2. देहधारण क्या है? देहधारण का तत्व क्या है?(9)
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मनुष्य के पुत्र के देहधारण ने परमेश्वर की मानवता के द्वारा उसकी ईश्वरीयता को प्रकट किया था और परमेश्वर की इच्छा को मानव जाति तक पहुँचाया था। और परमेश्वर की इच्छा और स्वभाव के प्रकटीकरण के द्वारा, उसने लोगों के सामने उस परमेश्वर को प्रकाशित किया जिसे आध्यात्मिक आयाम क्षेत्र में देखा और छुआ नहीं जा सकता था।
जो लोगों ने देखा वह स्वयं परमेश्वर था, स्पृश्य और हड्डी एवं माँस के साथ।इस प्रकार मनुष्य के पुत्र के देहधारण ने ऐसी चीज़ों को बनाया जैसे परमेश्वर की स्वयं की पहचान, स्तर, स्वरूप, स्वभाव, और जो उसके पास है तथा जो वह है उसे ठोस और मानवीय किया। यद्यपि परमेश्वर के स्वरूप सम्बन्ध में मनुष्य के पुत्र के बाहरी रूप में कुछ सीमाएँ थीं, फिर भी उसका सार और जो उसके पास है तथा जो वह है वे पूर्णत: परमेश्वर की स्वयं की पहचान और स्थितिको दर्शाने में सक्षम हैं-प्रकटीकरण के रूप में वहाँ केवल कुछ भिन्नताएँ थीं। इस से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि ये मनुष्य के पुत्र की मानवता है या उसकी ईश्वरीयता, हम इन्कार नहीं कर सकते हैं कि यह स्वयं परमेश्वर की पहचान और उसकी स्थिति को दर्शाता है। फिर भी इस समय के दौरान, परमेश्वर ने देह में होकर कार्य किया, और देह के दृष्टिकोण से बात किया, और मानव जाति के सामने मनुष्य के पुत्र की पहचान और स्थिति के साथ खड़ा हुआ, और इस ने लोगों को मानव जाति के बीच में परमेश्वर के सच्चे वचनों और कार्य का सामना और अनुभव करने का अवसर दिया। इस ने लोगों को यह भी अनुमति दी कि वे विनम्रता के मध्य उसकी ईश्वरीयता और उसकी महानता की अंतःदृष्टि प्राप्त कर सकें, साथ ही साथ परमेश्वर की प्रमाणिकता और वास्तविकता की एक प्रारम्भिक समझ और एक प्रारम्भिक परिभाषा को भी प्राप्त कर सकें।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III" से
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