष्य को परमेश्वर के सच्चे और शुद्ध प्रेम को प्राप्त करने की अनुमति देता है। शोधन का कार्य करने में परमेश्वर के लक्ष्य ये हैं। वह सारा कार्य जो परमेश्वर मनुष्य में करता है, उसके अपने लक्ष्य और उसका अपना महत्व होता है; परमेश्वर व्यर्थ कार्य नहीं करता है, और न ही वह ऐसा कार्य करता है जो मनुष्य के लिए लाभदायक न हो। शोधन का अर्थ परमेश्वर के सामने से लोगों को हटा देना नहीं है, और न ही इसका अर्थ उन्हें नरक में डालकर नाश कर देना है। इसका अर्थ शोधन के दौरान मनुष्य के स्वभाव को बदलना है, उसकी प्रेरणाओं, उसके पुराने दृष्टिकोणों को बदलना है, परमेश्वर के प्रति उसके प्रेम को बदलना है, और उसके पूरे जीवन को बदलना है। शोधन मनुष्य की वास्तविक परख है, और एक वास्तविक प्रशिक्षण का रूप है, और केवल शोधन के दौरान ही उसका प्रेम उसके अंतर्निहित कार्य को पूरा कर सकता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "केवल शोधन का अनुभव करने के द्वारा ही मनुष्य सच्चाई के साथ परमेश्वर से प्रेम कर सकता है" से
Source From:सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य, III. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से सम्बंधित सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए
अनुशंसित:4. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के महत्व को, अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से प्राप्त परिणामों में, देखा जा सकता है।(1)
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